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Hartalika Vrat 2018: हरितालिका तीज का नाम क्यों पड़ा 'हरितालिका'?

By Pt. Anuj K Shukla
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लखनऊ। हरितालिका तीज का त्यौहार शिव और पार्वती के पुर्नमिलन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि मां पार्वती ने 107 जन्म लिए थे कल्याणकारी भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए। अंततः मां-पार्वती के कठोर तप के कारण उनके 108वें जन्म में भोले बाबा ने पार्वती जी को अपनी अर्धांगिनी के रूप में स्वीकार किया था। उसी समय से ऐसी मान्यता है कि इस व्रत को करने से माॅ र्पावती प्रसन्न होकर पतियों को दीर्घायु होने का आशीर्वाद देती है।

क्यों पड़ा हरितालिका तीज नाम?

क्यों पड़ा हरितालिका तीज नाम?

हरितालिका दो शब्दों से बना है, हरित और तालिका। हरित का अर्थ है हरण करना और तालिका अर्थात सखी। यह पर्व भाद्रपद की शुक्ल तृतीया को मनाया जाता है, जिस कारण इसे तीज कहते है। इस व्रत को हरितालिका इसलिए कहा जाता है, क्योकि पार्वती की सखी उन्हें पिता के घर से हरण कर जंगल में ले गई थी।

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मां पार्वती को प्रसन्न करने के मंत्र

मां पार्वती को प्रसन्न करने के मंत्र

  • ऊं उमाये नमः।
  • ऊं पार्वत्यै नमः।
  • ऊं जगद्धात्रयै नमः।
  • ऊं जगत्प्रतिष्ठायै नमः।
  • ऊं शांतिरूपिण्यै नमः।
  • भगवान शिव को प्रसन्न करने के मंत्र

    • ऊं शिवाये नमः।
    • ऊं हराय नमः।
    • ऊं महेश्वराय नमः।
    • ऊं शम्भवे नमः।
    • ऊं शूलपाणये नमः
    • ऊं पिनाकवृषेनमः।
    • ऊं पिनाकवृषे नमः।
    • ऊं पशुपतये नमः।
    • व्रत व पूजन में विशेष

      व्रत व पूजन में विशेष

      पूजन में गीली मिट्टी या बालू रेत। बेलपत्र, शमी पत्र, केले का पत्ता, धतूरे का फल, अकांव का फूल, मंजरी, जनैव, वस्त्र व सभी प्रकार के फल एंव फूल पत्ते आदि होने चाहिए।

      पार्वती मां के लिए सुहाग सामग्री
      मेंहदी, चूड़ी, काजल, बिंदी, कुमकुम, सिंदूर, कंघी, माहौर, बाजार में उपलब्ध सुहाग आदि। श्रीफल, कलश, अबीर, चन्दन, घी-तेल, कपूर, कुमकुम, दीपक, दही, चीनी, दूध, शहद व गंगाजल आदि उपलब्ध होना चाहिए।

      सर्वपंथम ‘‘उमामहेश्वरायसायुज्य सिद्धये हरितालिका व्रतमहं करिष्ये'' मन्त्र का संकल्प करके भवन को मंडल आदि से सुशोभित कर पूजा सामग्री एकत्रित करें।

      हरतिालिका पूजन प्रदोष काल में किया जाता है

      हरतिालिका पूजन प्रदोष काल में किया जाता है

      हरतिालिका पूजन प्रदोष काल में किया जाता है। प्रदोष काल अर्थात दिन-रात्रि मिलने का समय। संध्या के समय स्नान करके शुद्ध व उज्ज्वला वस्त्र धारण करें। तत्पश्चात पार्वती तथा शिव की मिट्टी से प्रतिमा बनाकर विधिवत पूजन करें। तत्पश्चात सुहाग की पिटारी में सुहाग की सारी सामग्री सजा कर रखें, फिर इन सभी वस्तुओं को पार्वती जी को अर्पित करें। शिव जी को धोती तथा अंगोछा अर्पित करें और तत्पश्चात सुहाग सामग्री किसी ब्राहम्णी को तथा धोती-अंगोछा ब्राहम्ण को दान करें। इस प्रकार पार्वती तथा शिव का पूजन कर हरितालिका व्रत कथा संनें। फिर सर्वप्रथम गणेश जी की आरती करें, फिर शिव जी और पार्वती जी की आरती करें। तत्पश्चात भगवान शिव की परिक्रमा करें। रात्रि जागरण करके सुबह पूजा के बाद माता पार्वती को सिन्दूर चढ़ायें। ककड़ी-हलवे का भोग लगांये और फिर उपवास तोड़े। अन्त में सारी सामग्री को एकत्रित करके एक गढढा खोदकर मिट्टी में दबा दें।

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Comments
English summary
Hartalika Tritiya Vrat, also referred to as Hartalika Teej Vrat or Hartalika Vrat, is an important ritual followed in order to honor Goddess Gauri or Goddess Parvati.
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