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Ganesh Chaturthi 2019: इस बार गणेश उत्सव में घोलें इको फ्रेंडली रंग, जानिए कैसे?

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नई दिल्ली। 2 सितंबर को गणेश चतुर्थी है, जिसके लिए पूरे देश में जोर-शोर से तैयारी चल रही है। बुद्धि, ज्ञान और विघ्नविनाशक के रूप में पूजे जाने वाले श्री गणेश जी के स्वागत के लिए इस समय उनके भक्तगण पूरी तरह से तैयार हैं, गणपति बप्पा तो विघ्नहर्ता हैं, वो तो सबकी समस्याओं का अंत करते हैं, लेकिन इस बार हम भी इस पावन उत्सव पर पर्यावरण की समस्याओं का अंत करने का प्रण लेते हैं और इस खास पर्व पर हम घर में ऐसे गणेश जी बनाते हैं जो कि पर्यावरण के लिए भी शुभ हो यानी कि इस बार हम गणेशोत्सव में घोलते हैं इको फ्रेंडली रंग...

 चावल से बनाइए गणपति

चावल से बनाइए गणपति

इसके लिए अपने घर में एक चौकी पर अपने हाथों से चावलों को डाल कर गणपति का रूप दें. इसी का पूजन करें, पूजन के बाद विसर्जन के तौर पर इसकी खीर बनाएं और प्रसाद के रूप में सबको बांट दें।

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फूलों के गणपति

फूलों के गणपति

अगर आप चावलों के गणपति नहीं बनाना चाहते तो बप्पा के स्वरूप को फूलों से भी बना सकते हैं, यह उन लोगों के लिए अच्छा उपाय है, जो गणेश चतुर्थी पर एक ही दिन के लिए बप्पा को स्थापित करते हैं, फूलों से तैयार गणपति का पूजन करने के बाद आप चाहें तो इन्हें गमलों में रख दें, जब यह फूल जब मिट्टी के साथ मिलेंगे तो नए पौधे बन जाएंगे।

स्थापना के मुहूर्त

स्थापना के मुहूर्त

चौघडि़या के अनुसार स्थापना के मुहूर्त

  • अमृत: प्रातः 6.10 से 7.44 बजे तक
  • शुभ: प्रातः 9.18 से 10.52 बजे तक
  • लाभ: दोप. 3.34 से सायं 5.08 बजे तक
  • अमृत: सायं 5.08 से 6.42 बजे तक
  • चर: सायं 6.42 से रात्रि 8.08 बजे तक

लग्न के अनुसार स्थापना के मुहूर्त

  • सिंह लग्न: प्रातः 5.03 से 7.11 बजे तक
  • कन्या लग्न: प्रातः 7.11 से 9.16 बजे तक
  • धनु लग्न: दोपहर 1.47 से 3.52 बजे तक
  • कुंभ लग्न: सायं 5.40 से 7.08 बजे तक
  • मेष लग्न: रात्रि 8.43 से 10.24 बजे तक
  • अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12.01 से 12.51 बजे तक
पूजा विधि

पूजा विधि

भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को सुबह जल्दी उठकर स्नानादि से निवृत्त होना चाहिए। इसके बाद गणपति की विधि विधान के अनुसार शुभ मुहूर्त में उनकी स्थापना करनी चाहिए। गणपति को मोदक अत्यंत प्रिय हैं अतः पूजा के समय मोदकों का भोग लगाया जाना चाहिए। इसी तरह गणेश जी को दूर्वा भी बहुत पसंद है अतः पूजा में हरी दूर्वा अवश्य रखना चाहिए। पूजा के बाद मोदक ब्राह्मणों को दान दें और स्वयं परिवार सहित ग्रहण करें। इस प्रकार विधि विधान से पूरे 10 दिन तक गणपति जी की पूजा के साथ उनके जन्म का उत्सव मनाया जाता है। ऐसा करने वाले भक्तों पर विघ्नहर्ता की पूर्ण कृपा बरसती है।

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English summary
Ganesh Chaturthi, a very famous festival celebrated in my home country, it’s so important to learn how to make clay Ganesh idols, Its Eco friendly and good for Environment.
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