Inspirational Story: 50 रुपए का नोट और वृद्धा की मदद
नई दिल्ली। किसी जरूरतमंद की मदद करना दुनिया में सबसे बड़ा पुण्य माना जाता है। संसार में एक से बढ़कर एक समाजसेवी भी हैं, जो तन- मन- धन से जी भरकर दुखियों की मदद करते हैं। इनकी महानता देखकर सभी का मन श्रद्धा से भर जाता है, लेकिन जिनके पास इतना सामर्थ्य नहीं है, उनके मन में यह बात भी आती है कि काश! हम भी इनके समान दुखियों के दुख बांट पाते। यदि ऐसा ही कोई विचार आपके मन में भी आ रहा है।
तो आज एक कहानी से जानिए कि आप अपनी इच्छा कैसे पूरी कर सकते हैं
एक भीड़ भरे चौराहे के किनारे बिजली के खंभे पर हाथ से लिखा नोटिस लगा हुआ था। अपनी गति से दौड़ते हुए शहर में किसी के पास वक्त था, तो कोई भाग रहा था। ऐसे ही माहौल में एक व्यक्ति का ध्यान उस नोटिस पर गया। उसने एक मिनट का समय निकालकर नोटिस पढ़ा। नोटिस में लिखा था, मैं बहुत गरीब, असहाय, अनाथ 80 साल की वृद्धा हूं। कल मेरा 50 का नोट इसी जगह पर गिर गया था। वही नोट मेरी एकमात्र पूंजी था। मैं कल से उस नोट का ढूंढ-ढूंढ कर परेशान हो गई हूं। मैं सामने वाली गली के अंतिम मकान के खंडहर में रहती हूं। यदि किसी भले मानस को मेरा नोट मिले, तो मुझ तक पहुंचाने की कृपा करे। मुझ पर बहुत अहसान होगा।
नोटिस को पढ़कर उसके मन में दया जागी
वह व्यक्ति दिन भर के काम से थका-मांदा अपने घर लौट रहा था। इस नोटिस को पढ़कर उसके मन में दया जागी। उसने सोचा कि घर 5 मिनट देर से चला जाउंगा। क्यों ना उस वृद्धा को अपनी तरफ से 50 का नोट दे दूं। ऐसा सोचकर वह सामने वाली गली के अंतिम जर्जर मकान के सामने जा पहुंचा। वहां पहुंचकर उसने वाकई एक जीर्ण-शीर्ण वृद्धा को बुरी हालत में पाया। उसकी अंतरात्मा ने कहा कि इस मां की मदद करना एकदम उचित है। उसने कहा- मां! आपका नोट कल चौराहे पर गिर गया था ना। वह मुझे मिल गया था, सो मैं उसे लौटाने आया हूं। यह लो अपना नोट।
वृद्धा रोने लगी और बोली- बेटा! मैं भिखारी नहीं हूं
उसकी बात सुनकर वह वृद्धा रोने लगी और बोली- बेटा! मैं भिखारी नहीं हूं। मैंने कभी किसी से पैसे नहीं मांगे, पर आज जाने क्या हुआ है, सुबह से कितने ही लोग मुझे 50 रुपए देकर जा रहे हैं। मेरा कोई नोट नहीं खोया है। मेरी दुर्दशा देखकर शायद किसी भले मानस ने कहीं कुछ लिखा है, ऐसा सब बता रहे हैं। तुम अपना पैसा ले जाओ और उस कागज को फाड़ दो। सुबह से लोग मेरे लिए परेशान हो रहे हैं। उस व्यक्ति ने कहा- ठीक है मां, पर ये नोट आप जरूर ही रख लें। मुझे बहुत खुशी होगी। वृद्धा ने उसे आशीर्वाद देते हुए पैसा रख लिया।
असहाय वृद्धा को जीने का आसरा दिया
वापसी में वह व्यक्ति उसी चौराहे पर नोटिस के सामने रूका, पर उसे फाड़ा नहीं, बल्कि उस अनजान व्यक्ति को मन- ही- मन दुआ दी, जिसने एक 50 के नोट की राह खोलकर उस असहाय वृद्धा को जीने का आसरा दिया।
मदद नीयत से होती है
तो दोस्तों, मदद नीयत से होती है। उसके लिए अपार धन या बल की जरूरत नहीं होती। किसी असहाय की मदद के लिए चाहिए होता है केवल एक संवेदनशील हृदय। मदद छोटी या बड़ी नहीं होती, वह बस किसी व्यक्ति के मन का बड़प्पन होती है, जो दूसरों को समभाव से, सहानुभूति से देखता है। तो जब भी, जैसे भी संभव हो, किसी की मदद करें। क्या पता, आपकी छोटी- सी मदद दूसरे के लिए बड़ा संबल बन जाए।
यह पढ़ें: जानिए अपनी सही आयु, यही है खुश रहने का असली मंत्र