Devutthana Ekadashi Vrat : वर्ष की सबसे बड़ी एकादशी देवउठनी एकादशी आज
नई दिल्ली। चार माह की योग निद्रा से भगवान विष्णु के जागने का दिन होता है देवउठनी एकादशी, वो पावन दिन आज है । इसे देवोत्थान एकादशी या देवप्रबोधिनी एकादशी भी कहा जाता है। इस दिन भगवान विष्णु के जागते ही चातुर्मास का समापन होता है और इसके चार दिन बाद बैकुंठ चतुर्दशी के दिन हरिहर मिलन होता है। यानी उस दिन भगवान शिव सृष्टि का कार्यभार पुनः भगवान विष्णु को सौंप देते हैं। इस दिन से समस्त मांगलिक कार्य प्रारंभ हो जाते हैं। इस दिन तुलसी विवाह किया जाता है। कहा जाता है इस दिन जो व्यक्ति तुलसी विवाह करता है उसे एक हजार अश्वमेघ यज्ञों के समान पुण्यफल की प्राप्ति होती है।
कैसे करवाएं देवोत्थान
वैष्णव संप्रदाय का अनुसरण करने वाले श्रद्धालु चार माह बकायदा भगवान विष्णु को शैया पर सुलाकर रखते हैं। वे इस दिन भगवान विष्णु को निम्म मंत्र से जगाएं-
उत्तिष्ठ
गोविदं
त्यज
निद्रां
जगत्पतये।
त्वयि
सुप्ते
जगन्नाा
जगत
सुप्तं
भवेदिदम्।।
उत्थिते
चेष्टते
सर्वमुक्तिष्ठोत्तिष्ठ
माधवः।
गतामेघा
वियच्चैव
निर्मलं
निर्मलादिशः।।
शारदानि
च
पुष्पाणि
गृहाणमम
केशवं।
ऐसे करें पूजन
इसके बाद उन्हें स्नानादि करवाकर सुंदर वस्त्रों, आभूषणों से उनका श्रृंगार करें और पूजन संपन्न करे। भगवान विष्णु के साथ पंचदेव पूजा भी करना अनिवार्य रहता है। इसके बाद 56 प्रकार की वस्तुओं का नैवेद्य लगाएं। विष्णु सहस्रनाम या विष्णु स्तोत्र का पाठ करें।
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कैसे करें तुलसी विवाह
देवोत्थान एकादशी का व्रत रखने का सर्वाधिक महत्व है। इस दिन भगवान शालिग्राम और तुलसी का विवाह कराया जाता है। इसके लिए अपने घर के आंगन को गाय के गोबर से लीप लें। यदि गोबर से नहीं लीपा है तो शुद्ध जल से धोकर गंगाजल का छिड़काव करें। आंगन के मध्य में सुंदर रंगों और फूलों से रंगोली सजाएं और उसके मध्य में तुलसी का पौधा रखें। गन्ने से सुंदर मंडप सजाएं। इसके बाद भगवान विष्णु के स्वरूप शालिग्राम की स्थापना करें। मंत्रोच्चार के साथ षोडशोपचार पूजन करते हुए शालिग्राम और तुलसी का विवाह संपन्न करवाएं। विभिन्न प्रकार के फल, मिष्ठान्न आदि का भोग लगाएं। मंगल गीत गाएं।
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