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Coronavirus: काशी की प्रसिद्ध गंगा आरती में आम लोगों के प्रवेश पर लगी रोक, जानिए इसका महत्व और इतिहास

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नई दिल्ली। पूरी दुनिया में कोरोना वायरस से मरने वालों की संख्या 7 हजार से ज्यादा हो गई हैं, तो वहीं भारत में भी कोरोना वायरस के मरीजों की संख्या 147 हो गई है तो अब तक यहां इससे तीन लोग मौत के शिकार हो चुके हैं, स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से इस महामारी की रोकथाम के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं, कोरोना के खौफ के कारण काशी की गंगा आरती भी प्रभावित हुई है, जिला प्रशासन ने गंगा आरती में आम लोगों के प्रवेश पर रोक लगा दी है, आयोजकों से गंगा आरती को साधारण तरीके से सम्पन्न कराने को भी कहा है।

मोझनगरी काशी की पहचान है गंगा-आरती

मोझनगरी काशी की पहचान है गंगा-आरती

मालूम हो बनारस के दशाश्वमेध घाट पर होने वाली गंगा आरती आस्था की मानक ही नहीं बल्कि मोक्षनगरी काशी की पहचान भी है, इस आरती में शामिल होने के लिए देश के ही लोग बल्कि भारी संख्या में विदेशी भी आते हैं। इस आरती का इतिहास भी काफी रोचक है।

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साल 1991 में शुरू हुई थी गंगा-आरती

साल 1991 में शुरू हुई थी गंगा-आरती

कहा जाता है कि हरिद्वार की परंपरा को आत्मसात करते हुए साल 1991 में बनारस के कुछ पंडितो ने दशाश्वमेध घाट पर गंगा आरती की शुरुआत की थी, जो की धीरे धीरे बनारस के कई अन्य घाट पर भी होने लगी| हरिद्वार में यह परंपरा काफी पुरानी है मगर बनारस में इसकी शुरुआत का श्रेय गंगा सेवा निधि के संस्थापक सत्येन्द्र मिश्र को जाता है।

तीन लोगों ने शुरू की थी गंगा आरती

तीन लोगों ने शुरू की थी गंगा आरती

आरंभ में केवल तीन लोगो ने इस दशाश्वमेध घाट की गंगा आरती को शुरू किया मगर कुछ समय बाद इसे भव्य रूप मिला और भव्यता इतनी थी के सात समंदर पार से भी लोग इसे देखने आने लगे।

भव्य होती है गंगा-आरती

भव्य होती है गंगा-आरती

वाराणसी की गंगा आरती दुनिया में सबसे सुंदर धार्मिक समारोहों में से एक है। यह समारोह एक शंख बजाने के साथ शुरू होता है। माना जाता है कि शंख सभी नकारात्मक ऊर्जा को खत्म करता है। वाराणसी गंगा आरती काशी विश्वनाथ मंदिर के पास, पवित्र दशाश्वमेध घाट पर हर सूर्यास्त के समय सम्पन्न होती है। इसके अलावा कार्तिक पूर्णिमा पर हर साल के अंत में वाराणसी में विशेष रूप से विस्तृत पैमाने पर एक महा आरती का आयोजन होता है।

गंगा आरती दशाश्वमेध घाट की भी पहचान है

गंगा आरती दशाश्वमेध घाट की भी पहचान है

गंगा आरती दशाश्वमेध घाट की भी पहचान है, काशीखंड के अनुसार शिवप्रेषित ब्रह्मा ने काशी में आकर इसी घाट पर दस अश्वमेध यज्ञ किए। शिवरहस्य के अनुसार यहां पहले रुद्रसरोवर था, यहां प्रयागेश्वर भगवान का मंदिर भी है।

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English summary
Entry Ban of Common People In Ganga Aarti In Varanasi, Uttara pradesh, here us is importance and history of ganaga arti, please have a look.
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