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Hartalika Teej 2020 Subh Muhurat: कब है 'हरतालिका तीज', जानिए पूजा का शुभ मुहूर्त?

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नई दिल्ली। भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को ' हरतालिका तीज' का त्योहार मनाया जाता है, इस बार ' हरतालिका तीज' 21 अगस्त को मनाई जाएगी। कहते हैं मां पार्वती ने जंगल में जाकर भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए कई सालों तक बिना पानी पिए लगातार तप किया था, जिसके बाद भगवान शिव ने उन्हें अपनी पत्नी के रूप में स्वीकारा था।

' हरतालिका तीज' का शुभ मुहूर्त

' हरतालिका तीज' का शुभ मुहूर्त

  • प्रातःकाल मुहूर्त- सुबह 5 बजकर 53 मिनट से सुबह 8 बजकर 29 मिनट तक
  • अवधि: 2 घंटे 36 मिनट
  • हरतालिका तीज पूजा मुहूर्त- शाम 6 बजकर 54 मिनट से रात 9 बजकर 6 मिनट तक

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क्यों पड़ा ' हरतालिका तीज' नाम?

क्यों पड़ा ' हरतालिका तीज' नाम?

'हरतालिका' दो शब्दों से बना है, हरित और तालिका। हरित का अर्थ है हरण करना और तालिका अर्थात सखी। यह पर्व भाद्रपद की शुक्ल तृतीया को मनाया जाता है, जिस कारण इसे तीज कहते है। इस व्रत को 'हरितालिका तीज' इसलिए कहा जाता है, क्योंकि मां पार्वती को उनकी सखी ने उनके पिता हिमालय के घर से हरण कर जंगल में ले गई थीं।

तपस्या और निष्ठा का व्रत तपस्या

तपस्या और निष्ठा का व्रत तपस्या

इस व्रत का खास तौर पर उत्तर भारत में विशेष मान है। कहते हैं इस व्रत को करने से सात जन्मों तक महिलाओं को उनके पति सात जन्मों तक मिलते हैं।निष्ठा के साथ स्त्रियां यह व्रत रखती है, ये व्रत बड़ा कठिन है, क्योंकि ये व्रत बिना पानी के रखा जाता है।

पूजन विधि

पूजन विधि

वैसे तो ' हरतालिका तीज' पूजन प्रदोष काल में किया जाता है, प्रदोष काल अर्थात दिन-रात्रि मिलने का समय। व्रत रखने वाली महिलाएं स्नान करके शुद्ध व उज्ज्वला वस्त्र धारण करें। तत्पश्चात पार्वती और शिव की मिट्टी से प्रतिमा बनाकर विधिवत पूजन करें। सुहाग की सारी सामग्री सजा कर रखें, फिर इन सभी वस्तुओं को पार्वती जी को अर्पित करें, शिव जी को धोती तथा अंगोछा अर्पित करें और तत्पश्चात सुहाग सामग्री किसी ब्राहम्णी को और धोती-अंगोछा ब्राहम्ण को दान करें।

इस मंत्र से करें पूजा

ऊँ उमायै नम:, ऊँ पार्वत्यै नम:, ऊँ जगद्धात्र्यै नम:, ऊँ जगत्प्रतिष्ठयै नम:, ऊँ शांतिरूपिण्यै नम:, ऊँ शिवायै नम:।

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Comments
English summary
Hartalika Tritiya Vrat, also referred to as Hartalika Teej Vrat or Hartalika Vrat, is an important ritual followed in order to honor Goddess Gauri or Goddess Parvati.
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