जानिए अपनी सही आयु, यही है खुश रहने का असली मंत्र
नई दिल्ली। जीवन एक सतत् चलने वाली निश्चित प्रक्रिया है। हमारे जीवन को जीने का एक क्रम निश्चित-सा हो गया है। हर व्यक्ति जन्म लेता है, अपनी आवश्यकता के अनुरूप धन अर्जित करना सीखता है, विवाह करता है और फिर अपनी पारिवारिक जिम्मेदारियों को पूरा करने में लग जाता है। लगभग यही क्रम हर मनुष्य के जीवन में चलता है।
पर क्या जीवन यहीं तक है? क्या जीवन का प्राप्य यही है? आखिर हमें यह जीवन क्यों मिला है? क्या हमें अपने जीवन को सार्थक बनाने के लिए कुछ विशेष उपाय करने चाहिए?
यह प्रयास क्या हो सकते हैं, आइए, एक कथा के माध्यम से जानते हैं-
एक राजा था। वह स्वभाव से जिज्ञासु था। उसके गुरु ने उसे सिखाया था कि अगर कुछ नया सीखना है, तो क्रोध को त्याग दो और धैर्य को अपना लो। यही वह राह है, जो तुम्हें ज्ञान के अपरिमित संसार तक ले जा सकती है। राजा ने गुरु की बात गांठ में बांध ली थी। वह समय-समय पर वेश बदलकर अपने राज्य में घूमा करता था और किसी-ना-किसी से मिलकर कुछ नया जानने, सीखने की कोशिश करता था।
राजा को एक वृद्ध व्यक्ति दिखाई पड़ा
एक बार ऐसे ही भ्रमण के दौरान राजा को एक वृद्ध व्यक्ति दिखाई पड़ा। उस व्यक्ति के चेहरे पर एक तेज था और बहुत वृद्ध होने के बाद भी उसमें एक स्फूर्ति थी। उस आकर्षण से प्रभावित होकर राजा उस वृद्ध के पास पहुंचा। राजा ने उसका अभिवादन कर कहा- महोदय! आपकी आयु के मुकाबले आपका उत्साह प्रशंसनीय है। क्या मैं जान सकता हूं कि आपकी आयु कितनी है? उस वृद्ध ने मुस्कुराकर जवाब दिया- चार वर्ष। उसकी बात सुनकर राजा चौंक गए। उन्होंने वापस से अपना प्रश्न दोहराया कि मैं आपकी वास्तविक आयु जानना चाहता हूं। वृद्ध ने उतनी ही शांति से कहा- मेरी आयु 4 वर्ष है। राजा को क्रोध आ गया, पर उन्होंने धैर्य रखते हुए कहा- महाशय! देखने में तो आप मुझे 70 वर्ष के मालूम होते हैं, पर आपके मुख की कांति, प्रसन्नता और शांति आकर्षक है। इससे प्रभावित होकर ही मैं आपसे यह प्रश्न पूछने आया था, पर आपका उत्तर मुझे भ्रमित कर रहा है। क्या आप मेरी उत्सुकता का समाधान नहीं करेंगे?
मेरी सांसारिक आयु 74 वर्ष ही है
राजा की बात सुनकर वृद्ध ने कहा- आप बिलकुल सत्य कह रहे हैं श्रीमान्! मेरी सांसारिक आयु 74 वर्ष ही है, लेकिन मेरी असली आयु मात्र 4 वर्ष है। इसका कारण यह है कि अपनी आयु के 70 वर्ष तो मैंने शिक्षा, धनार्जन, विवाह और परिवार के पालन- पोषण में व्यतीत कर दिए। अभी 4 वर्ष पहले मैंने एक सद्गुरु से ज्ञान पाया कि मनुष्य की असली आयु मात्र वही होती है, जो वह परमात्मा के ध्यान, तप, दूसरों के कल्याण में लगाता है। तब से ही मेरा जीवन बदल गया और मैं परम पिता और उसकी संतानों की सेवा में लग गया। इस तरह मेरी असली आयु मात्र 4 वर्ष ही है।
अभी से ही अपनी असली आयु जीने का प्रयास किया जाए
राजा को उसकी बात जंच गई और उसने तुरंत ही निर्णय लिया कि 70 के बाद क्यों, अभी से ही अपनी असली आयु जीने का प्रयास किया जाए। इसके बाद से वह मानव मात्र की भलाई और परमात्मा की सेवा में जुट गया। उसे जीवन का असली प्राप्य मिल गया था।
शिक्षा
तो दोस्तों, जीवन अंगुलियों पर गिनने वाली गणना नहीं है। यह गणित की कोई पहेली नहीं है। जीवन जीने का नाम है, जन्म को सार्थक करने का नाम है। तो आप हिसाब लगाइए कि आपकी असली आयु क्या है?
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