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Bhauma Pradosh Vrat 2020: शीघ्र कर्जमुक्ति करवाता है भौम प्रदोष व्रत

By Pt. Gajendra Sharma
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नई दिल्ली। प्रत्येक महीने की शुक्ल और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखा जाता है। जब त्रयोदशी तिथि अर्थात् प्रदोष व्रत मंगलवार के दिन आता है तो इसे भौम प्रदोष कहा जाता है। सोमवार, मंगलवार और शनिवार को प्रदोष का आना विशेष लाभकारी माना जाता है। इस बार 29 सितंबर 2020 को मंगलवार होने के कारण भौम प्रदोष का संयोग बना है। मंगलवार का दिन कर्ज मुक्ति के विशेष उपाय करने के लिए होता है। इसके साथ प्रदोष का आना उन लोगों के लिए सबसे अच्छा दिन है जो कर्ज से परेशान हैं। बार-बार कर्ज लेने की नौबत आ रही है और लाख प्रयासों के बाद भी कर्ज नहीं चुका पा रहे हों। ऐसे लोगों के लिए सलाह है कि वे 29 सितंबर को आ रहे भौम प्रदोष का व्रत जरूर करें। इस दिन शनि भी मार्गी हो रहा है और यह अधिकमास का माह है इसलिए व्रत का महत्व कई गुना बढ़ गया है।

भौम प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव की पूजा की जाती है

भौम प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव की पूजा की जाती है

भौम प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव की पूजा की जाती है। इससे जातक के जीवन में मंगल ग्रह के कारण मिलने वाले अशुभ प्रभाव में कमी आती है।

ये उपाय भी करें

  • कर्ज मुक्ति के लिए भौम प्रदोष की शाम के समय हनुमान चालीसा का पाठ करना लाभदायी सिद्ध होता है।
  • इस दिन ऋणमोचक मंगल स्तोत्र के 21 या 108 पाठ करने से कर्ज से जल्दी छुटकारा मिल जाता है।
  • जिन युवक-युवतियों की कुंडली में मंगल दोष के कारण विवाह में बाधा आ रही है वे यह प्रदोष अवश्य करें।
  • इस दिन हनुमान मंदिर में हनुमान चालीसा का पाठ करके बजरंग बली को बूंदी के लड्डू का भोग लगाएं। इससे आर्थिक संकट दूर होने लगते हैं।
  • रोगों से मुक्ति भी भौम प्रदोष व्रत से होती है।

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प्रदोष व्रत विधि

प्रदोष व्रत विधि

प्रदोष के दिन प्रातःकाल ब्रह्ममुहूर्त में उठ जाएं। स्नानादि के बाद अपने पूजा स्थान को साफ-स्वच्छ कर सामान्य देव पूजन करें। भौम प्रदोष व्रत का संकल्प लें। दिनभर निराहार रहते हुए व्रत रखें। सायंकाल प्रदोष बेला में पूजा स्थान पर पूर्व या उत्तर दिशा की तरफ मुंह करके बैठें। इसके बाद भगवान शिव की फोटो या प्रतिमा को एक चौकी पर स्थापित कर दें। फिर गंगा जल से भगवान शिव का अभिषेक करें। शिवजी को भांग, धतूरा, सफेद चंदन, फल, फूल, अक्षत्, गाय का दूध, धूप आदि अर्पित करें। सभी सामाग्री अर्पित करके ओम नमः शिवाय मंत्र का जाप करें। प्रदोष व्रत की कथा सुनें या पढ़ें।

दो तरीके से किया जा सकता है प्रदोष व्रत

दो तरीके से किया जा सकता है प्रदोष व्रत

स्कंदपुराण के अनुसार प्रदोष व्रत को दो तरीकों से किया जा सकता है। इस व्रत को सूर्योदय से सूर्यास्त तक उपवास कर रखा जा सकता है। फिर शिवजी की पूजा के बाद संध्या काल में व्रत खोला जाता है। दूसरी प्रकार से पूरे चौबीस घंटे का उपवास रखा जाता है। रात भर महादेव का भजन पूजन किया जाता है।

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English summary
Pradosh Vrat is a sacred fasting day observed by Hindus to please Lord Shiva. It falls on the ‘Trayodashi’ (13th day) in each lunar fortnight of traditional Hindu calendar.
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