Bhisham Panchak Vrat 2020: भीष्म पंचक व्रत से मिलेगा सुख-सौभाग्य, उत्तम संतान
Bhisham Panchak Vrat 2020: कार्तिक शुक्ल एकादशी से कार्तिक पूर्णिमा तक पांच दिन भीष्म पंचक व्रत किया जाता है। इसे विष्णु पंचक व्रत भी कहा जाता है क्योंकि कार्तिक माह के इन अंतिम पांच दिनों में भगवान विष्णु की विशेष पूजा की जाती है। इस व्रत की शुरुआत महाभारत काल में हुई थी और पितामह भीष्म के नाम पर इस व्रत का नाम भीष्म पंचक व्रत पड़ा। दरअसल महाभारत युद्ध समाप्त होने के बाद पितामह भीष्म जब शरशैय्या पर पड़े हुए सूर्य के उत्तरायण होने की प्रतीक्षा में मृत्यु के दिन गिन रहे थे, जब भगवान श्रीकृष्ण ने पांडवों को उनसे शिक्षा ग्रहण करने भेजा था। तब पांच दिनों तक भीष्म ने धर्म, कर्म, नीति, राज्यनीति और मोक्ष के संबंध में जो ज्ञान पांडवों को दिया, उसी के नाम पर श्रीकृष्ण ने इस व्रत का नाम भीष्म पंचक रखा। इस व्रत को करने से समस्त प्रकार के पुण्य, अर्थ, मोक्ष प्राप्त किया जा सकता है। यह व्रत इस वर्ष 25 नवंबर कार्तिक एकादशी से 30 नवंबर कार्तिक पूर्णिमा तक किया जाएगा।
पद्म पुराण के अनुसार भीष्म पंचक व्रत की महिमा अपरंपार है। पांच दिनों तक अर्थात एकादशी से पूर्णिमा तक भगवान श्रीहरि की प्रतिमा के सामने अखंड दीपक जलाएं। प्रतिदिन ऊं नमो भगवाते वासुदेवाय मंत्र का 108 बार जाप करें। प्रतिदिन संध्या के समय संध्या वंदना कर उपरोक्त मंत्र का 108 बार जाप पर भूमि पर शयन करें। एकादशी से भगवान विष्णु का पूजन कर उपवास रखें। उसके बाद द्वादशी के दिन व्रतधारी मनुष्य भूमि पर बैठकर मंत्रोच्चारण के साथ गोमूत्र का सेवन करें। त्रयोदशी को केवल दूध ग्रहण करें। चतुर्दशी को दही का सेवन करें। इस प्रकार चार दिनों तक व्रत करें, जिससे शरीर की शुद्धि होती है। पांचवें दिन स्नान कर भगवान श्रीहरि की पूजा करें तथा ब्राह्मणों को भोजन कराकर उन्हें दक्षिणा दें। इन पांच दिनों में शाकाहारी भोजन ही ग्रहण करें तथा हर पल श्रीहरि का पूजन करें। उसके बाद पंचगव्य खाकर अन्न् ग्रहण करें। विधिपूर्वक इस व्रत को पूरा करने से मनुष्य को शास्त्रों में लिखे फलों की प्राप्ति होती है। इस व्रत को करने से नि:संतान दंपती को उत्तम संतान की प्राप्ति होती है। महापातकों का नाश होता है तथा मनुष्य को परमपद प्राप्त होता है।
इस दिन किया जाता तर्पण
महाभारत के अनुसार कार्तिक शुक्ल एकादशी के दिन शरशैय्या पर मृत्यु की प्रतीक्षा कर रहे पितामह भीष्म ने अर्जुन से पीने के लिए पानी मांगा था। तब अर्जुन ने बाण चलाकर धरती से गंगा की धारा प्रवाहित की थी जो सीधे भीष्म के मुंह में गई और वे तृप्त हुए। इसीलिए भीष्म पंचक व्रत में भीष्म के नाम से तर्पण किया जाता है।
गरुड़ पुराण के अनुसार हर दिन क्या अर्पित करें
- भीष्म पंचक व्रत के संबंध में गरुड़ पुराण में दिए गए वर्णन के अनुसार प्रतिदिन भगवान विष्णु को अलग-अलग वस्तुएं अर्पित करना चाहिए।
- पहले दिन भगवान विष्णु के चरणों में कमल के फूल अर्पित करना चाहिए।
- दूसरे दिन भगवान विष्णु की जंघाओं पर बिल्व पत्र अर्पित करना चाहिए।
- तीसरे दिन भगवान विष्णु की नाभि पर इत्र (गंध) अर्पित किया जाता है।
- चौथे दिन भगवान विष्णु के कंधे पर जवा कुसुम फूल अर्पित किया जाता है।
- पांचवे दिन भगवान विष्णु को मालती का फूल चढ़ाया जाता है।
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