Ganga Janmotsav: आज है गंगा जन्मोत्सव, जानें कथा
नई दिल्ली, 07 मई। वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि के दिन भारतीयों की आस्था की केंद्र गंगा की उत्पत्ति हुई थी। यह दिन गंगा सप्तमी या गंगा जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। इस दिन गंगा नदी ने स्वर्गलोक से आकर शिवजी की जटाओं में प्रवेश किया था। इसलिए इसे गंगा के जन्म के रूप में मनाया जाता है। इस बार गंगा जन्मोत्सव 8 मई 2022 रविवार को आ रहा है और इस दिन रवि पुष्य का संयोग होने से यह दिन पवित्र नदी में स्नान, दान-पुण्य कर्म के लिए विशेष फलदायी है। गंगा सप्तमी के दिन गंगा पूजा और गंगा में स्नान करने से पुण्य फल प्राप्त होता है। जो लोग गंगा नदी के आसपास रहते हैं वे तो गंगा स्नान कर लेंगे, किंतु जिनसे स्थान से गंगा दूर है वे गंगा नदी का पवित्र जल पानी में डालकर घर पर ही स्नान करें।

वेदों-पुराणों में सप्त नदियों का वर्णन आता है, जिनमें गंगा को सबसे ऊंचा दर्जा प्राप्त है। गंगा स्वर्ग की नदी है, जिसने भगीरथी के आह्वान पर पहले शिवजी की जटाओं में प्रवेश किया और फिर शिवजी की जटाओं से पृथ्वी का स्पर्श किया। गंगाजी ने जिस दिन प्रथम बार पृथ्वी का स्पर्श किया उस दिन को गंगा दशहरा (ज्येष्ठ शुक्ल दशमी) कहा जाता है। हिंदुओं की आस्था में गंगा को देवी का दर्जा प्राप्त है। पितरों के पिंड दान और अस्थियां विसर्जन गंगा में करने से उन्हें मोक्ष प्राप्त होता है।
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ऐसे हुआ था गंगा का जन्म
गंगा नदी की उत्पत्ति की अनेक पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं। इसमें एक कथा के अनुसार गंगा का जन्म भगवान विष्णु के पैर से निकले पसीने की बूंदों से हुआ। एक अन्य कथा के अनुसार गंगा का जन्म ब्रह्माजी के कमंडल से हुआ माना जाता है। एक अन्य मान्यता के अनुसार वामन रूप में राक्षसराज बली से संसार को मुक्त कराने के बाद ब्रह्मदेव ने भगवान विष्णु के चरण धोए और इस जल को अपने कमंडल में भर लिया और एक अन्य कथा अनुसार जब भगवान शिव ने नारद मुनि, ब्रह्मदेव तथा भगवान विष्णु के समक्ष गाना गाया तो इस संगीत के प्रभाव से भगवान विष्णु का पसीना बहकर निकलने लगा जिसे ब्रह्मा जी ने उसे अपने कमंडल में भर लिया और इसी कमंडल के जल से गंगा का जन्म हुआ था।