देशभर में Easter की धूम, जानिए इसका महत्व और देखें तस्वीरें
नई दिल्ली। आज देश समेत पूरी दुनिया में ईस्टर की धूम है। लोग देश के हर कोने में इस पर्व को मना रहे हैं। ईसाई धर्म के लोगों के लिए यह क्रिसमस के बाद सबसे बड़ा पर्व होता है। ऐसा माना जाता है कि 'गुड फ्राइडे' के तीसरे दिन यानी उसके अगले संडे को ईसा मसीह दोबारा जीवित हो गए थे। उनके दोबारा जीवित होने की इस घटना को ईसाई धर्म के लोग 'ईस्टर संडे' के रूप में मनाते हैं।
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'ईस्टर' का मतलब
'ईस्टर' का मतलब ईस्टर शब्द की उत्पत्ति जर्मन के 'ईओस्टर' शब्द से हुई है जिसका अर्थ 'देवी' होता है, इसे ईसाई समुदाय के लोग 'वसंत की देवी' या 'उर्वरता की देवी' मानते हैं,जिससे प्रसन्न करने के लिए अप्रैल माह में उत्सव मनाए जाते हैं।
Easter काल चालीस दिनों का होता है
'ईस्टर' को चर्च के वर्ष का काल या 'ईस्टर काल' या 'द ईस्टर सीजन' भी कहा जाता है। परंपरागत रूप से ईस्टर काल चालीस दिनों का होता है।ईस्टर सीजन या ईस्टर काल के पहले सप्ताह को ईस्टर सप्ताह या ईस्टर अष्टक या ओक्टेव ऑफ ईस्टर कहते हैं। इस काल को उपवास, प्रार्थना और प्रायश्चित करने के लिए माना जाता है।
आज भी यीशु की कब्र खुली हुई है....
येरुशलम के पहाड़ पर रोमन गवर्नर ने ईसा मसीह को सूली पर चढ़ा दिया था, जिससे उनकी मौत हो गई। ऐसा माना जाता हैं कि यीशु की मौत होने के बाद इनके शव को कब्र में दफना दिया गया था। लेकिन मृत्यु के तीन दिन बाद रविवार के दिन ईसा मसीह कब्र में से जीवित हो उठे थे। कहा जाता है कि आज भी यीशु की कब्र खुली हुई है। ईसा मसीह ने जीवित होने के बाद अपने शिष्यों के साथ 40 दिन रहकर हजारों लोगों को अपने दर्शन दिए थे
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भाईचारे और स्नेह का प्रतीक है ये पर्व
ईस्टर संडे के दिन ईसाई समुदाय के लोग गिरजाघरों में इकट्ठा होकर प्रभु की स्तुति करते हैं और ईसा मसीह के जी उठने की खुशी में प्रभु भोज में भाग लेते हैं। एक-दूसरे को प्रभु यीशु के नाम पर शुभकामनाएं देकर भाईचारे और स्नेह का प्रतीक मानकर इस दिन को मनाते है।
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