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Gupt Navratri 2019: दस महाविद्याओं को साधने का पर्व है गुप्त नवरात्रि

By Gajendra Sharma
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नई दिल्ली। प्रत्येक हिंदू वर्ष में चार नवरात्रियां आती हैं, जिनमें से दो प्रकट और दो गुप्त होती हैं। चैत्र और आश्विन माह में प्रकट नवरात्रि तथा माघ और आषाढ़ माह में गुप्त नवरात्रि आती हैं। इस बार आषाढ़ी गुप्त नवरात्रि 3 से 10 जुलाई तक रहेगी। गुप्त नवरात्रियों का महत्व प्रकट नवरात्रियों से भी अधिक होता है। ये दिन देवी की साधना करने वाले साधकों के लिए महत्वपूर्ण होते हैं। इन दिनों में विभिन्न् प्रकार की सिद्धियां प्राप्त की जाती हैं। दस महाविद्याओं की साधना करके उनसे आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है।

गुप्त नवरात्रि के दौरान दस महाविद्याओं की साधना करें

गुप्त नवरात्रि के दौरान दस महाविद्याओं की साधना करें

मान्यता है कि सामान्य गृहस्थ साधक भी यदि योग्य गुरु के मार्गदर्शन में गुप्त नवरात्रि के दौरान दस महाविद्याओं की साधना करें तो वह समस्त प्रकार के सांसारिक सुख, ऐश्वर्यशाली जीवन, मान-सम्मान, पद, प्रतिष्ठा, भूमि, संपत्ति हासिल कर सकता है। ये दस महाविद्याएं हैं काली, तारा, त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी, छिन्न्मस्ता, त्रिपुर भैरवी, धूमावती, बगलामुखी, मातंगी और कमला। प्रवृति के अनुसार दस महाविद्या के तीन समूह हैं। पहला- सौम्य कोटि (त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी, मातंगी, कमला), दूसरा- उग्र कोटि (काली, छिन्न्मस्ता, धूमावती, बगलामुखी), तीसरा- सौम्य-उग्र कोटि (तारा और त्रिपुर भैरवी)। साधक अपने गुरु की आज्ञा और मार्गदर्शन में गुप्त नवरात्रि के दौरान देवी के इन स्वरूपों की साधना और इनके मंत्र जप कर सकता है।

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क्या अंतर है सामान्य और गुप्त नवरात्रि में?

क्या अंतर है सामान्य और गुप्त नवरात्रि में?

  • सामान्य नवरात्रि में आमतौर पर सात्विक और तांत्रिक दोनों प्रकार की पूजा की जाती है। वहीं गुप्त नवरात्रि में ज्यादातर तांत्रिक पूजा की जाती है।
  • गुप्त नवरात्रि में में अपनी साधना को गोपनीय रखा जाता है। साधक को केवल अपने गुरु से ही साधना की चर्चा करने की अनुमति होती है।
  • माना जाता है कि गुप्त नवरात्रि में पूजा और मनोकामना जितनी ज्यादा गोपनीय होगी, सफलता उतनी ही ज्यादा मिलेगी।
  • क्या किया जाता है गुप्त नवरात्रि में?

    क्या किया जाता है गुप्त नवरात्रि में?

    • गुप्त नवरात्रि में भी कलश की स्थापना की जा सकती है, लेकिन यह विशेष साधना के लिए की जाती है। सामान्य साधक के लिए घट स्थापना आवश्यक नहीं।
    • अगर कलश की स्थापना की है तो दोनों समय सुबह-शाम में देवी के मंत्र जाप, चालीसा या सप्तशती का पाठ करना चाहिए।
    • दोनों ही समय आरती और देवी को भोग लगाना आवश्यक है। इसमें देवी की प्रकृति के अनुसार भोग लगाया जाता है। सामान्य भोग लौंग और बताशा होता है।
    • मां को प्रतिदिन लाल फूल अवश्य अर्पित करें।
    • पूरे नौ दिन अपना खान पान और आहार सात्विक रखें।
    • सामान्य साधक कैसे करें पूजा?

      सामान्य साधक कैसे करें पूजा?

      • जो साधक किसी विशेष मनोकामना की पूर्ति के लिए देवी के विशेष स्वरूप की साधना नहीं करना चाहता वह सामान्य पूजा कर सकता है।
      • दुर्गा सप्तशती के पाठ प्रतिदिन किए जाना चाहिए।
      • दुर्गा चालीसा, देवी के मंत्रों के नियमित जाप करें।
      • गुप्त नवरात्रि में देवी के अलावा अन्य मंत्रों की सिद्धि भी की जा सकती है।
      • आपने यदि किसी गुरु से विधिवत दीक्षा ग्रहण की है और उनसे गुरु मंत्र प्राप्त किया है तो उस मंत्र का जाप करें।
      • देवी दुर्गा के सामान्य मंत्र ऊं दुं दुर्गायै नम: मंत्र की नौ माला प्रतिदिन जाप करें।
      • पूर्णत: सात्विक आचरण करते हुए यदि साधक देवी की आराधना करे तो वह जीवन की समस्त इच्छाओं की पूर्ति कर सकता है।

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English summary
Gupt Navratri is performed secretly and Maa Durga is worshipped on this day but very privately. here is its Date, Time, Importance and Pooja Vidhi.
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