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कर्ज मुक्ति करवाता है भौम प्रदोष व्रत, 2 अप्रैल को आ रहा है भौम प्रदोष

By Pt. Gajendra Sharma
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नई दिल्ली। प्रत्येक माह की कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन प्रदोष व्रत होता है। प्रदोष व्रत भगवान शिव को समर्पित व्रत है। इस दिन भगवान शिव की विधि-विधान सहित पूजा करने से समस्त सांसारिक सुखों की प्राप्ति होती है और जातक कर्म बंधनों से मुक्त होता है। प्रदोष व्रत जब शनिवार, सोमवार या मंगलवार को आए तो इसका महत्व कई गुना बढ़ जाता है। इस बार 2 अप्रैल मंगलवार को प्रदोष व्रत आ रहा है। मंगलवार के साथ प्रदोष व्रत का संयोग अद्भुत होता है और जो जातक कर्ज मुक्ति चाहते हैं उन्हें भौम प्रदोष व्रत अवश्य करना चाहिए।

प्रदोष व्रत की पूजा सायंकाल की जाती है

प्रदोष व्रत की पूजा सायंकाल की जाती है

प्रदोष व्रत की पूजा सायंकाल की जाती है। सूर्यास्त के बाद का कुछ समय प्रदोष काल कहलाता है। स्थान विशेष के अनुसार इसका समय बदलता रहता है, लेकिन सामान्यत: सूर्यास्त से लेकर रात्रि के प्रथम प्रहर के प्रारंभ होने तक की समयावधि को प्रदोषकाल माना जाता है। यह व्रत जातक को धर्म, मोक्ष से जोड़ने वाला और अर्थ, काम के बंधनों से मुक्ति प्रदान करने वाला कहा गया है। इस व्रत में भगवान शिव की पूजा करने से गरीबी, मृत्यु का भय, दु:ख, रोग और कर्ज से मुक्ति मिलती है।

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क्या मिलते हैं लाभ

क्या मिलते हैं लाभ

  • मंगलवार का दिन कर्जमुक्ति का दिन होता है। इस दिन भगवान शिव की पूजा विशेष फलदायी होती है और प्रदोष का आना अत्यंत शुभ संकेत है। इसलिए भौम प्रदोष के दिन शिव मंदिर में पंचामृत से अभिषेक करवाएं। धन संबंधी समस्या दूर होगी।
  • भौम प्रदोष का व्रत करने से जातक को मंगल से जुड़े दुष्प्रभावों से मुक्ति मिलती है। इस दिन मंगल यंत्र लाकर उसे घर या प्रतिष्ठान में स्थापित करने से कर्ज मुक्ति होती है।
  • जिन युवक-युवतियों की जन्मकुंडली मंगलीक हो और उनके विवाह होने में बाधा आ रही हो, वे भौम प्रदोष व्रत जरूर करें और शिव-पार्वती की पूजा करें। विवाह का मार्ग खुलेगा।
  • कर्ज से मुक्ति के लिए इस दिन शाम के समय मंदिर में या घर में बैठकर हनुमान चालीसा का पाठ करें। चमत्कारिक रूप से लाभ होगा।
  • इस दिन मंगल देव के 21 या 108 नामों का पाठ करने से शीघ्र ऋण्ा मुक्ति हो जाती है। नया कर्ज लेने की नौबत नहीं आती।
  • भौम प्रदोष व्रत करने से जातक का मंगल ठीक होता है और उसके जीवन में मंगल ही मंगल होने लगता है।
  • जो व्यक्ति शत्रुओं से पीड़ित हो, कर्ज चुकाने के लिए लोग बार-बार परेशान कर रहे हों तो इस दिन हनुमान मंदिर में हनुमान चालीसा का पाठ करके बजरंग बली को बूंदी के लड्डू या हलवे का भोग लगाएं।
  • कर्ज से मुक्ति के लिए भौम प्रदोष के दिन काले पत्थर के शिवलिंग पर सात मुठ्ठी मसूर की दाल अर्पित करें।
  • प्रदोष व्रत की विधि

