जलझूलनी एकादशी आज, जानिए इसका महत्व और पूजा विधि
नई दिल्ली। भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को जलझूलनी एकादशी व्रत किया जाता है। इस बार यह एकादशी 9 सितंबर 2019, सोमवार को आ रही है। मध्यप्रदेश, राजस्थान जैसे कुछ राज्यों में इसे डोल ग्यारस भी कहा जाता है। इस एकादशी के दिन भगवान विष्णु-लक्ष्मी का श्रृंगार करके खूबसूरत डोले में सजाकर यात्रा निकाली जाती है, इसलिए इसे डोल ग्यारस कहा जाता है। इसे पद्मा एकादशी और वामन एकादशी भी कहा जाता है।
शास्त्रों में इस एकादशी का सर्वाधिक महत्व है क्योंकि इस दिन भगवान विष्णु और उनके आठवें अवतार भगवान श्रीकृष्ण की विशेष पूजा की जाती है। कहा जाता है इस दिन माता यशोदा का जलवा पूजन किया गया था। इसे परिवर्तनी एकादशी भी कहा जाता है क्योंकि चातुर्मास के दौरान अपने शयनकाल में इस दिन भगवान विष्णु करवट बदलते हैं।
आज वामन अवतार की भी पूजा की जाती है...
जलझूलनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु के वामन अवतार की भी पूजा की जाती है, क्योंकि इसी दिन राजा बलि से भगवान विष्णु ने वामन रूप में उनका सर्वस्व दान में मांग लिया था एवं उसकी भक्ति से प्रसन्न् होकर अपनी एक प्रतिमा राजा बलि को सौंप दी थी, इसी वजह से इसे 'वामन एकादशी" भी कहा जाता है। यह पद्मा एकादशी के नाम से भी प्रसिद्ध है। पद्मा माता लक्ष्मी का एक नाम है। इस दिन जो व्यक्ति एकादशी का व्रत करता है उस पर मां लक्ष्मी अपना संपूर्ण वैभव लुटा देती है।
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जलझूलनी एकादशी का महत्व
शास्त्रों का कथन है कि भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की इस एकादशी को करने से वाजपेय यज्ञ के समान फल मिलता है। इससे जीवन से समस्त संकटों, कष्टों का नाश हो जाता है और व्यक्ति को मृत्यु के उपरांत मोक्ष प्राप्त हो जाता है। वह सीधा भगवान विष्णु के परम लोक बैकुंठ चला जाता है। जीवन में मान-सम्मान, प्रतिष्ठा, पद, धन-धान्य की प्राप्ति के लिए यह एकादशी प्रत्येक मनुष्य को करना चाहिए। चूंकि इसे पद्मा एकादशी भी कहा जाता है इसलिए मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने के लिए इस दिन उनकी विशेष पूजा का विधान भी है।
इस एकादशी के विशिष्ट उपाय
- जीवन में आर्थिक लाभ प्राप्त करने के लिए जलझूलनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु के मंदिर में एक साबुत श्रीफल और सवा सौ ग्राम साबुत बादाम चढ़ाएं।
- यदि आपको बार-बार कर्ज लेने की नौबत आती है। लाख कोशिशों के बाद भी कर्ज नहीं उतर पा रहा है तो इस एकादशी के दिन पीपल के पेड़ की जड़ में शकर डालकर जल अर्पित करें और शाम के समय पीपल के नीचे दीपक लगाएं।
- इस एकादशी की रात्रि में अपने घर में या किसी विष्णु मंदिर में भगवान श्रीहरि विष्णु के सामने नौ बत्तियों वाला रात भर जलने वाला दीपक लगाएं। इससे आर्थिक उन्नति तेजी से होने लगती है। सारा कर्ज उतर जाता है और व्यक्ति का जीवन सुख-सौभाग्य से भर जाता है।
- इस एकादशी के दिन भगवान विष्णु का पूजन करते समय कुछ सिक्के उनके सामने रखें। पूजन के बाद ये सिक्के लाल रेशमी कपड़े में बांधकर अपने पर्स या तिजोरी में हमेशा रखें। इससे आपके धन के भंडार भरने लगेंगे। यह उपाय खासकर व्यापारियों को अवश्य करना चाहिए।
- जिन युवक-युवतियों का विवाह नहीं हो पा रहा है वे इस एकादशी के दिन भगवान विष्णु का पीले पुष्पों से श्रृंगार करें। उन्हें सुगंधित चंदन लगाएं और इसके बाद बेसन की मिठाई का नैवेद्य लगाएं। शीघ्र विवाह होगा।
एकादशी पर विशिष्ट ग्रह संयोग
जलझूलनी पर इस बार एक प्रमुख ग्रह शुक्र का राशि परिवर्तन हो रहा है। भौतिक सुख-सुविधाओं, सौंदर्य, प्रेम, आकर्षण, दांपत्य सुख आदि का प्रतिनिधि ग्रह शुक्र 9 सितंबर को राशि परिवर्तन कर कन्या राशि में प्रवेश करने जा रहा है। शुक्र का यह राशि परिवर्तन समस्त राशि वालों पर सकारात्मक प्रभाव दिखाने वाला है। शुक्र पर मां लक्ष्मी का भी विशेष अधिकार होता है इसलिए इस पद्मा एकादशी के दिन मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए व्रत जरूर करना चाहिए।
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