Janmashtami 2018: आखिर कृष्ण ने क्यों नहीं की राधा से शादी?
नई दिल्ली। आज पूरे देश में जन्माष्टमी धूम-धाम से मनायी जा रही हैं, कहीं झांकियां सजाई गईं हैं तो कहीं पर दही-हांडी का आयोजन किया गया है। पूरा देश वासुदेवनंदन की भक्ति में रमा हुआ है। माखन चोर और रास रसैया की पूजा तब तक अधूरी है जब तक उनके साथ राधा का नाम ना लिया जाए। कृष्ण और राधा का प्रेम बेहद ही अलौकिक और पवित्र है, बावजूद इसके राधा केवल कृष्ण की प्रेमिका ही बनकर रह गईं, वो उनकी पत्नी नहीं बन पाई , आखिर क्यों ऐसा हुआ, ये सवाल हमेशा लोगों कि दिलों में गूंजता है।
राधा को एहसास था कृष्ण की शक्ति का...
आपको जानकर हैरत होगी कि प्राचीन पुराणों में कहीं भी राधा का जिक्र नहीं है, जबकि धर्मशास्त्री कहते हैं कि राधा और श्रीकृष्ण का प्रेम बचपन का था, राधा और कन्हैया जी जब मिले थे तो उस वक्त राधा 10 बरस की और कान्हा जी आठ बरस के थे। वो दोनों ही बच्चे और अबोध थे, दोनों एक-दूसरे के मित्र थे, कृष्ण की लीलाओं से राधा को जल्द ही एहसास हो गया था कि वो जिनसे प्रेम करती हैं, वो खुद परमेश्वर हैं, और परमेश्नर की पूजा हो सकती है लेकिन शादी नहीं हो सकती है।
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कृष्ण ने राधा को अपनी आत्मा कहा था...
तो वहीं कुछ लोगों का मत है कि कृष्ण ने राधा को अपनी आत्मा कहा था और आत्मा तो शरीर के साथ ही रहती है और आत्मा और शरीर का मिलन शादी के जरिए कैसे हो सकता है तो वहीं दूसरी ओर कुछ पंडितों का ये भी कहना है कि प्रेम का रिश्ता पानी की तरह होता है, उसमें कोई शर्त नहीं होती है जबकि विवाह तो बंधन है, जिसके लिए वचनों को निभाना पड़ता है। राधा ये ही चाहती थीं कि उनका प्रेम हमेशा पावन रहे, वो प्रभु की आत्मा में बसती थीं और इससे ज्यादा उन्हें किसी बंधन में बंधना नहीं था इसी वजह से उनकी और भगवान श्रीकृष्ण की शादी कभी नहीं हुई।
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राधा बिना अधूरे हैं भगवान श्रीकृष्ण...
अपने प्रेम के बल पर ही वो कान्हा जी के साथ पूज्यनीय हुईं और जो प्रेम, आभार और स्थान उन्हें मिला वो श्रीकृष्ण की पत्नी रूक्मिणी को कभी हासिल नहीं हुआ, हालांकि उन्होंने भी भगवान श्रीकृष्ण से प्रेम करके ही विवाह किया था।
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