    प्रदोष व्रत की विधि

    प्रदोष व्रत करने के लिए जातक प्रात:काल ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नानादि से निवृत्त होकर भगवान शिव का पूजन करें और प्रदोष व्रत का संकल्प लें। यदि किसी विशेष इच्छा की पूर्ति के लिए व्रत कर रहे हैं तो संकल्प करते समय उस कार्य का भी उच्चारण करें। इसके बाद पूरे दिन निराहर, निर्जल रहते हुए भगवान शिव की आराधना में लीन रहें। प्रदोष व्रत की पूजा शाम के समय प्रदोष काल में की जाती है। प्रदोषकाल सूर्यास्त से तीन घड़ी पूर्व का होता है। यानी सायं 4.30 से 7 बजे के बीच का समय प्रदोष काल कहलाता है। इस समय स्नान करके साफ स्वच्छ श्वेत वस्त्र धारण करें। पूजा स्थान को गंगाजल से पवित्र करें। पांच रंगों से रंगोली बनाकर मंडप तैयार करें। कुशा के आसन पर बैठकर शिव का पंचोपचार या षोडशोपचार पूजन करें। इसकी संपूर्ण विधि प्रदोष व्रत पूजा विधि की पुस्तक में मिल जाएगी। शिवजी को बेलपत्र, धतूरा, आंक के पुष्प आदि अर्पित करें और दूध से बनी मिठाई का नैवेद्य लगाएं। इसके बाद प्रदोष व्रत की कथा सुनें। कथा समाप्ति के बाद ऊं नम: शिवाय मंत्र से 108 आहूति डालकर हवन करें।

    भौम प्रदोष व्रत कथा

    भौम प्रदोष व्रत कथा

    एक नगर में एक वृद्धा रहती थी। उसका एक ही पुत्र था। वृद्धा की हनुमानजी पर गहरी आस्था थी। वह प्रत्येक मंगलवार को नियमपूर्वक व्रत रखकर हनुमानजी की आराधना करती थी। एक बार हनुमानजी ने उसकी श्रद्धा की परीक्षा लेने का विचार किया। हनुमानजी साधु का वेश धारण कर वृद्धा के घर गए और पुकारने लगे- है कोई हनुमान भक्त, जो हमारी इच्छा पूर्ण करे?

    आवाज सुनकर वृद्धा बाहर आई और बोली- प्रणाम महाराज, आज्ञा।हनुमानजी (वेशधारी साधु) बोले- मैं भूखा हूं, भोजन करूंगा, तू थोड़ी जमीन लीप दे। वृद्धा दुविधा में पड़ गई। बोली- महाराज। लीपने और मिट्टी खोदने के अतिरिक्त आप कोई दूसरी आज्ञा दें, मैं अवश्य पूर्ण करूंगी।

    साधु ने तीन बार प्रतिज्ञा कराने के बाद कहा- तू अपने बेटे को बुला। मैं उसकी पीठ पर आग जलाकर भोजन बनाऊंगा। यह सुनकर वृद्धा घबरा गई, परंतु वह प्रतिज्ञाबद्ध थी। उसने अपने पुत्र को बुलाकर साधु के सुपुर्द कर दिया।

    वेशधारी साधु ने वृद्धा के हाथों से ही उसके पुत्र को पेट के बल लिटवाया और उसकी पीठ पर आग जलवाई। आग जलाकर दु:खी मन से वृद्धा अपने घर में चली गई। इधर भोजन बनाकर साधु ने वृद्धा को बुलाकर कहा- तुम अपने पुत्र को पुकारो ताकि वह भी आकर भोग लगा ले।

    इस पर वृद्धा बोली- उसका नाम लेकर मुझे और कष्ट न पहुंचाओ। लेकिन जब साधु महाराज नहीं माने तो वृद्धा ने अपने पुत्र को आवाज लगाई। अपने पुत्र को जीवित देख वृद्धा को बहुत आश्चर्य हुआ और वह साधु के चरणों में गिर पड़ी। हनुमानजी अपने वास्तविक रूप में प्रकट हुए और वृद्धा को भक्ति, सुख, संपत्ति का आशीर्वाद प्रदान किया।

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English summary
Pradosh Vrat is a sacred fasting day observed by Hindus to please Lord Shiva. It falls on the ‘Trayodashi’ (13th day) in each lunar fortnight of traditional Hindu calendar.
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