Falgun Amavasya 2020: जानिए... क्यों महत्वपूर्ण है फाल्गुन अमावस्या
नई दिल्ली। अमावस्या प्रत्येक माह में कृष्णपक्ष की समाप्ति पर आती है, लेकिन फाल्गुन अमावस्या का अपना विशेष महत्व होता है। महाशिवरात्रि के बाद आने वाली यह अमावस्या शास्त्रों में सर्वसिद्धिदायक और संकटों का नाश करने वाली कही गई है, क्योंकि इस अमावस्या पर ग्रहों, नक्षत्रों, तारिकाओं की एक विशेष स्थिति रहती है और पृथ्वीवासियों के लिए दुर्लभ संयोग का निर्माण करती है। इस बार फाल्गुन अमावस्या 23 फरवरी 2020 रविवार को आ रही है। यह अमावस्या सुख, संपत्ति और सौभाग्य की प्राप्ति के लिए विशेष फलदायी मानी जाती है। जीवन में सुख और शांति के लिए फाल्गुन अमावस्या का व्रत रखा जाता है। इसके साथ ही इस दिन पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण व श्राद्ध भी किया जाता है। माना जाता है कि इस दिन पवित्र नदियों में सभी देवी-देवता साक्षात प्रकट होते हैं। इसलिए इन नदियों में स्नान करके दान-पुण्य अवश्य करना चाहिए।
कैसे करें फाल्गुन अमावस्या व्रत
- फाल्गुन अमावस्या के दिन किसी पवित्र नदी, जलाशय या कुंड आदि में स्नान करें और सूर्य देव को अर्घ्य देने के बाद पितरों का तर्पण करें।
- पितरों की आत्मा की शांति के लिए व्रत रखें।
- फाल्गुन अमावस्या पर गरीबों को यथाशक्ति अन्न्, वस्त्र का दान करने का बड़ा महत्व है। इससे न केवल पितृ प्रसन्न् होते हैं, बल्कि कुंडली में बुरे प्रभाव दे रहे ग्रह भी शांत होते हैं।
- फाल्गुन अमावस्या के दिन शाम को पीपल के पेड़ के नीचे सरसो के तेल का दीपक लगाने सुख-सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
- रुद्र, अग्नि और ब्राह्मणों का पूजन करके उन्हें उड़द, दही और पूरी आदि का नैवेद्य अर्पण करें और स्वयं भी उन्हीं पदार्थों का एक बार सेवन करें।
- फाल्गुन अमावस्या पर शिव की पूजा विशेष फलप्रदायक कही गई है। इस दिन शिव मंदिर में जाकर गाय के दूध, दही, शहद से शिवजी का अभिषेक करें और उन्हें काले तिल अर्पित करें। इससे आयु और आरोग्य में वृद्धि होती है।
- अमावस्या शनिदेव का दिन भी माना जाता है और फाल्गुन अमावस्या शनि को प्रसन्न् करने का सबसे अच्छा दिन होता है। इस दिन शनिदेव का तेलाभिषेक करें। काले अंगूर का भोग लगाएं। शनि देव को नीले पुष्ण अर्पित करें। काले तिल, काले साबुत उड़द, कड़वा तेल, काजल और काला कपड़ा अर्पित करें।
- कालसर्प दोष की शांति के लिए फाल्गुन अमावस्या के दिन शिवजी का अभिषेक करें।
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इस दिन क्या ना करें
- फाल्गुन अमावस्या के दिन परिवार के बुजुर्ग व्यक्तियों का अपमान ना करें।
- इस दिन काम, क्रोध, लोभ, मोह से बचना अत्यंत आवश्यक है।
- इस दिन झूठ ना बोलें।
- भूल से भी कोई वृक्ष ना काटें।
- पंच तत्वों जल, अग्नि, वायु, आकाश, पृथ्वी के बारे में अपशब्द ना कहें।
फाल्गुन अमावस्या तिथि कब से कब तक
- अमावस्या प्रारंभ 22 फरवरी को सायं 7.02 बजे से
- अमावस्या पूर्ण 23 फरवरी को रात्रि 9.01 बजे तक
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