Dev Deepawali 2018: जानिए देव दीपावली का शुभ मुहूर्त-महत्व और पूजा विधि
वाराणसी। आज पूरी काशी देव-दीपावली के रंग में रंग गई है। यह पर्व दीपावली के पंद्रह दिन बाद मनाया जाता है, ऐसा माना जाता है कि आज के दिन देवतागण गंगा घाट पर दिवाली मनाने आते हैं। कहा जाता है कि आज के दिन त्रिपुरासुर दानव शिव द्वारा मारा गया था इसलिए ये दिन भगवान शिव के विजयी दिवस के रूप नामित किया गया है इसलिए आज सारे देवतागण भगवान भोले नाथ की नगरी काशी में दिवाली मनाते हैं और उनकी जटा में समाने वाली मां गंगा का सम्मान करते हैं। आज खास तौर पर गंगा आरती आयोजित की जाती है, जिसे देखने के लिए लाखों की संख्या में श्रद्धालुगण घाटों पर एकत्र होते हैं।
शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
देव दिवाली की पूजा प्रदोष काल में की जाती है , जिसके लिए आज शाम 4:50 से लेकर 5 बजकर 40 मिनट का वक्त अच्छा है। इस दिन माता तुलसी के सामने दीपदान किया जाता है और शाम के समय गंगा किनारे दीपक जलाते हैं, जो लोग घाट नहीं पहुंच सकते हैं, वो लोग अपने घरों में गंगाजल की पूजा करते हैं।
यह भी पढ़ें: Guru Nanak के ये विचार बदल सकते हैं आपकी जिंदगी
त्रिपुरी पूर्णिमा या गंगा स्नान
आज कार्तिक की पूर्णिमा भी है, जिसकी हिंदू धर्म में काफी मान्यता है। इसे त्रिपुरी पूर्णिमा या गंगा स्नान के नाम से भी जाना जाता है। इस पुर्णिमा को त्रिपुरी पूर्णिमा की संज्ञा इसलिए दी गई है क्योंकि इस दिन ही भगवान शंकर ने त्रिपुरासुर नामक महाभयानक असुर का अंत किया था और वे त्रिपुरारी के रूप में पूजित हुए थे।
शिव शंकर के दर्शन करने की प्रथा
कहा जाता है कि आज के दिन शिव शंकर के दर्शन करने से सात जन्म तक व्यक्ति ज्ञानी और धनवान होता है। इस दिन चन्द्र जब आकाश में उदित हो रहा हो उस समय शिवा, संभूति, संतति, प्रीति, अनुसूया और क्षमा इन छ: कृतिकाओं का पूजन करने से शिव जी की कृपा प्राप्त होती है।
यह भी पढ़ें: Gurpurab 2018: आज दोस्तों को भेजें गुरु नानक जयंती पर ये शुभकामना संदेश