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Guru Purnima 2020 : जो प्रकाश की ओर ले जाए, वही है गुरु

By Pt. Gajendra Sharma
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नई दिल्ली। सनातन संस्कृति में गुरु का दर्जा ईश्वर से भी ऊपर माना गया है, क्योंकि गुरु ही मनुष्य को ईश्वर तक पहुंचने का मार्ग दिखाता है। हमारी संस्कृति में मां को सबसे पहली गुरु माना गया है, उसके बाद पिता, शिक्षक और इस प्रकार अन्य गुरुओं का स्थान आता है। गुरु ही किसी मनुष्य को सही मार्ग दिखाकर उसके मोक्ष का मार्ग प्रशस्त करता है। गुरु का ऋण कभी चुकाया नहीं जा सकता, लेकिन एक दिन ऐसा होता है जिस दिन गुरु के प्रति सम्मान प्रकट किया जाता है। यह दिन होता है गुरु पूर्णिमा का दिन।

गुरु पूर्णिमा 5 जुलाई को है

गुरु पूर्णिमा 5 जुलाई को है

आषाढ़ माह की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है। इस वर्ष गुरु पूर्णिमा 5 जुलाई 2020 रविवार को आ रही है। इस दिन अपने गुरु का पूजन कर उनका आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है। गुरु पूजा का यह दिन इसलिए निर्धारित किया गया है क्योंकि इस दिन महर्षि वेद व्यास का जन्मदिवस भी होता है। महर्षि वेद व्यास ही महान ग्रंथ महाभारत के रचयिता हैं। वेद व्यास ही सभी 18 पुराणों का रचयिता भी हैं। उन्हें आदिगुरु कहा जाता है इसलिए उनके नाम से इस पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा भी कहा जाता है।

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क्यों बनाना चाहिए गुरु

क्यों बनाना चाहिए गुरु

वस्तुत: देखा जाए तो गुरु शब्द दो अक्षरों से मिलकर बना है। 'गु" का अर्थ है अंधकार और 'रु" का अर्थ है प्रकाश। जो हमें अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाए, मूढ़ता से बुद्धि की ओर ले जाए, जड़ता से चैतन्यता की ओर ले जाए, गलत से सही की ओर ले जाए वही गुरु है। गुरु किसी हाड़-मांस के इंसान का नाम नहीं है, गुरु एक जीवंत ज्योति है, फिर वह चाहे कोई इंसान हो या प्रकृति। भगवान दत्तात्रेय ने अपने जीवन में 24 गुरु बनाए थे, जिनमें पृथ्वी, पशु-पक्षी, पेड़-पौधे को भी उन्होंने गुरु माना था। अधिकांश लोग पूछते हैं कि गुरु क्यों बनाना चाहिए। तो इसका सीधा सा उत्तर ब्रह्मलीन स्वामी अखंडानंद महाराज देते हैं कि जब तक तुम्हें जरूरत नहीं है तब तक गुरु बनाना आवश्यक नहीं है। जब भीतर से आवाज आए कि कोई गुरु होना चाहिए, तभी गुरु बनाएं। कुछ शास्त्रों में कहा गया है जो साधक मंत्र सिद्धि या अन्य साधनाएं करने की कामना रखता है, उन्हें गुरु दीक्षा अवश्य लेना चाहिए। बिना गुरु दीक्षा के साधना में सफलता नहीं मिलती।

कैसे करें गुरु पूजन

यदि आपके गुरु जीवित हैं तो गुरु पूर्णिमा के दिन उनके पास जाकर जल से उनके चरण पखारें और कुमकुम, चावल, चंदन, पुष्प आदि से पाद पूजन करें। गुरु के पास कोई भेंट अवश्य लेकर जाएं। सामान्य दिनों में भी यदि आप गुरु से मिलने जा रहे हैं तो खाली हाथ नहीं जाना चाहिए। गुरु को अपनी क्षमतानुसार वस्त्र, उनकी आवश्यकता का सामान, मिष्ठान्न्, फल आदि भेंट करें। यह भेंट गुरु दक्षिणा के रूप में होती है। उनका आशीर्वाद प्राप्त करें। यदि आपके गुरु जीवित नहीं हैं तो उनकी चरण पादुका या फोटो, प्रतिमा की पूजा करें। उनके नाम से गरीबों को वस्त्र-अन्न् आदि भेंट करें।

गुरु पूर्णिमा पर चंद्र ग्रहण

गुरु पूर्णिमा पर चंद्र ग्रहण

आषाढ़ पूर्णिमा पर 5 जुलाई को मांद्य चंद्र ग्रहण होगा। भारतीय समय के अनुसार इसका स्पर्श सुबह 8.37 बजे और मोक्ष दिन में 11.22 बजे होगा। इस ग्रहण की कुल अवधि 2 घंटे 45 मिनट होगी। यह ग्रहण भारत, ऑस्ट्रेलिया, ईराक, ईरान, रूस, चीन को छोड़कर अन्य देशों में नजर आएगा। इस ग्रहण का धार्मिक दृष्टि से कोई महत्व नहीं है। इसमें किसी प्रकार का नियम, सूतक आदि मान्य नहीं होगा।

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English summary
Guru Purnima is celebrated on the full moon day (Purnima) in the Hindu month of Ashadha (June–July) of the Shaka Samvat, as it is known in the Hindu calendar of India and Nepal.
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