महापर्व छठ पर्व विशेष: हे छठी मईया सुन ले हमरी पुकार..
पटना। लोक आस्था के महापर्व छठ का हिंदू धर्म में अलग महत्व है। बिहार समेत पूरे देश में सोमवार से चार दिवसीय छठ पर्व शुरू हो गया।
सूर्य की आराधना का पर्व
छठ पर्व मूलत: सूर्य की आराधना का पर्व है, जिसे हिंदू धर्म में विशेष स्थान प्राप्त है। हिंदू धर्म के देवताओं की सूची में सूर्य ही एक मात्र देवता है जिन्हें मूर्त रूप में देखा जा सकता है। बाकी सभी देवताओं को कल्पना के आधार पर आकार दिया गया है।
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शिल्प देव का प्राचीन सूर्य मंदिर
राजधानी दिल्ली के मंडावली इलाके में रहने वाली एक छठ व्रतधारी सुनीता सिंह कहती हैं, "वह अपने बेटे की सकुशलता के लिए छठ का व्रत करती हैं।"
सूखी लकड़ियों का प्रयोग
छठव्रती सरिता देवी ने कहा कि छठ पूजा के दौरान खाना पकाने के लिए केवल आम की सूखी लकड़ियों का प्रयोग किया जाता है। खाना रखने के लिए बांस की टोकरियां प्रयुक्त होती हैं।
36 घंटे का व्रत
विवाहित महिलाएं 36 घंटे का व्रत रखती हैं। श्रद्धालु पारंपरिक रूप से सूर्य को गेहूं, दूध, गन्ना, केले और नारियल चढ़ाते हैं।
सूर्य पुत्र कर्ण ने सूर्य देव की पूजा शुरू की
ऐसी मान्यता है कि छठ पर्व की शुरुआत महाभारत काल में हुई थी। सबसे पहले सूर्य पुत्र कर्ण ने सूर्य देव की पूजा शुरू की और इसके बाद से यह पर्व आज तक मनाया जा रहा है। वैसे कुछ कथाओं में पांडवों की पत्नी द्रोपदी द्वारा सूर्य की पूजा करने की बात भी उल्लिखित है।
एक अलग कहानी
बिहार के औरंगाबाद जिले के देव स्थित प्रसिद्ध सूर्य मंदिर के मुख्य पुजारी सच्चिदानंद पाठक के मुताबिक राजा प्रियवद को कोई संतान नहीं थी, तब महर्षि कश्यप ने पुत्रेष्टि यज्ञ कराकर उनकी पत्नी मालिनी को यज्ञाहुति के लिए बनाई गई खीर दी। इसके प्रभाव से उन्हें पुत्र हुआ परंतु वह मृत पैदा हुआ। प्रियवद पुत्र को लेकर श्मशान गए और पुत्र वियोग में प्राण त्यागने लगे।
देवी षष्ठी का व्रत
उसी वक्त भगवान की मानस कन्या देवसेना प्रकट हुई और कहा कि सृष्टि की मूल प्रवृत्ति के छठे अंश से उत्पन्न होने के कारण मैं षष्ठी कहलाती हूं। राजन तुम मेरा पूजन करो तथा और लोगों को भी प्रेरित करो। राजा ने पुत्र इच्छा से देवी षष्ठी का व्रत किया और उन्हें पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई। यह पूजा शुक्ल पक्ष की षष्ठी को हुई थी।
सूर्य की पत्नी ऊषा और प्रत्यूषा
आचार्य लालभूषण मिश्र ने बताया कि छठ व्रत के दौरान हम सूर्य की आराधना करते है। उन्होंने बताया कि सूर्य की शक्तियों का मुख्य स्रोत उनकी पत्नी ऊषा और प्रत्यूषा हैं। वास्तव में सूर्य के साथ-साथ दोनों शक्तियों की संयुक्त आराधना होती है। प्रात:काल में सूर्य की पहली किरण (ऊषा) और सायंकाल में सूर्य की अंतिम किरण (प्रत्यूषा) को अघ्र्य देकर दोनों का नमन किया जाता है।