
देवशयनी एकादशी आज, जानिए कथा और पूजा का समय
नई दिल्ली, 10 जुलाई। आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवशयनी एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु चार माह के लिए योग निद्रा में चले जाते हैं। इसलिए इसे देवशयन कहा जाता है। भगवान विष्णु के निद्रा में होने के कारण सगाई, विवाह, मुंडन, उपनयन संस्कार जैसे समस्त मांगलिक कार्यो पर प्रतिबंध लग जाता है। इसी दिन से चातुर्मास प्रारंभ होता है। देवशयनी एकादशी आज है। कार्तिक शुक्ल एकादशी के दिन भगवान विष्णु का शयनकाल समाप्त होता है, जिसे देवोत्थान एकादशी, देव प्रबोधिनी और देव उठनी एकादशी कहा जाता है। देवोत्थान एकादशी 4 नवंबर को आएगी। इस तरह इस बार भगवान विष्णु 118 दिन योग निद्रा में रहेंगे।

सायंकाल में करवाया जाएगा शयन
शास्त्रों में देवशयनी एकादशी का बड़ा महत्व बताया गया है। इस दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी का विशेष पूजन किया जाता है। इसके बाद श्रीहरि को शयन करवाया जाता है। भगवान विष्णु का मंगल शयन 10 जुलाई की सायंकाल में करवाया जाएगा। शयनकाल में जाने से पूर्व श्रीहरि अपने भक्तों को सुखपूर्वक जीवन व्यतीत करने का आशीर्वाद देते हैं।
एकादशी का व्रत विशेष फलदायी
जो लोग वर्षभर की एकादशियों का व्रत रखते हैं उनके लिए यह एकादशी बहुत महत्व वाली होती है। इस दिन प्रात:काल स्नानादि से निवृत्त होकर एकादशी व्रत का संकल्प लेकर भगवान विष्णु का विधिवत पूजन संपन्न करें। कथा सुनें या पढ़ें। दिनभर व्रत रखें और सायंकाल पुन: पूजन कर तुलसी के समक्ष शुद्ध घी का दीपक प्रज्जवलित करें। इस दिन भगवान विष्णु को दाख का भोग लगाने का विशेष महत्व है।
Palmistry:
हस्तरेखा
में
भी
होते
हैं
राजभंग
योग,
जानिए
किन
स्थितियों
में
बनते
हैं
देवशयनी एकादशी की कथा
सतयुग में मान्धाता नगर में एक चक्रवर्ती राजा राज्य करता था। एक बार उसके राज्य में तीन वर्ष तक सूखा पड़ गया। राजा के दरबार में प्रजा ने दुहाई मचा दी। राजा सोचने लगा किकहीं मुझसे कोई बुरा कार्य तो नहीं हो गया जिससे मेरे राज्य में सूखा पड़ा। राजा अपनी प्रजा का दुख दूर करने के लिए वन में अंगिरा ऋषि के आश्रम में पहुंचे। मुनि ने राजा के आश्रम में आने का प्रयोजन पूछा। राजा ने करबद्ध होकर प्रार्थना की, भगवन मैंने सभी प्रकार से धर्म का पालन किया है फिर भी मेरे राज्य में सूखा पड़ गया है। तब ऋषि ने आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी का व्रत करने को कहा। राजा राजधानी लौट आया और एकादशी का व्रत किया। राज्य में व्रत के प्रभाव से मूसलधार वर्षा हुई और राज्य में खुशियां छा गई।
एकादशी समय
- एकादशी प्रारंभ 9 जुलाई दोपहर 4.39 से
- एकादशी पूर्ण 10 जुलाई दोपहर 2.13 तक
- पारण 11 जुलाई प्रात: 5.49 से प्रात: 8.30 तक