अत्यंत सिद्ध है सुंदरकांड का पाठ, सुख-शांति-वैभव सब मिलता है इससे
नई दिल्ली। मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम का संपूर्ण जीवन चरित्र गोस्वामी तुलसीदास रचित रामचरितमानस में समाया हुआ है। जिसे सामान्य भाषा में हम रामायण के नाम से जानते हैं। यूं तो इसकी प्रत्येक चौपाई का पठन-पाठन पुण्यदायी और प्रभु श्रीराम के करीब ले जाने वाला है, लेकिन इसमें सबसे उत्तम सुंदरकांड को माना गया है। सुंदरकांड में हनुमानजी द्वारा किए गए महान कार्यों का वर्णन किया गया है। अखंड रामायण पाठ में सुंदरकांड के पाठ का विशेष महत्व होता है।
अत्यंत सिद्ध है सुंदरकांड का पाठ
यहां तक कि अखंड रामायण का पाठ समाप्त हो जाने के बाद भी एक बार फिर से सुंदरकांड का पाठ अलग से किया जाता है। इसमें हनुमान का लंका प्रस्थान, लंका दहन से लंका से वापसी तक के घटनाक्रम आते हैं। इस अध्याय के मुख्य घटनाक्रम हैं हनुमान जी का लंका की ओर प्रस्थान, विभीषण से भेंट, सीता से भेंट करके उन्हें श्री राम की मुद्रिका देना, अक्षय कुमार का वध, लंका दहन और लंका से वापसी। रामायण में सुंदरकांड की कथा सबसे अलग है। संपूर्ण रामायण कथा श्रीराम के गुणों और उनके पुरुषार्थ को दर्शाती है, जबकि सुंदरकांड एकमात्र ऐसा अध्याय है, जो सिर्फ हनुमानजी की शक्ति और विजय का अध्याय है।
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क्या हैं पाठ के लाभ
- यह तो सभी जानते हैं कि हनुमानजी सप्त चिरंजीवी में से एक हैं। यानी वे अभी भी पृथ्वी पर सशरीर मौजूद हैं। यह माना जाता है कि जहां भी सुंदरकांड का पाठ होता है वहां हनुमानजी किसी न किसी रूप में पाठ सुनने अवश्य आते हैं। यह कई लोगों ने साक्षात अनुभव भी किया है।
- सुंदरकांड का पाठ प्रत्येक मंगलवार या शनिवार को किया जाता है। इसका पाठ अकेले में या समूह के साथ संगीतमय रूप में किया जाता है।
- सुंदरकांड का नियमित पाठ जीवन की समस्त बाधाओं का नाश करता है। इससे धन, संपत्ति, सुख, वैभव, मान-सम्मान आदि प्राप्त होता है।
- लगातार सुंदरकांड का पाठ करने से आर्थिक समस्याएं दूर होती हैं।
- व्यापार-व्यवसाय में संकट, नौकरी में परेशानी भी इसके पाठ से दूर होती है।
- यदि आप अकेले सुंदरकांड का पाठ करना चाहते हैं तो प्रात:कालीन समय, ब्रह्म मुहूर्त में 4 से 6 बजे के बीच किया जाना चाहिए।
- यदि आप समूह के साथ सुंदरकांड का पाठ कर रहे हैं तो शाम को 7 बजे के बाद किया जा सकता है।
- सुंदरकांड का पाठ मंगलवार, शनिवार, पूर्णिमा और अमावस्या को करना श्रेष्ठ रहता है।
- सुंदरकांड का पाठ करते समय इसकी पुस्तक को अपने सामने किसी चौकी या पटिए पर स्वच्छ कपड़ा बिछाकर रखना चाहिए।
- इसकी पुस्तक को कभी भी जमीन पर या पैरों के पास नहीं रखना चाहिए।
- सुंदरकांड का पाठ अपने घर के स्वच्छ कमरे में या मंदिर में किया जा सकता है।
- पाठ प्रारंभ से पूर्व हनुमान जी का आह्वान एवं समापन पर विदाई अवश्य करें चाहिए।
- सुंदरकांड के संपूर्ण पाठ के दौरान एक अखंड दीपक जरूर प्रज्जवलित करना चाहिए।
- सुंदरकांड की सभी चौपाइयों का उच्चारण स्पष्ट और निर्दोष हो।
- एक बार पाठ प्रारंभ कर देने के बाद इसे पूरा करके ही उठें। बीच-बीच में पाठ रोकना नहीं चाहिए।
- पाठ के बीच-बीच में कुछ खाना-पीना नहीं चाहिए। कई लोग बीच-बीच में फल खाते रहते हैं। चाय-पानी पीते रहते हैं, जो गलत है।
- सुंदरकांड का पाठ पूर्ण होने के बाद हनुमान चालीसा का पाठ भी करना चाहिए।
- गर्भवती स्त्रियां सुंदरकांड का पाठ ना करें।
क्या हैं पाठ के नियम
ऐसे करें पाठ
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