Hartalika Teej 2020: 'हरतालिका तीज' पर क्या करें और क्या ना करें?
नई दिल्ली। भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को 'हरतालिका तीज' का त्योहार मनाया जाता है , कहते हैं मां पार्वती ने जंगल में जाकर भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए कई सालों तक बिना पानी पिए लगातार तप किया था, जिसके बाद भगवान शिव ने उन्हें अपनी पत्नी के रूप में स्वीकारा था। उत्तर भारत में ये व्रत कुंवारी लड़कियां भी करती हैं, काशी के पंडित दिवाकर शास्त्री के मुताबिक इस बार तीज का पर्व काफी सुखद संयोग लेकर आया है और इस दिन का व्रत अखंड सौभाग्य प्रदान करने वाला और सुख-शांति देने वाला है।
ये व्रत बेहद कठिन माना जाता है, इसलिए इस व्रत के लिए कुछ खास बातों का ख्याल रखना बेहद जरूरी है...
जानिए इस दिन क्या करें
- वैसे तो हरतालिका तीज का व्रत 24 घंटे का निर्जल रखा जाता है लेकिन कुछ जगह महिलाएं पूजा करने के बाद पति के हाथों पानी पीकर अपना व्रत खोल देती हैं, तो कुछ लोग फलाहार भी करते हैं, जो भी कीजिए श्रद्दा के साथ कीजिए।
- इस दिन महिलाओं को 16 शृंगार करके भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा करनी चाहिए।
- भगवान शिव और माता पार्वती को रेशमी वस्त्र अवश्य अर्पित करें।
- हरतालिका तीज की पूजा प्रदोष काल में करनी चाहिए।
- शाम को पूजा के बाद पति के पैर छूकर उनका आर्शीवाद अवश्य लेना चाहिए।
- रात्रि जागरण अवश्य करें और भजन गाएं।
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क्या ना करें
- घर में मांसाहारी भोजन ना बनें।
- प्याज-लहसुन भी वर्जित माना जाता है।
- क्रोध और झगड़ा ना करें।
- गृह कलह और निंदा से बचें।
क्यों पड़ा 'हरतालिका तीज' नाम?
हरितालिका दो शब्दों से बना है, हरित और तालिका। हरित का अर्थ है हरण करना और तालिका अर्थात सखी। यह पर्व भाद्रपद की शुक्ल तृतीया को मनाया जाता है, जिस कारण इसे तीज कहते है। इस व्रत को 'हरतालिका तीज' इसलिए कहा जाता है, क्योंकि मां पार्वती को उनकी सखी ने उनके पिता हिमालय के घर से हरण कर जंगल में ले गई थीं।
तपस्या और निष्ठा का व्रत तपस्या
इस व्रत का खास तौर पर उत्तर भारत में विशेष मान है। कहते हैं इस व्रत को करने से सात जन्मों तक महिलाओं को उनके पति सात जन्मों तक मिलते हैं।निष्ठा के साथ स्त्रियां यह व्रत रखती है, ये व्रत बड़ा कठिन है, क्योंकि ये व्रत बिना पानी के रखा जाता है।
माता पार्वती को प्रसन्न करने के लिए मंत्र
- ॐ शिवाये नम:।
- ॐ उमाये नम:।
- ॐ पार्वत्यै नम:।
- ॐ जगद्धात्रयै नम:।
- ॐ जगत्प्रतिष्ठायै नम:।
- ॐ शांतिरूपिण्यै नम:।
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