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Chaitra Navratri 2019: चैत्र नवरात्रि में बना रवि पुष्य है बहुत खास

By Pt. Gajendra Sharma
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नई दिल्ली। नक्षत्रों का राजा कहलाने वाले पुष्य नक्षत्र का रविवार और गुरुवार के दिन आना अत्यंत शुभ और कार्यों में सफलतादायक कहा गया है। और यदि यह नवरात्रि जैसे वर्ष में सर्वश्रेष्ठ और पवित्र दिनों में आ जाए तो फिर सोने पर सुहागा की तरह हो जाता है। चैत्र नवरात्रि में 14 अप्रैल को रविवार के दिन रवि-पुष्य का शुभ संयोग बन रहा है। इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग और नवरात्रि की पूर्णाहुति होने के कारण यह दिन बेहद खास हो गया है। इस दिन यदि कोई कार्य प्रारंभ करना चाहते हैं तो जरूर करें या अपने जीवन में धन-संपत्ति, नौकरी जैसी समस्याओं से जूझ रहे हैं तो कुछ उपाय जरूर करें।

नवरात्रि

नवरात्रि

14 अप्रैल रविवार को पुष्य नक्षत्र प्रात: 7 बजकर 39 मिनट तक ही है लेकिन इसका पुण्यकाल सूर्यास्त तक रहेगा। चूंकि इस दिन नवरात्रि की पूर्णाहुति भी होगी, जो लोग देवी सूक्त या दुर्गा सप्तशती के पाठ कर रहे हैं वे इस दिन व्रत को पूर्ण करेंगे इसलिए इन समस्त कार्यों में पुष्य का संयोग फलदायी रहेगा। इस दिन सर्वार्थसिद्धि योग भी पूरे दिन रहेगा। इस दिन वैष्णव मतानुसार रामनवमी का पर्व भी मनाया जाएगा। साथ ही इस दिन से मीन मलमास की समाप्ति भी हो रही है।

  • पुष्य नक्षत्र प्रारंभ 13 अप्रैल प्रात: 8.58 से
  • पुष्य नक्षत्र पूर्ण 14 अप्रैल प्रात: 7.39 तक

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क्या करें रवि-पुष्य के दिन

क्या करें रवि-पुष्य के दिन

  • रवि-पुष्य नक्षत्र का सूर्योदय अत्यंत पुण्यदायक रहेगा क्योंकि इसी दिन से सूर्य मीन राशि से निकलकर मेष राशि में प्रवेश करेगा। यानी इस दिन से मीन मलमास समाप्त होगा। इसलिए इस दिन सूर्योदय के समय सूर्यनमस्कार करें, सूर्य को अर्घ्य दें। इससे जीवन में सम्मान और प्रतिष्ठा बढ़ेगी।
  • रवि पुष्य के दिन सूर्योदय के समय एक कलश में जल भरकर उसमें थोड़ा सा लाल चंदन डालकर सूर्य को अर्घ्य देने से जन्मकुंडली में सूर्य से जुड़े समस्त दोषों का शमन होगा। सूर्य मजबूत होगा और सरकारी नौकरी से जुड़ी समस्याएं हल होंगी। मान-सम्मान, पद-प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी।
  • रवि-पुष्य नक्षत्र और नवमी होने के कारण इस दिन दुर्गा सप्तशती के श्लोकों से हवन करें। जीवन की सारी समस्याएं समाप्त हो जाएंगी।

 पूजा की सुपारी और अक्षत

पूजा की सुपारी और अक्षत

  • आर्थिक कष्ट से उबरने के लिए रवि-पुष्य के दिन सोने का एक मोती पूजा में रखकर इसे पीले कपड़े में बांधकर अपनी तिजोरी में रखें, स्वर्ण के भंडार भर जाएंगे। जो लोग सोने का मोती नहीं खरीद सकते वे चांदी का मोती रखें और जो चांदी का मोती भी नहीं खरीद सकते वे लोग एक पूजा की सुपारी और अक्षत लाल कपड़े में बांधकर रखें।
  • रवि-पुष्य के दिन स्वर्ण की पूजा का बड़ा महत्व होता है। अपने घर में जितने भी स्वर्ण के आभूषण हों, उन्हें गंगाजल से धोकर मां लक्ष्मी के चरणों में रखें और लाल कुमकुम और लाल सुगंधित गुलाब के पुष्पों से पूजन करें। इससे स्वर्ण के आभूषणों में वृद्धि होगी।
  • जिन युवतियों के विवाह में बाधा आ रही हो वे रवि-पुष्य के दिन केले के पेड़ की जड़ ले आएं। इसे गंगाजल और कच्चे दूध से धोकर हल्दी से पूजा करें और पीले कपड़े में बांधकर अपने गले में पेंडेंट की तरह पहनें। गले में नहीं पहन सकते हैं तो चांदी के ताबीज में भरकर हमेशा अपने पास रखें।दांपत्य सुख के लिए रवि-पुष्य के दिन शिव परिवार का पूजन करें।

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English summary
Ravi Pushya Yoga is highly regarded Yoga in astrology. Pushya is an auspicious Nakshatra and when it falls on Sunday it forms highly auspicious Ravi Pushya Yoga.
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