Holika Dahan 2020: होलिका दहन कब कैसे करें
नई दिल्ली। फाल्गुन पूर्णिमा 9 मार्च 2020, सोमवार को होलिका दहन किया जाएगा। होलिका दहन का विशेष महत्व और विशेष विधि होती है। इसका पूजन विधि-विधान से किया जाना चाहिए। इस बार होलिका दहन में भद्रा का साया नहीं रहेगा। होलिका दहन सोमवार को होना सुख-शांतिकारक है।
होलिका दहन का समय
फाल्गुन पूर्णिमा 9 मार्च को पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र में विद्वान ब्राह्मण को सविधि शैय्यादान करने का बड़ा महत्व है। होलिका दहन सायंकाल प्रदोषकाल 6 बजकर 30 मिनट से 8 बजकर 57 मिनट तक की अवधि में करना चाहिए। सूखी लकड़ी, गोब के पिंडों से युक्त होलिका को प्रज्जवलित कर अस्माभिर्भयसंत्रस्तेः कृता त्वं होलिके यतः। अतस्त्वां पूजयिष्यामि भूते भूतिप्रदाभव।। ऊं होलिकायै नमः।इस मंत्र से पूजन करें। अग्नि की तीन परिक्रमा करें।
यह पढ़ें: Shani Pradosh vrat 2020 : शनि पुष्य के दुर्लभ संयोग में आ रहा है शनि प्रदोष व्रत
ऋतु परिवर्तन
होली की अग्नि में गेहूं की बाली व चने के होलों नवान्न को सेंककर अग्नि व भस्म घर पर लाएं। दहन के समय पूर्व, उत्तर, ईशान या पश्चिम की वायु चले तो सुभिक्षता बनी रहेगी, होली की ज्वाला सीधी आकाश में जाए तो अशुभप्रद है। इससे अनायास ही ऋतु परिवर्तन होता दिखाई देगा।
होलिका दहन स्थल की पांच परिक्रमा करें
होलिका दहन के दूसरे दिन प्रातःकाल एक कलश में जल भरकर होलिका दहन स्थल की पांच परिक्रमा करते हुए जल की धारा छोड़ते जाएं। एक नारियल भी अर्पित करें। कलश में से थोड़ा सा जल बचा लें और उसे घर लाकर सब तरफ छिड़काव करें। इससे नकारात्मक उर्जा से मुक्ति मिलती है।
होलिका भस्म का क्या करें
- होलिका की भस्म बहुत काम की होती है। इस भस्म को अपने मस्तक और कंठ पर लगाने से वर्षभर रोगों से मुक्ति मिलती है। बुरी और नकारात्मक शक्तियों से रक्षा होती है।
- होलिका दहन की भस्म को रोगियों के शरीर पर लगाने से रोग दूर होते हैं।
यह पढ़ें: Shani Pradosh vrat 2020 : 2 घंटे 21 मिनट के लिए बनेगा शनि-पुष्य का योग