Ganesha Festival 2019: जानिए 'गजानन' क्यों कहलाते हैं 'गणपति'?
नई दिल्ली। पूरा देश इस वक्त गणेश उत्सव में डूबा हुआ है, हर आम से लेकर खास तक सभी बप्पा की मस्ती में रंगे दिखे. टीवी और बॉलीवुड सितारों के यहां भी गणपति, सोमवार को विराजे हैं, इस बार गणपति उत्सव का पर्व 2 सितंबर से शुरू होकर 12 सितंबर तक है , जिसका अर्थ ये हुआ कि 12 सितंबर को गणेश विसर्जन होगा, वैसे तो गणपति कहीं एक दिन, कहीं 3 दिन, कहीं 5, 7 दिन या कहीं पूरे 10 दिन तक विराजते हैं, लेकिन गणेश चतुर्थी से शुरू हुआ गणेश उत्सव अनंत चतुर्दशी के दिन ही खत्म होता है और इस बार अनंत चतुर्दशी 12 सितंबर को है।
गणेश भगवान बेहद मोहिल, बुद्दिमान और ऊर्जवान
आपको बता दें कि गणेश भगवान बेहद मोहिल, बुद्दिमान और ऊर्जवान माने जाते हैं और इसी वजह से इनकी पूजा करने वालों को भी ये गुण हासिल होते हैं। पुराणों के अनुसार गणेश चतुर्थी को ही भगवान गणेश का जन्म हुआ था। चतुर्थी के 10 दिन तक गणपति की पूजा की जाती है और इसके बाद इनका विसर्जन होता है।
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गणों के स्वामी होने के कारण ही इन्हें 'गणपति' कहते हैं
गणों के स्वामी होने के कारण ही इन्हें 'गणपति' कहते हैं। ज्योतिष शास्त्र में भगवान गणेश को 'केतु का देव' कहा जाता है। हाथी जैसा मुंह होने की वजह से इनका नाम 'गजानन' है। इन्हें वरदान मिला है कि बिना इनकी पूजा के कोई भी पूजा और कोई भी कार्य पूरा नहीं होगा इसी कारण उन्हें 'आदिपूज्य' कहा जाता है।
'गाणपतेय संप्रदाय'
भारत में जो संप्रदाय केवल भगवान गणेश की पूजा करता है उन्हें 'गाणपतेय संप्रदाय' कहा जाता है, जो कि मुख्य रूप से महाराष्ट्र में पाये जाते हैं।भगवान गणेश को भगवान शिव और माता पार्वती की दूसरी संतान माना जाता है, जिनकी दो पत्नियां हैं रिद्धि और सिद्धि है, मोदक इनका प्रिय भोजन हैं जबकि मूषक इनकी सवारी।
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