Bada Mangal 2019 : ज्येष्ठ के मंगल की पौराणिक कथा
लखनऊ। कहा जाता है कि एक बार नवाब सआदत अली खाॅ बहुत बीमार हो गये थे। और काफी इलाज कराने के बाद जब वह ठीक नहीं हो रहे थे। तब उनकी माॅ छतर कुॅवर-जनाबे आलिया ने नवाब के ठीक होने के लिए मन्नत माॅगी और हुनमान जी की कृपा से नवाब सआदत अली स्वस्थ्य हो गये।
उनके ठीक होने पर माॅ ने अलीगंज का पुराना मन्दिर 1798 में जेठ माह के मंगल में स्थापित करवाया। अलीगंज के मन्दिर स्थापना में एक रोचक तथ्य और है कि जब मन्दिर की स्थापना हो रही थी तो जाटमल नाम के व्यवसायी ने स्वंय प्रकट हुयी हनुमान जी की प्रतिमा के सामने प्रार्थना की थी। यदि मेरा इत्र और केसर बिक जायेगा तो वह मन्दिर बनवायेंगे।
अली शाह ने इत्र और केेसर खरीद् लिया
नवाब वाजिद अली शाह ने कैसरबाग को बसाने के लिए जाटमल से इत्र और केेसर खरीद् लिया। इस तरह मन्नत पूरी होने पर जाटमल ने 1848 में जेठ के पहले मंगलवार को अलींगज के नये हुनमान मन्दिर की प्रतिमा स्थापित करवायी थी। शायद उसी समय से लखनऊ में जेठ के मंगलो में बजरंग बली का विशेष पूजन कर लोगों को मीठा शरबत और ठंडा जल पिलाने की परम्परा प्रचलित है।
गर्मी के मौसम में सबसे अधिक गर्म महीना जेठ का
मेरे विचार से एक दूसरा कारण भी हो सकता है कि गर्मी के मौसम में सबसे अधिक गर्म महीना जेठ का होता है। आयुर्वेद में भी जेठ के महीने में पैदल चलना वर्जित बताया गया है। पहले संसाधन न होने के कारण लोग पदयात्रा ही करते थे और उस दौर में नलकूप, पानी की टंकी आदि की व्यवस्था नहीं थी। जिस वजह से लोगों को जेठ की चिलिचिलाती गर्मी में पदयात्रा के दौराना अपनी प्यास बुझाने के लिए भटकना पड़ता था। वैसे तो पूरे सप्ताह गर्मी रहती है किन्तु मंगल अग्नि कारक है, इसलिए मंगलवार को प्रचंड गर्मी पड़ती है। इसी कारणवश मंगलवार के दिन राह चलते लोगों को मीठा जल व मीठे के साथ ठण्डा जल पिलाया जाता है। पुराणों में वर्णित है कि अन्न दान और जल दान से बड़ा कोई भी दान नहीं है।
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