Diwali 2018: जानिए लक्ष्मी-गणेश की पूजा और मुहूर्त का समय
लखनऊ। 7 नवंबर को दिवाली है, जिसके लिए घरों में तैयारियां जोरों पर हैं। लोग बाजारों में जमकर सामान खरीद रहे हैं। 'दिवाली' संस्कृत के दो शब्दों से मिलकर बना है और वो दो शब्द हैं 'दीप' अर्थात 'दीपक' और 'आवली' अर्थात 'लाइन' या 'श्रृंखला' जिसका मतलब हुआ 'दीपकों की श्रृंखला'। रोशनी के इस पर्व पर घरों में लक्ष्मी-गणेश की पूजा का विधान है।
लक्ष्मी-गणेश की पूजा और मुहूर्त का समय
तिथि 7 नवंबर
- महालक्ष्मी पूजन -सायं 5 बजकर20 मिनिट से 8 बजकर 20 मिनट तक।
- व्यापारी वर्ग के लिए बहीखाता पूजन-सायं 5 बजकर50 मिनट से 7 बजकर 50 मिनट तक।
- साधकों के लिए महानिशीथ काल रात 11 बजकर 15 मिनट से 12 बजकर 30 मिनट तक।
- प्रदोष काल सात नवंबर को 17:27 से 20:06 तक रहेगा।
क्यों होती है लक्ष्मी जी के साथ गणेश जी की पूजा
लक्ष्मी की अधिकता होने पर अक्सर लोग विवेक खो देते है और धन का दुरूप्रयोग करने लगते है। धन का प्रयोग सही हो इसके लिए इंसान के पास बुद्दि का होना जरूरी है इसी वजह से दिवाली पर लक्ष्मी-गणेश की पूजा साथ में होती है, जिससे कि इंसान के पास लक्ष्मी का भी वास हो और उसका दिमाग भी खराब ना हो।
मुख्य दरवाजे से ही दिवाली के दिन घर में मां लक्ष्मी प्रवेश करती हैं
दिवाली के दिन पूरे घर को सजाया जाता है, इसमें भी घर के मुख्य दरवाजे को सजाने का विशेष महत्व है। मान्यता है कि मुख्य दरवाजे से ही दिवाली के दिन घर में मां लक्ष्मी प्रवेश करती हैं इसलिए घर के मुख्य दरवाजे तोरण लगाना चाहिए। तोरण बनाने के लिए आम और केले के पत्ते को शुभ माना जाता है। वैसे अगर आप चाहें तो फूलों या मोती से भी तोरण बना सकते हैं।
यह भी पढ़ें: Green crackers: क्या हैं ग्रीन पटाखे और सुप्रीम कोर्ट ने क्यों किया इनका जिक्र?