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जगजीत सिंह ने जीता श्रीनगर का दिल
जब जगजीत सिंह ने अपनी प्रसिद्ध गजल 'वो कागज की कश्ती, वो बारिश का पानी.' गाना शुरु किया तो श्रोताओं के दिलो-दिमाग में कश्मीर की प्राचीन झीलें और वहां की यादें ताजा हो उठीं। इस गजल के रचनाकार अनूप श्रीवास्तव भी समारोह में उपस्थित थे।
जगजीत के एलबम 'मिर्जा गालिब' की गजल 'हजारों ख्वाहिशें ऐसी..' ने श्रोताओं को आनंदविभोर कर दिया। गजल गायक ने समारोह में 12 गजलें पेश कीं। अंत में उन्होंने एक पंजाबी गजल प्रस्तुत की, श्रोताओं ने भी उनके साथ इस गजल को गुनगुनाया।
सभागार में जगजीत अपनी आवाज का जादू बिखेर रहे थे और बाहर बारिश और बर्फबारी का नजारा था। ऐसे माहौल में श्रोताओं ने इस समारोह का जमकर मजा लिया।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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