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Choti Diwali 2018 or Naraka Chaturdashi: अकाल मृत्यु और नर्क के भय से बचाएंगे ये उपाय

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नई दिल्ली। कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को नरक चतुर्दशी और रूप चतुर्दशी कहा जाता है। दीपावली के एक दिन पहले आने के कारण कुछ लोग इसे छोटी दीपावली के नाम से भी जानते हैं। यह दिन नर्क की यातना से छुटकारा पाने का दिन होता है। इसलिए इस दिन हिंदू धर्म को मानने वाले लोग कुछ विशेष उपाय करते हैं। इस दिन सूर्योदय से पूर्व स्नान करने का महत्व है। माना जाता है कि सूर्योदय पूर्व स्नान करके भगवान विष्णु की पूजा करने और घर की चौखट पर चौमुखी दीपक लगाने से समस्त पापों का नाश होता है और मृत्यु के बाद नर्क की यातना नहीं भोगना पड़ती। इस दिन कई तरह के उपाय किए जाते हैं।

आइए जानते हैं वे क्या उपाय हैं....

नरक चतुर्दशी

नरक चतुर्दशी

  • नरक चतुर्दशी के दिन स्नान से पूर्व पूरे शरीर पर तिल का तेल लगाने का महत्व है। इससे ग्रहों की पीड़ा शांत होती है। मां लक्ष्मी प्रसन्न् होती हैं और व्यक्ति पूरे वर्ष निरोगी बना रहता है। इस दिन बेसन में हल्दी, चंदन और तेल मिलाकर बनाया उबटन भी पूरे शरीर पर लगाया जाता है।
  • नरक चतुर्दशी के दिन पवित्र नदियों के जल से स्नान करने का विधान है। अपने नहाने के जल में गंगा, यमुना, नर्मदा आदि पवित्र नदियों का जल डालें और इसमें कुछ दाने तिल के डालें। फिर अपने ईष्ट देवके मंत्रों का जाप करते हुए इस जल से नहाएं। इससे सुख-सौंदर्य में वृद्धि होती है।

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लाल चंदन, लाल गुलाब या लाल गुड़हल

लाल चंदन, लाल गुलाब या लाल गुड़हल

  • इस दिन सूर्योदय से पूर्व स्नान करके किसी नदी या तालाब के किनारे यमराज के निमित्त तर्पण करके तीन अंजुली जल अर्पित करने से यम की पीड़ा शांत होती है।
  • स्नान के बाद अपने घर के मुख्य दरवाजे के दायीं ओर जल से धोकर, गाय के गोबर से छोटा सा चौकोर आकार में लीप लें। इस पर कुमकुम, अबीर और गुलाल से स्वास्तिक बनाकर उस पर चावल की एक ढेरी लगाएं और एक पूजा की सुपारी और एक रुपए का सिक्का रखें। उस पर एक दीपक में चार मुखी बत्तियां लगाकर इसे प्रज्वलित करें। इससे धन संपत्ति की प्राप्ति होती है।
  • नरक चतुर्दशी के दिन लाल चंदन, लाल गुलाब या लाल गुड़हल के फूल और रोली का पूजन कर इन्हें एक लाल रेशमी कपड़े में बांधकर घर की तिजोरी या दुकान के गल्ले में रखने से धन के आगमन में आने वाली रूकावट समाप्त होती है।
  •  प्रदोषकाल का भी बड़ा महत्व

    प्रदोषकाल का भी बड़ा महत्व

    • नरक चतुर्दशी के प्रदोषकाल का भी बड़ा महत्व है। दिन सायंकाल में प्रदोषकाल में (शाम 5 से 7.30 बजे तक का समय) चौदह दीपक में तिल का तेल भरकर इन्हें घर के भीतर, बाहर, मंदिर में, तुलसी के पौधे के समीप सभी जगह लगाएं।
    • इस दिन नदी-तालाब में दीपदान भी किया जाता है। इससे यम की यातना से छुटकारा मिलता है। नर्क नहीं भोगना पड़ता और अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता।

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Comments
English summary
Diwali or Deepavali is the Hindu festival of lights celebrated every year in autumn in। Diwali or Deepavali is the Hindu festival of lights celebrated every year in autumn in the northern hemisphere (spring in southern hemisphere).here is some unknown facts about this Festival.
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