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हस्तशिल्प: छोटी मूर्तियों की कहानी, मूर्ति की ज़ुबानी

By Ajay Mohan
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बेंगलुरु (अजय मोहन)। जब भी आप मंदिर या किसी पर्यटन स्थल पर जाते हैं, तब आपको छोटी-छोटी मूर्तियां जरूर दिखाई देती होंगी। उसे खरीदने का मन भी करता होगा लेकिन 6 इंच की मूर्ति की कीमत 500 से 1000 रुपए देख कर आप पीछे हट जाते होंगे। सोचते होंगे, बड़ी महंगी है। लेकिन क्या आपने उस मूर्ति के पीछे की कहानी जानने की कोश‍िश की? नहीं! तो चलिये हम बताते हैं कर्नाटक के मुख्य पर्यटन स्थलों पर मिलने वाली मूर्तियों से जुड़ी रोचक बातें।

छोटी-छोटी मूर्तियां जो ठेले पर बिकती हैं, वो असल में साधारण पत्थरों की नहीं बनी होती हैं। ये सॉफ्ट स्टोन की बनी होती हैं जो आसानी से उपलब्ध नहीं होता है। प्रसिद्ध पर्यटन स्थल हम्पी के विठ्ठल मंदिर के बाहर मूर्तियां तराशने वाले मूर्ति बताते हैं कि ये पत्थर मैसूर के पास पहाड़‍ियों पर मिलता है।

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ये पत्थर जमीन की सतह पर नहीं, बल्क‍ि 5 से 10 फीट अंदर पाया जाता है। कभी-कभी पत्थर खोजने के लिये 30 से 40 फीट तक की खुदाई कर डालते हैं। मैसूर में कुछ लोग केवल जमीन से सॉफ्ट स्टोन खोज कर ही अपनी जीविका चलाते हैं। यहां से ये पत्थर भारत के अलग-अलग कोनों में सप्लाई कर दिये जाते हैं। जिनहें श‍िल्पकार खरीदते हैं।

छह साल की उम्र से मर्तियां तराश रहे मर्ति बताते हैं कि पत्थर मिलने के बाद उन्हें छोटे-छोटे टुकड़ों में तोड़ा जाता है, टूटने के बाद जो भी आकार ये पत्थर लेते हैं, उसी के हिसाब से तय किया जाता है कि उसका क्या बनाना है। जैसे नीचे से चौड़ा, ऊपर से पतला है, तो श‍िवलिंग। सपाट है, तो हाथ‍ियों की पंक्त‍ि, त्रिभुजाकार है तो गणपति और अगर इंसान के सिर जैसा है, तो महात्मा बुद्ध। नहीं तो कोई न कोई आकर्षक चीज बन ही जाती है।

इस हस्तशिल्प से जुड़ी चौंकाने वाली बातें पढ़ें स्लाइडर में तस्वीरों के साथ-

हस्तश‍िल्प से जुड़ी खास बातें

हस्तश‍िल्प से जुड़ी खास बातें

इस तस्वीर में एक तरफ असली रथ है, तो दूसरी तरफ उसका मॉडल जो साफ्टस्टोन से बना है।

इनकी ओर आकर्ष‍ित होते हैं आप

इनकी ओर आकर्ष‍ित होते हैं आप

ये वो मूर्तियां हैं जिनकी ओर आप आकर्ष‍ित होते है।

सॉफ्ट स्टोन

सॉफ्ट स्टोन

ये वो सॉफ्ट स्टोन है, जो अलग-अलग आकार में टेटे हैं।

इस पत्थर पर तराशे जायेंगे हाथी

इस पत्थर पर तराशे जायेंगे हाथी

इस लंबे पत्थर के टुकड़े पर तीन से चार हाथी तराशे जायेंगे।

महात्मा बुद्ध के लिये है ये पत्थर

महात्मा बुद्ध के लिये है ये पत्थर

इस पत्थर पर महात्मा बुद्ध की मूर्ति को तराशा जायेगा।

हम्पी का रथ

हम्पी का रथ

हम्पी के इस रथ को बनाने में लगते हैं दो से तीन दिन।

एक से डेढ़ दिन का काम

एक से डेढ़ दिन का काम

ऐसी एक मूर्ति को तराशने में एक से डेढ़ दिन लगता है।

हम्पी के मूर्ति

हम्पी के मूर्ति

ये हम्पी के निवासी मूर्ति हैं, जो मूर्तियां बनाते हैं।

सरकार से चाहते हैं मदद

सरकार से चाहते हैं मदद

मूर्ति कहते हैं कि अगर सरकार की मदद मिले तो इस काम को वृहद स्तर पर किया जा सकता है।

एकांत चाहिये होता है

एकांत चाहिये होता है

मूर्ति बताते हैं कि कार्विंग में एकांत जगह चाहिये होती है। असल में तभी आप एकाग्र होकर अच्छी मूर्ति बना पाते हैं।

मूर्ति के पिता

मूर्ति के पिता

मूर्ति के पिता, जिन्होंने बेटे को यह कला सिखाई और अब मूर्तियां बेचते हैं। इनके पिता भी यही काम करते थे।

Comments
English summary
We are talking about the Carving Art of Karnataka, which really needs government support. Many carving artists are there who are just having hand to mouth earnings.
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