Inspirational Story: जब वो चाहेगा, हो जाएगा
नई दिल्ली। हर व्यक्ति के जीवन में कभी- ना- कभी एक स्थिति अवश्य बनती है- निराशा या अवसाद की स्थिति। कई बार ऐसा होता है कि व्यक्ति किसी लक्ष्य को पाने के लिए अपनी पूरी क्षमता लगा देता है, पर असफलता हाथ लगती है। यदि किसी व्यक्ति ने पूरी लगन और ईमानदारी से मेहनत की है और अपना प्राप्य ना पाया, तो उसका निराश होना बहुत ही स्वाभाविक प्रतिक्रिया है।
इस स्थिति में व्यक्ति टूट जाता है और स्वयं पर से उसका विश्वास उठ जाता है। यही वह समय है, जब ईश्वर पर की गई अटूट आस्था सहारा बनती है और व्यक्ति को कोई भी गलत कदम उठाने से रोक लेती है।
कैसे, एक प्यारी- सी कहानी के माध्यम से जानते हैं-
एक संत थे। कई वर्षों से ईश्वर और ब्रहज्ञान की प्राप्ति के लिए वन में रहकर तप कर रहे थे। उन्होंने संसार तो त्याग ही दिया था, धीरे- धीरे अन्न, फिर जल भी त्याग दिया। संत महाराज ने सारे प्रयास कर लिए, पर उन्हें वह दिव्य ज्ञान ना मिला, जिसकी उन्हें तलाश थी। अंततः उनका विश्वास हिल गया और वह पागलों की तरह भटकने लगे। जहां ठिकाना मिल जाता, रूक जाते, आहार मिलता, खा लेते फिर आगे चल पड़ते। उन्हें समझ ही ना आता कि अब वो करें तो क्या करें।
बेटा! तुम तो चोरी करने निकले होगे
ऐसे ही एक रात वे एक गांव में पेड़ के नीचे भूखे- प्यासे, निराश्रित पड़े थे। तब एक चोर ने उनसे पूरा हाल सुना और बोला- महाराज! आपकी दशा बहुत खराब हो रही है। मैं चोर हूं, यदि आपको आपत्ति ना हो, तो मेरे घर चलकर स्वास्थ्य लाभ कर लें। संत उसके घर चल पड़े। घर पहुंच कर उन्होंने कहा कि बेटा! तुम तो चोरी करने निकले होगे। मेरे कारण तुम्हारा काम प्रभावित हुआ। चोर हंसकर बोला- बाबाजी! उसकी क्या चिंता। जब वो चाहेगा, हो जाएगा। महात्मा जी उसकी बात सुनकर हैरान रह गए। इसी तरह पांच दिन बीत गए। चोर रोज रात में चोरी करने जाता और खाली हाथ आता। महाराज जब पूछते कि फिर खाली हाथ हो, तो वह हंस कर कहता- जब वो चाहेगा, हो जाएगा। छठवें दिन उसने बड़ा हाथ मारा। इतना धन देखकर बाबाजी ने कहा- आज तो तुम्हारा काम बन गया। आज भी चोर हंसकर बोला- उसने चाहा, तो हो गया। जब वो चाहता है, सब होता है।
'तुम हो एक चोर और असल ज्ञान मैंने तुमसे पाया'
उसकी बातें सुनकर संत की आंखों से आंसू बह निकले। उन्होंने कहा- बेटा! तुम हो एक चोर और असल ज्ञान मैंने तुमसे पाया। मेरी सारी विद्या, ज्ञान एक तरफ और तुम्हारा विश्वास उन सब पर भारी। मैं इतनी- सी बात ना समझ सका कि प्रयास करना हमारे हाथ में है, फल देना उसके हाथ में। तुमने बिल्कुल सही कहा- जब वो चाहता है, तभी सब संभव होता है। आज तुमने मुझे रास्ता दिखा दिया। इसके बाद महात्मा जी ने उस चोर से विदा ली और वापस तपस्या में जुट गए। वो समझ चुके थे, जब वो चाहेगा, हो जाएगा।
शिक्षा
दोस्तों, याद रखें, यह सृष्टि उस अंतर्यामी की लीला है और हम सब उसकी संतानें। वह हर पल केवल हमारी भलाई के उपक्रम में लगा है। इसलिए देर- सवेर वह आपकी खबर भी जरूर लेगा। उस अनंत शक्ति पर भरोसा रखें और प्रयास करते रहें। अपना अमूल्य जीवन दांव पर ना लगाएं क्योंकि जब वह चाहेगा, आपकी इच्छा अवश्य पूरी करेगा।
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