Diwali 2019: नरक चतुर्दशी पर दीपदान से बढ़ेगी आयु, कटेगी ग्रहों की पीड़ा
नई दिल्ली। नरक चतुर्दशी पर दीपदान का बड़ा महत्व होता है। दीपदान से न केवल यम का भय दूर होता है, बल्कि समस्त ग्रहों की पीड़ा भी शांत होती है। इस बार नरक चतुर्दशी 26 और 27 अक्टूबर 2019 दोनों ही दिन रहेगी। नरक चतुर्दशी पर सुबह के समय अभ्यंग स्नान और शाम को दीपदान किया जाता है। चतुर्दशी तिथि 26 अक्टूबर को दोपहर 3.47 बजे लगेगी जो अगले दिन दोपहर 12.47 बजे तक रहेगी। अभ्यंग स्नान का महत्व सूर्योदय से पहले है। इसलिए यह 27 अक्टूबर को सुबह होगा, जबकि दीपदान प्रदोष वेला में किया जाता है इसलिए दीपदान 26 अक्टूबर को किया जाएगा।
कार्तिक कृष्णपक्ष की चतुर्दशी
कार्तिक कृष्णपक्ष की चतुर्दशी तिथि के दिन कुछ विशेष प्रयोग पितरों की शांति और ग्रहों की पीड़ा दूर करने के लिए किए जाते हैं। यदि आपकी जन्मकुंडली में कोई ग्रह अशुभ प्रभाव दे रहा हो और उसके कारण आपका पूरा जीवन अस्त-व्यस्त हो गया हो तो कुछ उपाय करके आप ग्रहदोषों से मुक्ति पा सकते हैं। इस उपाय को करने से न केवल ग्रह शांत होते हैं बल्कि शुभ ग्रहों के प्रभाव में वृद्धि होती है जिससे व्यक्ति का भाग्योदय भी होता है।
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दीपदान करने का सबसे बड़ा महत्व
शास्त्रों में नरक चतुर्दशी के दिन दीपदान करने का सबसे बड़ा महत्व बताया गया है। पवित्र नदियों या सरोवर में दीपदान करने से दूषित ग्रह शांत होते हैं। अशुभ ग्रहों का प्रभाव शांत होता है और उनका शुभ प्रभाव बढ़ता है। दीपदान नरक चतुर्दशी के दिन सायंकाल में प्रदोष काल में किया जाता है। इसके लिए आटे के पांच दीयों में सरसो का तेल भरकर इन्हें किसी गत्ते के डिब्बे या पत्ते के दोने में किसी पवित्र नदी या सरोवर में प्रवाहित करें। आप चाहें तो एक साथ या अलग-अलग भी इन दीयों को प्रवाहित कर सकते हैं। प्रवाहित करने से पहले पंचदेवों श्रीगणेश, दुर्गा, शिव, विष्णु और सूर्य को साक्षी मानकर और उनसे अपनी समस्याओं के समाधान करने की प्रार्थना कर दीपों को प्रवाहित करें। आवश्यक नहीं कि आप पांच दीपदान ही करें, ज्यादा भी कर सकते हैं। दीपदान के बाद गरीबों को अन्न् दान करें।
नरक चतुर्दशी के दीपदान के लाभ
- जन्मकुंडली के बुरे ग्रहों का प्रभाव कम हो जाता है। शुभ ग्रहों के प्रभाव में वृद्धि होती है।
- कार्यों में आने वाली रूकावटें दूर होती हैं। तरक्की के रास्ते खुलते हैं।
- व्यक्ति का भाग्योदय होता है, जिससे जीवन की समस्त इच्छाएं स्वत: ही पूर्ण होने लगती है।
- दीपदान से पितृ भी प्रसन्न् होते हैं, इससे धन, मान, सुख, वैभव प्राप्त होता है।
- जो व्यक्ति दीपदान करता है उसे रोगों से मुक्ति मिलती है।
- पितृदोष, कालसर्प दोष, शनि की साढ़ेसाती का बुरा प्रभाव दूर होता है।
- राहु-केतु पीड़ा नहीं देते। आर्थिक प्रगति के रास्ते खुलते हैं।
- भूमि, भवन, संपत्ति संबंधी कार्यों की बाधा दूर होती है। भौतिक सुख प्राप्त होते हैं।
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