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Ganga Dussehra 2019: आज है गंगा दशहरा, जानिए शुभ मुहूर्त, महत्व, पूजा-विधि और कथा

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नई दिल्ली। हिन्दू धर्म के पवित्र त्योहारों में से एक है गंगा दशहरा, यह जेठ मास के शुक्ल पक्ष की दशमी को मनाया जाता है। हिंदू मान्यता के अनुसार गंगा दशहरा के दिन गंगा का अवतरण हुआ था। गंगा दशहरा के दिन गंगा में स्नान करने का विशेष धार्मिक महत्व है। इस दिन करोड़ों लोग गंगा में आस्था की डुबकी लगाकर पुण्य का लाभ कमाते हैं।

गंगा दशहरा स्‍नान का शुभ मुहूर्त

गंगा दशहरा पर सुबह 5.45 से शाम 6.27 तक दशमय तिथि होगी इस दौरान पूजा और दान दोनों ही बेहद शुभ रहेगा। आज जो भी चीज आप दान करें उसकी संख्या दस होनी चाहिए।

पूजा विधि

  • अगर घर के करीब गंगा नहीं हैं तो किसी भी नदी या तालाब में स्नान करें
  • भागीरथ का नाम जपते हुए मंत्र उच्चारण करके पूजन करें।
  • गंगा दशहरा 10 पापों का नाश करने वाला होता है इसलिए पूजा में 10 प्रकार के फूल, दशांग धूप, 10 दीपक, 10 प्रकार के नैवेद्य, 10 तांबूल एवं 10 फल का प्रयोग करें।

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कथा

कथा

एक समय में अयोध्या में सागर नाम के राजा राज्य करते थे। उन्होंने सातों समुद्रों को जीतकर अपने राज्य का विस्तार किया। उनके केशिनी और सुमति नामक दो रानियां थीं। पहली रानी के एक पुत्र असमंजस था, परंतु दूसरी रानी सुमति के साठ हजार पुत्र थे। एक बार राजा सागर ने अश्वमेध यज्ञ किया और यज्ञ पूर्ति के लिए एक घोड़ा छोड़ा। इंद्र ने उस यज्ञ को भंग करने के लिए अश्व का अपहरण कर लिया और उसे कपिल मुनि के आश्रम में बांध दिया। राजा ने उसे खोजने के लिए अपने साठ हजार पुत्रों को भेजा। सारा भूमण्डल छान मारा फिर भी अश्व नहीं मिला। फिर अश्व को खोजते-खोजते जब कपिल मुनि के आश्रम में पहुंचे तो वहां उन्होंने देखा कि साक्षात भगवान 'महर्षि कपिल' के रूप में तपस्या कर रहे हैं और उन्हीं के पास महाराज सागर का अश्व घास चर रहा है। सागर के पुत्र उन्हें देखकर 'चोर-चोर' शब्द करने लगे। इससे महर्षि कपिल की तपस्या भंग हो गई और जैसे ही उन्होंने अपने नेत्र खोले त्यों ही सब जलकर भस्म हो गए।

राजा सागर का पौत्र अंशुमान का पता चली सच्चाई

जब बहुत देर हो गई तो राजा सागर का पौत्र अंशुमान सबको खोजता हुआ मुनि के आश्रम में पहुंचा तो महात्मा गरुड़ ने भस्म होने का सारा वृतांत सुनाया। गरुड़ जी ने यह भी बताया कि यदि इन सबकी मुक्ति चाहते हो तो गंगाजी को स्वर्ग से धरती पर लाना पड़ेगा, इस समय अश्व को ले जाकर अपने पितामह के यज्ञ को पूर्ण कराओ, उसके बाद यह कार्य करना। अंशुमान ने पहले यज्ञ पूरा किया और उसके बाद वो गंगा जी को धरती पर लाने के लिए तपस्या करने लगे, राजा अंशुमान और उनके बेटे महाराज दिलीप ने साथ मिलकर तपस्या की थी लेकिन वो सफल नहीं हो पाए।

भागीरथ ने मां गंगा को बुलाया

भागीरथ ने मां गंगा को बुलाया

लेकिन अंत में महाराज दिलीप के पुत्र भागीरथ ने गंगाजी को इस लोक में लाने के लिए गोकर्ण तीर्थ में जाकर कठोर तपस्या की। उनके तप से प्रसन्न होकर ब्रह्मा ने वर मांगने को कहा तो भागीरथ ने 'गंगा' की मांग की, ब्रम्हा जी ने कहा की पृथ्वी पर गंगा का वेग केवल शिव संभाल सकते हैं, इस पर भागीरथ ने शिव को प्रसन्न करने के लिए तप किया, गंगा शंकर जी की जटाओं में कई वर्षों तक भ्रमण करती रहीं लेकिन निकलने का कहीं मार्ग ही न मिला।

और मां गंगा कहलाने लगीं भागीरथी .....

और मां गंगा कहलाने लगीं भागीरथी .....

अब महाराज भागीरथ को और भी अधिक चिंता हुई, उन्होंने एक बार फिर भगवान शिव की प्रसन्नतार्थ घोर तप शुरू किया। अनुनय-विनय करने पर शिव ने प्रसन्न होकर गंगा की धारा को मुक्त करने का वरदान दिया। इस प्रकार शिवजी की जटाओं से छूटकर गंगाजी हिमालय में आकर गिरी और वहां से उनकी धाराएं निकलीं और फिर तमाम लोगों को तारते हुए मुनि के आश्रम में पहुंचकर सागर के साठ हज़ार पुत्रों को मुक्त किया। उसी समय ब्रह्माजी ने प्रकट होकर भागीरथ के कठिन तप और सागर के साठ हज़ार पुत्रों के अमर होने का वर दिया। साथ ही यह भी कहा- 'तुम्हारे ही नाम पर गंगाजी का नाम भागीरथी होगा।'

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English summary
Ganga Dussehra, also known as Gangavataran, is a Hindu festival celebrating the avatarana (descent) of the Ganges. here is Puja Vidhi, Importance and Muhurat.
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