Guru Purnima पर श्रद्धालुओं ने गंगा में लगाई आस्था की डुबकी, जानिए 'गुरु' का अर्थ
नई दिल्ली। आज गुरु पूर्णिमा है, आस्था के मानक इस पर्व पर आज जहां भारी संख्या में लोगों ने आस्था की डुबकी लगाई और परिवार वालों के दुआएं मांगी हैं वहीं दूसरी ओर आज काशी-प्रयागराज समेत कई तीर्थ स्थानों पर घाटों के किनारे सत्संग का भी आयोजन किया गया है। भोर प्रहर से ही आज श्रद्धालुओं शहर के प्रयागराज, वाराणसी, कानपुर गंगा नदी और लखनऊ की गोमती नदी में तट पर भारी भीड़ देखी जा रही है, गंगा स्नान करने के बाद सभी भक्त मंदिर में पूजा अर्चना कर रहे हैं।
श्रद्धालुओं ने गंगा में लगाई आस्था की डुबकी
आपको बता दें कि आषाढ़ मास की पूर्णिमा को 'गुरु पूर्णिमा' कहते हैं। इस दिन गुरु पूजा की जाती है। इस अलौकिक दिन के बारे में हर किसी की अपनी-अपनी सोच है। इस दिन गुरु पूजा का विधान है। इस दिन से चार महीने साधु-संत एक ही स्थान पर रहकर ज्ञान की गंगा बहाते हैं।
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ये चार महीने मौसम के हिसाब से भी सर्वश्रेष्ठ होते हैं...
ये चार महीने मौसम के हिसाब से भी सर्वश्रेष्ठ होते है, इस दौरान न अधिक गर्मी पड़ती है और न ही अधिक सर्दी इसलिए अध्ययन के लिए उपयुक्त माने गए हैं। जैसे सूर्य के ताप से तप्त भूमि को वर्षा से शीतलता और फसल पैदा करने की शक्ति मिलती है, वैसे ही गुरु-चरणों में उपस्थित साधकों को ज्ञान और योग की शक्ति मिलती है। इस दिन जगह-जगह गुरु के सम्मान में कार्यक्रमों का आयोजन होता है।
जानिए 'गुरु' का अर्थ
शास्त्रों में 'गु' का अर्थ बताया गया है- अंधकार या मूल अज्ञान और 'रु' का अर्थ किया गया है- उसका निरोधक। 'गुरु' को 'गुरु' इसलिए कहा जाता है कि वह अज्ञान तिमिर का ज्ञानांजन-शलाका से निवारण कर देता है और अंधकार को हटाकर प्रकाश की ओर ले जाने वाले को 'गुरु' कहा जाता है।
कुछ खास बातें
- संत घीसादास का भी जन्म भक्तिकाल के संत घीसादास का भी जन्म इसी दिन हुआ था वे कबीरदास के शिष्य थे।
- गुरू-पूर्णिमा के दिन महाभारत के रचयिता कृष्ण द्वैपायन व्यास का जन्मदिन भी है।
- उन्होंने चारों वेदों की भी रचना की थी, इस कारण उनका एक नाम वेद व्यास भी है उन्हें आदिगुरु कहा जाता है।
- और उनके सम्मान में गुरु पूर्णिमा को 'व्यास पूर्णिमा' नाम से भी जाना जाता है।
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