Basant Panchami 2021: जानिए क्यों मनाया जाता है बसंत पंचमी का त्योहार, क्या है इसका महत्व
नई दिल्ली। बसंत पंचमी का दिन कला और संगीत की देवी मां सरस्वती को समर्पित होता है, कहते हैं जब तक इंसान को मां सरस्वती का आशीष नहीं मिलता है तब तक वो प्रगति के पथ पर आगे नहीं बढ़ सकता है, इसलिए बसंत पंचमी के दिन लोग अपने-अपने घरों में माता की प्रतिमा की पूजा-अर्चना करते हैं, इस पर्व को मुख्य रूप से बसंत यानि नई फसलों पर फूल आने के दिन के रूप में मनाया जाता है, बसंत पंचमी को श्री पंचमी भी कहा जाता है तो आज कहीं पर कहीं कौमुदी उत्सव मनाया जाता है।
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ऋतुओं का राजा है बसंत
बसंत के आते ही प्रकृति का कण-कण खिल उठता है। मानव तो क्या पशु-पक्षी तक उल्लास से भर जाते हैं। हर दिन नयी उमंग से सूर्योदय होता है। प्राचीनकाल से इसे ज्ञान और कला की देवी मां सरस्वती का जन्मदिवस माना जाता है। जो शिक्षाविद भारत और भारतीयता से प्रेम करते हैं, वे इस दिन मां शारदे की पूजा कर उनसे और अधिक ज्ञानवान होने की प्रार्थना करते हैं।
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पौराणिक महत्व
मान्यता है कि जब रावण द्वारा सीता के हरण के बाद श्रीराम मां सीता को खोजते हुए दक्षिण की ओर बढ़े थे तो इस दौरान वो दंडकारण्य पहुंचे थे, यहीं शबरी नामक भीलनी रहती थी। जब राम उसकी कुटिया में पधारे, तो वह सुध-बुध खो बैठी और चख-चखकर मीठे बेर राम जी को खिलाने लगी, कहते हैं कि बसंत पंचमी के दिन ही रामचंद्र जी वहां आये थे। उस क्षेत्र के वनवासी आज भी एक शिला को पूजते हैं, जिसके बारे में उनकी श्रध्दा है कि श्रीराम आकर यहीं बैठे थे, वहां शबरी माता का मंदिर भी है।
वीर पृथ्वीराज चौहान की याद दिलाता है...
बसंत पंचमी का दिन हमें पृथ्वीराज चौहान की भी याद दिलाता है। उन्होंने विदेशी हमलावर मोहम्मद गोरी को 16 बार पराजित किया और उदारता दिखाते हुए हर बार जीवित छोड़ दिया, पर जब सत्रहवीं बार वे पराजित हुए, तो मोहम्मद गोरी ने उन्हें नहीं छोड़ा। वह उन्हें अपने साथ अफगानिस्तान ले गया और उनकी आंखें फोड़ दीं। इसके बाद की घटना तो जगप्रसिद्ध ही है। मोहम्मद गोरी ने मृत्युदंड देने से पूर्व उनके शब्दभेदी बाण का कमाल देखना चाहा। पृथ्वीराज के साथी कवि चंदबरदाई के परामर्श पर गोरी ने ऊंचे स्थान पर बैठकर तवे पर चोट मारकर संकेत किया। तभी चंदबरदाई ने पृथ्वीराज को संदेश दिया।
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