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Dussehra 2020: रावण ने लक्ष्मण को बताई थीं ये तीन महत्वपूर्ण बातें

By Pt. Gajendra Sharma
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नई दिल्ली। रामायण की चर्चा हो, तो दो महामानव विशेष रूप से हमारे ध्यान में आ बसते हैं - राम और रावण। दोनों ही महारथी, महाज्ञानी, महापराक्रमी थे, अंतर था तो केवल नैतिकता का, आदर्शों का। महाप्रभु श्री राम संसार को आदर्श का वह पथ दिखा गए, जो आज भी पूजनीय है, अनुकरणीय है। रावण की करनी से सभी परिचित हैं। समस्त देवतुल्य गुण होते हुए भी केवल अपने अहंकार और क्षुद्रता के कारण वह संसार में पाप का सबसे बड़ा प्रतीक बन गया। रावण की समस्त बुराइयों के बावजूद इस बात को नकारा नहीं जा सकता कि उसका ज्ञान, उसकी भक्ति का कोई सानी नहीं था। रावण के ज्ञान की गहनता को स्वयं प्रभु राम ने स्वीकार किया था। उन्होंने स्वयम अपने भाई लक्ष्मण को रावण से ज्ञान का सार लेने भेजा था।

रावण ने लक्ष्मण को बताई थीं ये तीन महत्वपूर्ण बातें

आज रामायण के इसी अद्भुत प्रसंग का आनंद लेते हैं-

यह बात उस समय की है, जब रावण युद्ध में पराजित होकर मरणासन्न अवस्था में भूमि पर पड़ा था और अपनी अंतिम सांसें गिन रहा था। इस समय श्री राम ने लक्ष्मण से कहा कि रावण इस संसार के सर्वाधिक बुद्धिमान प्राणियों में से एक है। अपने अंतिम समय में वह हर दुर्भावना से मुक्त हो चुका है। अब वह ज्ञान का ऐसा सार बता सकता है, जो इस समय कोई अन्य नहीं दे सकता। इसीलिए तुम स्वयं जाकर पूरी विनम्रता से उससे तत्वज्ञान प्राप्त करो। लक्ष्मण ने जाकर रावण से अंतिम तत्वज्ञान देने की विनती की, तब रावण ने उन्हें तीन बातें कही-

  • मन में जब भी कोई अशुभ कर्म करने का विचार आए, तो जब तक संभव हो, उसे टालने के प्रयास करो। इसके ठीक विपरीत यदि मन में शुभ कार्य करने का विचार आए, तो उसे तुरंत कर डालो। इसका कारण यह है कि समय बहुत बलवान होता है। वह मन के किसी भी विचार को टाल सकता है। अशुभ कार्य टल जाए और शुभ कार्य संपन्न हो जाए, तो उससे अच्छा कुछ नहीं हो सकता। यदि मैंने सीता के हरण का विचार कुछ पल के लिए भी टाल दिया होता, तो यह युद्ध होता ही नहीं। इसी तरह यदि मंदोदरी की बात मानकर मैं सीता को लौटकर राम से क्षमा मांग लेता, तब भी मैं आज की स्थिति में न होता।
  • कभी किसी को भी तुच्छ मत समझो, क्या पता, कल वही तुम्हारा रक्षक या भक्षक बन जाए। मैंने मानव और वानरों को तुच्छ जान उनके बल को कम आंका, जबकि मैं जानता था कि श्राप के कारण संसार में केवल ये दो प्रजातियां ही मेरा संहार करने में सक्षम हैं।इसके बाद भी अपने पराक्रम के अहंकार में मैं यह युद्ध कर बैठा और पूरे कुटुम्ब के नाश का कारण बना।
  • अपने गूढ़ भेद किसी को कभी भी ना बताओ, भले ही वह आपका कितना बड़ा विश्वासपात्र क्यों न हो। कारण यह है कि समय और परिस्थितियों के साथ संबंध भी बदल जाते हैं। विभीषण मेरा भाई था, परम प्रिय और विश्वसनीय था। मैंने उसे अपनी मृत्यु का भेद बता दिया और आज मैं इस दशा में पहुंच गया। यदि यह भेद मैंने किसी को न बताया होता, तो कोई मुझे मार ही नहीं सकता था।

शिक्षा

तो दोस्तों, यह थी संसार के महाज्ञानी, महाध्यानी और प्रचण्ड बल के स्वामी लंकापति रावण की सीखें। यदि ध्यान से देखें, तो पाएंगे कि आज भी ये सीखें उतनी ही प्रासंगिक हैं। तो इन पर विचार करें और जीवन में उतारने का प्रयास करें।

यह पढ़ें: जानिए भगवान शिव को रावण ने कैसे किया था प्रसन्न?यह पढ़ें: जानिए भगवान शिव को रावण ने कैसे किया था प्रसन्न?

Comments
English summary
Read three important Facts about Ravan, its really interesting.
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