Shiv Navratri 2020: एक अनूठी परंपरा जो मनाई जाती है भगवान महाकाल के आंगन में
नई दिल्ली। जिस प्रकार शक्ति की आराधना का नौ दिनी पर्व नवरात्रि होता है, ठीक वैसा ही भगवान शिव की आराधना का पर्व होता है शिव नवरात्रि। शिव नवरात्रि मनाई जाने की अनूठी परंपरा उज्जैन (मप्र) स्थित भूतभावन भगवान महाकाल के आंगन में निभाई जाती है। महाशिवरात्रि से पहले के नौ दिनों में शिव नवरात्रि मनाई जाती है और अंतिम दिन महाशिवरात्रि पर्व धूमधाम से मनाया जाता है। शिव नवरात्रि फाल्गुन कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि से शुरू होती है जो चतुर्दशी तिथि यानी महाशिवरात्रि तक मनाई जाती है। इस बार शिव नवरात्रि 13 फरवरी 2020 से शुरू हो रही है, जो 21 फरवरी 2020 महाशिवरात्रि तक जारी रहेगी। ज्योतिषियों और पंडितों के अनुसार शिव नवरात्रि में महामृत्युंजय अनुष्ठान विशिष्ट फलदायक होता है।
भगवान महाकाल नौ रूपों में दर्शन देते हैं...
शिव नवरात्रि के नौ दिन शैव संप्रदाय को मानने वाले और भगवान शिव के भक्तों के लिए विशेष दिन होते हैं। उज्जैन स्थित महाकाल में इन नौ दिनों में राजाधिराज भगवान महाकाल नौ रूपों में दर्शन देते हैं। प्रतिदिन सुबह 9 से दोपहर 1 बजे तक गर्भगृह में 11 ब्राह्मणों द्वारा भगवान महाकाल का विशेष पूजन किया जाएगा। शाम को प्रतिदिन राजा का दिव्य श्र्ाृंगार होगा। इस दौरान मंदिर परिसर में नारदीय संकीर्तन से कथा भी होती है। महाकाल के मंदिर की भव्य और आकर्षक सजावट की जाती है।
होगी विशेष पूजा
शिव नवरात्रि के पहले दिन 13 फरवरी, गुरुवार को सुबह 8 बजे कोटितीर्थ कुंड के समीप स्थित श्री कोटेश्वर महादेव मंदिर में भगवान कोटेश्वर की पूजा अर्चना होगी। इसके बाद सुबह 9.30 बजे गर्भगृह में पूजन आरंभ होगा। भगवान महाकाल के पंचामृत पूजन के बाद 11 ब्राह्मण एकादश-एकादशनी रूद्राभिषेक करेंगे। पूजन का यह क्रम पूरे नौ दिन चलेगा। शाम को भगवान का अलग-अलग रूपों में श्र्ाृंगार किया जाएगा। शिव नवरात्रि के दौरान महाकाल में भोग आरती व संध्या पूजन का समय भी बदला जाता है। सुबह 10.30 बजे होने वाली भोग आरती शिव नवरात्रि के नौ दिन दोपहर 1 बजे के बाद की जाती है। प्रतिदिन शाम 5 बजे होने वाली संध्या आरती इन दिनों में दोपहर 3 बजे से होगी। शिव नवरात्रि के दौरान शिव भक्त नौ दिन उपवास रखते हैं। अंतिम दिन महाशिवरात्रि पर पूजन कर ब्राह्मणों को भोजन करवाकर यथाशक्ति दक्षिणा देकर व्रत खोलते हैं।
नौ दिन नौ रूपों में होंगे राजा के दर्शन
- 13 फरवरी को भगवान महाकाल को सोला, दुपट्टा व जलाधारी पर मेखला धारण कराई जाएगी। भगवान को चांदी का मुकुट, मुंडमाल धारण कराकर चंदन का श्रृंगार किया जाएगा।
- 14 फरवरी को शेष नाग, 15 फरवरी घटाटोप, 16 फरवरी छबीना, 17 फरवरी होलकर, 18 फरवरी मनमहेश, 19 फरवरी उमा महेश, 20 फरवरी शिवतांडव रूप में श्रृंगार होगा। 22 फरवरी को तड़के 4 बजे भगवान को सप्तध्ाान रूप में श्र्ाृृंगार कर उनके शीश सवा मन फूल व फलों से बना सेहरा सजाया गाएगा।
25 फरवरी को पंचमुखारविंद दर्शन
महाशिवरात्रि के बाद चंद्र दर्शन की दूज पर भगवान का पांच मुखारविंद रूप में श्रृंगार होगा। भक्तों को भगवान महाकाल के एक साथ पांच रूपों के दर्शन होंगे। साल में एक बार फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की दूज पर भगवान का पांच रूपों में दिव्य श्रृंगार किया जाता है।
यह पढ़ें: Maha Shivratri 2020: महाशिवरात्रि पर करें इस तरह से पूजा, मिट जाएंगे सारे दोष