Inspirational Story: आज की बचत, कल की सुरक्षा
नई दिल्ली। बचत एक ऐसी आदत है, जो आज अगर अपना ली जाए, तो कल आवश्यकता पड़ने पर आपका सबसे बड़ा सहारा बन सकती है। बचत को सिर्फ पैसे से जोड़ कर ना देखें, यह जीवन के हर पहलू में भावी जीवन का सशक्त आधार बन कर आपकी सहायक हो सकती है। धार्मिक रूप से देखें, तो आज आप ईश्वर की शरण लेते हैं, तो कल ईश्वर आपको मुश्किलों से तार लेंगे, ये विश्वास आप पाते हैं।
सामाजिक रूप से देखें, तो आज आप दूसरे की मदद करते हैं, तो एक तरफ आप समाज में इज़्जत पाते हैं और बहुत ही जादुई तरीके से यही मदद आपकी जरूरत के समय आप तक लौटती है। तभी तो मुश्किलों से बच निकलने पर आम तौर पर सुनने को मिलता है, कोई पुण्य काम आ गया। रिश्तों के मामले में देखें, तो आज आप अपनों के काम आते हैं, तो कल मुसीबत पड़ने पर आपके अपने आगे बढ़कर आपका हाथ थाम लेते हैं। कुल मिलाकर बचत चाहे जिस मद में की जाए, आपके लिए फायदेमंद ही साबित होती है। वैसे बचत का आम अभिप्राय पैसों को जोड़कर रखने के लिए होता है।
तो आज पैसों की बचत पर ही बात करते हैं और एक रोचक कहानी की चर्चा करते हैं-
किसी समय एक नगर में एक धनाढ्य सेठ रहता था। उसके पास इतना धन था कि राज्य का कोषागार भी मुकाबला नहीं कर सकता था। सेठ के पास जितना धन था, उससे बढ़कर उसके चर्चे थे। सेठ की पत्नी सीधी-सादी थी। उनके 2 बेटे, 2 बहुएं थीं। परिवार हर तरह से सुखी और संपन्न था। सेठानी का पूजा-पाठ में बहुत मन रमता था। उनकी एक आदत थी कि रोज पूजा से उठने के बाद वे सबसे पहले गोबर का एक उपला बनाती और शाम को सूखने पर उसे एक कमरे में रख देतीं। इन उपलों का इस्तेमाल वे जलाने में कभी ना करतीं। इस तरह उनके बनाए उपलों से दो कमरे भर चुके थे। सभी उनकी इस आदत से परेशान थे, पर वे किसी की ना सुनती।
सेठ के विरोधियों ने राजा के कान भर दिए
कहते हैं कि समय का पहिया सदा एक सा नहीं चलता। एक बार सेठ के विरोधियों ने राजा के कान भर दिए कि वह धन के बल पर राज्य हड़प लेने की योजना बना रहा है। राजा ने तुरंत ही सेठ की सारी संपत्ति कुर्क करने के आदेश दे दिए। राज्य कर्मचारी घर का सारा सामान तक उठा ले गए। इस घटना से सेठ टूट गए, पर सेठानी हमेशा यही कहती कि थोड़ा धीरज रखिए। समय हमेशा एक सा नहीं रहता। इस घटना को छह महीने बीत गए, इस बीच घर के सारे खर्च की व्यवस्था सेठानी ही करती रही। एक दिन उन्होंने सेठ और बेटे-बहुओं को बुलाकर कहा कि अब हमारे विरोधी हमें भूल गए हैं। अब सही वक्त है, हमें अपना व्यापार वापस शुरू करना चाहिए। उसकी बात पर सेठ हैरान रह गए और बोले कि व्यापार के लिए पैसा चाहिए होता है। हमें तो यह तक नहीं पता कि घर का खर्च कैसे चल रहा है और तुम व्यापार की बात करती हो। सेठानी ने हंसकर कहा कि पैसे मैं देती हूं ना।
बंद कमरों से दो उपले उठा लाओ
इसके साथ ही सेठानी ने अपनी दोनों बहुओं को चाभी देते हुए कहा कि बंद कमरों से दो उपले उठा लाओ। दोनों बहुएं दो उपले उठा लाईं तो सेठानी ने उसे दोनों बेटों को देते हुए कहा कि बेटा, इसे तोड़ दो। दोनों बेटों ने जब उपले तोड़े, तो उसमें से सोने की एक-एक मोहर निकली। सोने की मोहर देख सब हैरान रह गए। अब सेठानी ने कहा कि समझ में आया? मैं उपले क्यों बनाती थी? क्यों तुम लोगों के नाराज होने पर भी मैंने उपले बनाना बंद ना किया? कैसे हमारे घर का खर्च बिना संकट चल रहा है? बुरा वक्त कभी बता कर नहीं आता, इसी दिन के लिए मैं बचत करती रही। सेठ, दोनों बेटों और बहुओं के मुंह खुले के खुले रह गए। उन्हें अब समझ आया कि गोबर के उपले को किसी काम का ना मान राज्य कर्मचारियों ने कुर्क भी ना किया और अब उनके पास दो कमरे भरकर सोने की मोहरें थीं।
बचत का पहले ध्यान रखेंगे
सेठानी की चतुराई देख सेठ खुशी से रो पड़े और बहु-बेटों ने उनके पैर पकड़ लिए। सबने वचन दिया कि अब से वे भी बचत का पहले ध्यान रखेंगे। उसके बाद थोड़ा-थोड़ा धन निकालकर परिवार ने छोटे स्तर पर व्यापार वापस शुरू किया और शीघ्र ही अपना वैभव पा लिया।
एक-एक रूपया जोड़ेंगे तो कल खुश रहेंगे
तो देखा आपने, सेठानी की बचत की आदत ने कैसे पूरे परिवार को भंवर से निकाल लिया। यही बचत का मुख्य प्रभाव है। आज आप एक-एक रूपया जोड़ेंगे, कल वह आपके लिए एक बड़ी संपत्ति के रूप में सामने आएगा और आपको मुश्किल में ऐसे बचा लेगा कि आप भी हैरान रह जाएंगे। तो आज से ही बचत शुरू करें, चाहे कम या ज्यादा, पर बचाएं और बचा सकें तो जीवन के हर पहलू में सब कुछ जोड़ते चलें। क्या पता, कल किस चीज की जरूरत पड़ जाए और किस वक्त क्या आपके काम आ जाए।
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