Balaram Jayanti 2020: पुत्र की लंबी उम्र के लिए रखा जाता है 'हलछठ' व्रत
नई दिल्ली। पुत्र की प्राप्ति और संतान की लंबी उम्र के लिए रखा जाने वाला व्रत 'ललई छठ' आज मनाया जा रहा है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण के बड़े भाई का जन्म हुआ था इसलिए इसे 'बलराम जयंती' के भी नाम से जाना जाता है। बलराम जी का पसंदीदा शस्त्र हल है इस कारण इसे 'हल छठ' भी कहते हैं।
इस दिन हल की पूजा होती है
इस दिन हल की पूजा होती है इसलिए हल से जुती हुई चीजों यानी अनाज व सब्जियों का भोग नहीं लगाते है, इस दिन महिलाएं तालाब में उगे हुए फलों या चावल खाकर व्रत करती हैं, इस व्रत में गाय के दूध या दूध से बनी हुइ कोई भी चीज का सेवन नहीं किया जाता हैं।
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खास बातें
शास्त्रों के अनुसार बलराम (बलभद्र) भगवान वासुदेव के ब्यूह या स्वरूप हैं। बलराम का जन्म यदूकुल के चंद्रवंश में हुआ था। कंस ने अपनी प्रिय बहन देवकी का विवाह यदुवंशी वासुदेव से विधिपुर्वक कराया था। जब कंस अपनी बहन को रथ में बैठा कर वासुदेव के घर ले जा रहा था तभी आकाशवाणी हुई कि उसकी बहन की आठवीं संतान ही उसे खत्म करेगी। जिसके बाद कंस ने अपनी बहन को कारागार में बंद कर दिया था और उसके 6 पुत्रों को मार दिया, 7वें पुत्र के रूप में नाग के अवतार बलराम जी थे जिसे श्री हरि ने योगमाया से रोहिणी के गर्भ में स्थापित कर दिया। इन्हें शेषनाग का अवतार भी कहते हैं।
बलभद्र या बलराम श्री कृष्ण के सौतेले भाई कहलाए...
इसलिए बलभद्र या बलराम श्री कृष्ण के सौतेले भाई कहलाए इनके सगे सात भाई और एक बहन सुभद्रा थी जिन्हें चित्रा भी कहते हैं। इनका ब्याह रेवत की कन्या रेवती से हुआ था। कहते हैं, रेवती 21 हाथ लंबी थीं और बलभद्र जी ने अपने हल से खींचकर इन्हें छोटी किया था। इन्हें नागराज अनंत का अंश भी कहा जाता है।
ये गदायुद्ध में प्रवीण थे
ये गदायुद्ध में प्रवीण थे, घृतराष्ट्र पुत्र दुर्योधन इनका ही शिष्य था। इसी से कई बार इन्होंने जरासंध को पराजित किया था। श्रीकृष्ण के पुत्र शांब जब दुर्योधन की कन्या लक्ष्मणा का हरण करते समय कौरव सेना द्वारा बंदी कर लिए गए तो बलभद्र ने ही उन्हें छुड़ाया था।
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