'इंटरनेट पर लोकप्रिय हो हिंदी साहित्य'
यह बात समकालीन हिंदी साहित्य के सशक्त हस्ताक्षर और जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय में हिंदी विभाग के प्रोफेसर असगर वजाहत ने कही।
डा वजाहत ने कहा है कि इंटरनेट के जरिए हिंदी को विश्व के विभिन्न हिस्सों से जोड़ा जाना चाहिए। इसके लिए इंटरनेट पर हिंदी साहित्य को लोकप्रिय बनाने की जरूरत है।
राजधानी स्थित गांधी शांति प्रतिष्ठान के सभागार में 'हिंद-युग्म' संस्था की ओर से इंटरनेट पर हिंदी भाषा, साहित्य, कला और तकनीक मसले पर आयोजित कार्यक्रम में डा वजाहत ने इंटरनेट पर हिंदी को बढ़ावा देने पर जोर दिया।
कार्यक्रम में इंटरनेट पर हिंदी के प्रसार में ब्लॉगिंग के हस्तक्षेप पर भी चर्चा हुई। 'हिंद-युग्म' के संस्थापक शैलेश भारतवासी ने बड़ी संख्या में ब्लॉग जगत से जुड़ने की वकालत की।
इस मौके पर कहानीकार और अंतर्राष्ट्रीय हिंदी संस्था कथा के महासचिव तेजेन्द्र शर्मा और युवा कथाकार गौरव सोलंकी ने कथा पाठ किया। सोलंकी ने दो छोटी कहानियां 'डर के आगे' और 'तुम्हारी बांहों में मछलियां क्यो नहीं है' पढ़ीं, वहीं शर्मा ने 'पासपोर्ट' नामक कहानी का पाठ किया।