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Bada Mangal 2022: जेठ का दूसरा मंगल आज, जानिए क्यों हैं बजरंग बली 'सिंदूरी'?

By ज्ञानेंद्र शास्त्री
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नई दिल्ली, 24 मई। आज जेठ माह का दूसरा बड़ा मंगल है। आम भाषा में इसे बुढ़वा मंगल कहा जाता है। आज के दिन बजरंग बली की विशेष पूजा होती है। लोग आज के दिन हनुमान मंदिर में भंडारा भी करवाते हैं। वैसे भी मंगल को जन्मे पवनपुत्र हनुमान अपने हर भक्त का दुख दूर करते हैं और उन्हें हर संकट से बचाते हैं, इसलिए इन्हें संकट मोचक कहा जाता है।

Bada Mangal 2022: जेठ का दूसरा मंगल आज, जानिए क्यों हैं बजरंग बली सिंदूरी?

आज सुबह से ही मंदिरों में बजरंग बली के जयकारे गूंज रहे हैं। आज काफी लोग व्रत भी रहते हैं, कुछ दिन पूरे दिन उपवास रखते हैं तो कुछ लोग एक टाइम भोजन करते हैं। इस माह में पांच मंगल पड़ंगे, जिसमें से आज दूसरा मंगल है।

क्या आप जानते हैं क्यों हैं हनुमान जी लाल?

आपको पता है कि हनुमान जी प्रभु श्री राम और माता सीता के काफी प्रिय रहे हैं। माता सीता उन्हें अपना पुत्र ही कहकर बुलाती थीं। पौराणिक कथा के अनुसार एक दिन मां सीता शृंगार कर रही थीं और इसी दौरान उन्होंने अपनी मांग में लगाने के लिए सिंदूर लगाया , वहां पर हनुमान जी मौजूद थे, उन्होंने बड़े ही प्यार और श्रद्धा के साथ सीता जी से प्रश्न किया कि मां आप ये रंग अपनी मांग में क्यों लगाती हैं?

Bada Mangal 2022: जानिए क्यों हैं बजरंग बली सिंदूरी?

इस पर मां सीता ने कहा कि ' पुत्र ये महज लाल रंग नहीं है, बल्कि मेरी सुहाग का प्रतीक है। ये मुझे उनके ( प्रभु श्री राम) के करीब होने का एहसास दिलाता है। उनके प्रति मेरा प्रेम और श्रद्दा का मानक भी हैं। इसी सिंदूर को मेरी मांग में भरकर उन्होंने मुझे अर्धागिनीं का दर्जा दिया है इसलिए मैं ये सिंदूर लगाती हूं।'

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ये सुनते ही बजरंग बली सोच में पड़ गए और फिर उन्होंने सोचा कि जब मां सीता चुटकी भर सिंदूर से अपने प्रेम को व्यक्त करती हैं और श्री राम ये अच्छा लगता है, तो मैं इसे पूरे शरीर में लगा लूंगा, जिससे मैं अपने प्यार को कौशल्यानंदन के प्रति व्यक्त कर सकूं' , इसके बाद उन्होंने सिंदूर से अपना पूरा शरीर रंग लिया और तब से ही सिंदूरी रूप में प्रभु हनुमान की पूजा होने लगी। ये सिंदूरी रूप एक भक्त का अपने ईश्वर के प्रति निस्वार्थ प्रेम का प्रतीक है, जिसमें श्रद्धा और भक्ति का समावेश नजर आता है।

इन मंत्रों से कीजिए हनुमान जी की पूजा

  • ऊं हं हनुमते नम:
  • ॐ दक्षिणमुखाय पच्चमुख हनुमते करालबदनाय-
  • नारसिंहाय ॐ हां हीं हूं हौं हः सकलभीतप्रेतदमनाय स्वाहाः
  • मर्कटेश महोत्साह सर्वशोक विनाशन।
  • मंगल भवन अमंगलहारी द्रवहु सो दशरथ अजिर विहारी।

English summary
Second Tuesday of Jeth Month today, know why Bajrang Bali is sindoori. its really interesting story.
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