5156 साल पहले महाभारत युद्ध के दिन श्रीकृष्ण ने यहां दिया दिव्य संदेश, अब गीता जयंती मना रहे 9 देश
कुरुक्षेत्र। इंटरनेशनल गीता जयंती मुख्य महोत्सव का आगाज हरियाणा के कुरुक्षेत्र में हो चुका है। मार्गशीर्ष माह की एकादशी से पहले बुधवार को इसकी शुरूआत हुई, इस मर्तबा मुख्यमंत्री मनोहर खट्टर, उत्तराखंड के सीएम और राज्यपाल ने गीता पूजन व यज्ञ के साथ विधिवत शुभारंभ किया। इस अंतरराष्ट्रीय गीता संगोष्ठी में भारत के अलावा ऑस्ट्रेलिया, मॉरिशस, कैनेडा, इंग्लैंड, जापान, नेपाल समेत 9 देशों विद्वान पहुंचे। गीता जयंती रविवार, 8 दिसंबर को है। उस दिन मोक्षदा एकादशी है। द्वापर युग में अगहन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी पर ही भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता उपदेश दिया था। अब गीता संगोष्ठी के अवसर पर कुरुक्षेत्र में मुख्यमंत्री ने भगवान श्रीकृष्ण और अर्जुन के प्रसंग का जिक्र किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि अब से 5156 बरस पहले भगवान श्रीकृष्ण ने जो दिव्य संदेश कुरुक्षेत्र से दिया, वो दुनिया के 600 करोड़ लोगों तक पहुंचे।'
इसलिए मन रहा 'अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव-2019'
इसलिए मन रहा 'अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव-2019' 'अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव-2019' हरियाणा में ब्रह्मसरोवर कुरुक्षेत्र की भूमि पर 23 नवंबर से 10 दिसंबर 2019 तक चलेगा। इस दौरान अंतरराष्ट्रीय गीता संगोष्ठी ‘श्रीमद् भगवद् गीता' की रचना वाले दिन की याद में मनाई जाती है। मानव जाति के इतिहास में सबसे महान दिन के रूप में अंकित करीब 5156 साल पहले कुरुक्षेत्र में जो संदेश श्रीकृष्ण ने अर्जुन को दिया, उसे ही पवित्र ग्रंथ ‘श्रीमद् भगवद् गीता' कहा गया। द्वापर युग में महाभारत के 18 दिवसीय युद्ध के पहले दिन कुरुक्षेत्र के युद्धक्षेत्र में श्रीकृष्ण और अर्जुन के बीच काफी लंबा वार्तालाप हुआ था। उसी को ध्यान में रखते हुए हजारों साल बाद 'अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव' मन रहा है।
कब से मन रहा है 'अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव'
वर्ष 2013 में, यानी अब से छह साल पहले से, 5151 वर्ष पहले गीता का जन्म मानते हुए काल गणना के साथ जयंती मनाने की परंपरा शुरू की गई थी। काल गणना के साथ तब से कुरुक्षेत्र में आयोजन होते चले आ रहे हैं। हालांकि, सरकार की तरफ से गीता जयंती का काल निर्धारण नहीं दिखाया गया और न ही ऐसी कोई घोषणा की गई। ऐसा माना जाता है कि किसी तरह के विवादों के चलते ही इस बार काल गणना को प्रचारित नहीं किया गया। हालांकि, उक्त गणना के हिसाब से इस बार गीता की 5157वीं जयंती है।
6 साल पहले घोषित की थी 5151वीं गीता जयंती
2013 के बाद अब वर्ष 2019 में पुरुषोत्तमपुरा में सीएम मनोहर खट्टर ने 'अंतरराष्ट्रीय गीता संगोष्ठी' का आगाज कराया है। इस दौरान राज्यपाल सत्यदेव नारायण आर्य, स्वामी ज्ञानानंद, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री, हिमाचल के विस अध्यक्ष, जिम्बाब्वे के प्रोटोकॉल अधिकारी और नेपाल के डिप्टी हाई कमिश्नर ने ब्रह्मसरोवर पर पूजन किया। मंगलवार को केयू के ऑडिटोरियम हॉल में गीता पर 3 दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी शुरू हुई थी।
जानिए कैसे पहुंचें कुरुक्षेत्र
यदि आप बस से आना चाहते हैं, तो हरियाणा रोडवेज की बसें अन्य पड़ोसी राज्यों तक चलती हैं। राज्य निगम बसें कुरुक्षेत्र को दिल्ली, चंडीगढ़ और अन्य महत्वपूर्ण स्थानों जैसे अन्य शहरों से जोड़ती हैं। दिल्ली (160 किलोमीटर), अंबाला (40 किमी) और करनाल (3 9 किमी) से बसों को अक्सर उपलब्ध होते हैं। कुरुक्षेत्र, पिपली से लगभग 6 किलोमीटर दूर है, जो राष्ट्रीय राजमार्ग नंबर-1 पर एक महत्वपूर्ण रोड जंक्शन है, जिसे लोकप्रिय रूप से ग्रैंड प्रधान मार्ग कहते हैं।
दिल्ली और चंडीगढ़ यहां के नजदीकी एयरपोर्ट
हरियाणा में कुरुक्षेत्र तक पहुंचने के लिए यदि आप हवाई जहाज से आ रहे हैं तो यहां के निकटतम हवाई अड्डे दिल्ली और चंडीगढ़ में हैं, जो सड़क और रेल द्वारा कुरुक्षेत्र से जुड़े हैं। हवाई अड्डे से टैक्सी सेवाएं भी उपलब्ध हैं। दिल्ली कुरुक्षेत्र से 160 किमी दूर है।
शताब्दी एक्सप्रेस भी यहां रुकती है
यदि आप ट्रेन से आ रहे हैं तो कुरुक्षेत्र रेलवे स्टेशन, जिसे कुरुक्षेत्र जंक्शन भी कहा जाता है, मुख्य दिल्ली-अंबाला रेलवे लाइन पर स्थित है। कुरुक्षेत्र देश के सभी महत्वपूर्ण शहरों और शहरों के साथ अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। शताब्दी एक्सप्रेस यहां रुकती है।
कुरुक्षेत्र में अन्य दर्शनीय स्थल भी देख सकते हैं
कुरुक्षेत्र शहर के चारों ओर और आसपास में भी कई दर्शनीय स्थल हैं। कुरूक्षेत्र में जाने के लिए ऑटो, टैक्सी आदि की सेवा भी ली जा सकती है।
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