Devshayani Ekadashi 2019: चार माह के लिए बंद हो जाएंगे मांगलिक कार्य
नई दिल्ली। आषाढ़ शुक्ल एकादशी को देवशयनी एकादशी कहा जाता है। इस बार यह एकादशी 12 जुलाई को है। देवशयनी एकादशी के दिन से सगाई, विवाह, मुंडन, यज्ञोपवित, दीक्षा संस्कार जैसे समस्त कार्यों पर चार माह के लिए प्रतिबंध लग जाएगा। इसका कारण है सृष्टि के पालनकर्ता भगवान विष्णु का शयनकाल में जाना। देवशयनी एकादशी से भगवान विष्णु चार माह के लिए पाताल लोक में योग निद्रा में रहते हैं। किसी भी शुभ कार्य के लिए भगवान विष्णु का साक्षी होना आवश्यक है, यदि वे योग निद्रा में रहेंगे तो शुभ कार्यों का कोई शुभ फल प्राप्त नहीं हो पाता है। चार माह पश्चात कार्तिक शुक्ल एकादशी के दिन भगवान विष्णु का शयनकाल समाप्त होता है, इसे देवोत्थान एकादशी कहा जाता है। इस वर्ष देवोत्थान एकादशी 8 नवंबर, शुक्रवार को आ रही है। यह संयोग ही है कि देवशयनी और देव प्रबोधिनी एकादशी शुक्रवार को आ रही है। शुक्रवार मां लक्ष्मी का दिन होता है, इसलिए इन दोनों एकादशियों पर मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए भी विशेष उपाय किए जाते हैं।
देवशयनी एकादशी का बड़ा महत्व
शास्त्रों में देवशयनी एकादशी का बड़ा महत्व बताया गया है। भगवान विष्णु और लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए यह सर्वश्रेष्ठ दिन होता है। इस एकादशी के दिन भगवान विष्णु का विशेष पूजन करके उन्हें विधिवत शयन करवाया जाता है। भगवान विष्णु का मंगल शयन 12 जुलाई के सायंकाल में करवाया जाएगा। शयन काल में जाने से पूर्व भगवान विष्णु अपने भक्तों को मनचाहा आशीर्वाद प्रदान करते हैं, जिससे जीवन की समस्त समस्याओं, बाधाओं का नाश होता है और व्यक्ति के सुख-वैभव, धन-धान्य, पद-प्रतिष्ठा प्राप्त करने का मार्ग प्रशस्त होता है।
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क्या करें देवशयनी एकादशी के दिन
- इस दिन शाम के समय तुलसी के पौधे में घी का दीपक लगाएं। ओम नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप करते हुए 11 परिक्रमा करें।
- धन प्राप्ति के लिए एकादशी के दिन किसी भी विष्णु मंदिर में सफेद मिठाई या खीर का भोग लगाएं।
- इस दिन भगवान विष्णु का पीले रंग के कपड़ों से श्रृंगार करें। गरीबो में पीला अनाज बांटें।
- तीर्थ स्थल, पवित्र नदियों के किनारे बैठकर गायत्री मंत्र का जाप करें।
- समस्त रोगों का निवारण करने के लिए इस दिन एक नारियल और बादाम विष्णु को अर्पित करें।
- देवशयनी एकादशी के दिन 7 कन्याओं को भोजन कराएं। भोजन में खीर खिलाएं। इससे धन-धान्य और सुख संपदा प्राप्त होती है।
- इस दिन मां लक्ष्मी के मंत्रों का जाप, श्रीसूक्त का पाठ, कनकधारा स्तोत्र का पाठ शाम के समय तुलसी के पौधे के समीप बैठकर करने से आर्थिक स्थिति मजबूत होती है।
कैसे करें देवशयनी एकादशी पूजा
एकादशी व्रत की शुरुआत दशमी तिथि की रात्रि से ही हो जाती है। शास्त्रों के अनुसार दशमी तिथि की रात्रि के भोजन में नमक का सेवन नहीं करें। अगले दिन प्रातः उठकर नित्य कार्यों से निवृत्त होकर अपने पूजा स्थान में एकादशी व्रत का संकल्प लें। भगवान विष्णु का षोडशोपचार पूजन करके एकादशी व्रत कथा का पाठ-श्रवण करें। देवशयनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु के सहस्त्र नामों का जाप करते रहना चाहिए। मन ही मन भगवान विष्णु का ध्यान करें और मन में कोई भी दूषित विचार ना आने दें।
8 नवंबर से शुरू होंगे मांगलिक कार्य
कार्तिक शुक्ल एकादशी देवोत्थान एकादशी इस बार 8 नवंबर शुक्रवार को आ रही है। इस दिन देव उठने के साथ ही चातुर्मास का समापन होगा और विवाह आदि समस्त मांगलिक कार्य प्रारंभ हो जाएंगे।
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