Amla or Akshaya Navami 2019: आयु और आरोग्य की प्राप्ति के लिए करें आंवला नवमी व्रत
नई दिल्ली। कार्तिक माह का प्रत्येक दिन अपने आप में विशिष्टताओं वाला होता है। इस माह के प्रत्येक दिन कोई न कोई विशेष पर्व, त्योहार, व्रत होता है इसलिए इस माह को सबसे बड़ा माह कहा गया है। इन्हीं में से एक विशेष दिन है आंवला नवमी का। कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि के दिन आंवला नवमी मनाई जाती है। इसे अक्षय नवमी भी कहा जाता है क्योंकि इस दिन किया गया कोई भी शुभ कार्य अक्षय फल देने वाला होता है। अर्थात् उसके शुभ फल में कभी कमी नहीं आती। इस वर्ष आंवला नवमी 5 नवंबर 2019 मंगलवार को आ रही है। आंवला नवमी के महत्व के बारे में शास्त्रों का कथन है कि इस दिन आंवले के वृक्ष की पूजा करके उसके नीचे बैठकर भोजन ग्रहण करने से आयु और आरोग्य में वृद्धि होती है। आंवले के वृक्ष की पूजा करने से परिवार के सुख-समृद्धि और धन के भंडार में भी उत्तरोत्तर बढ़ोतरी होती जाती है।
आयुर्वेद में महत्व
आयुर्वेद में आंवला को आयु और आरोग्य वर्धक कहा गया है। इस दिन आंवला के वृक्ष की पूजा करके उसके नीचे बैठकर भोजन करने का बड़ा महत्व है। माना गया है कि इससे वर्ष आयु-आरोग्य बना रहता है। इस दिन आंवला के फल का सेवन किया जाता है।
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द्वापर युग हुआ था प्रारंभ
सृष्टि क्रम में युगों के प्रारंभ होने का काल देखा जाए तो कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि अर्थात आंवला नवमी के दिन से द्वापर युग का प्रारंभ हुआ था। इसी युग में स्वयं भगवान श्रीकृष्ण ने जन्म लिया था। आंवला नवमी के दिन ही भगवान श्रीकृष्ण ने वृंदावन-गोकुल की गलियां छोड़कर मथुरा प्रस्थान किया था। इस दिन उन्होंने अपनी बाल लीलाओं का त्याग करके कर्तव्य के पथ पर पहला कदम रखा था। इसी दिन से वृंदावन की परिक्रम भी प्रारंभ होती है। आंवला नवमी का व्रत संतान और पारिवारिक सुखों की प्राप्ति के लिए किया जाता है। यह व्रत पति-पत्नी साथ में रखें तो उन्हें इसका दोगुना शुभ फल प्राप्त होता है।
कैसे करें आंवला नवमी पूजा
आंवला नवमी के दिन स्नान आदि करके किसी आंवला वृक्ष के समीप जाएं। उसके आसपास साफ-सफाई करके आंवला वृक्ष की जड़ को शुद्ध जल से सिंचित करें। फिर उसकी जड़ में कच्चा दूध डालें। पूजन सामग्रियों से वृक्ष की पूजा करें और उसके तने पर कच्चा सूत या मौली 8 परिक्रमा करते हुए लपेटें। कुछ जगह 108 परिक्रमा भी की जाती है। इसके बाद परिवार के सुख-समृद्धि की कामना करके वृक्ष के नीचे ही बैठकर परिवार, मित्रों सहित भोजन किया जाता है।
शंकराचार्य ने करवाई थी स्वर्ण के आंवलों की वर्षा
एक बार जगद्गुरु आदि शंकराचार्य भिक्षा मांगने एक कुटिया के सामने रुके। वहां एक बूढ़ी औरत रहती थी, जो अत्यंत गरीबी और दयनीय स्थिति में थी। शंकराचार्य की आवाज सुनकर वह औरत बाहर आई। उसके हाथ में एक सूखा आंवला था। वह बोली महात्मन मेरे पास इस सूखे आंवले के सिवाय कुछ नहीं है जो आपको भिक्षा में दे सकूं। शंकराचार्य को उसकी स्थिति पर दया आ गई और उन्होंने उसी समय उसकी मदद करने का प्रण लिया। उन्होंने अपनी आंखें बंद की और मंत्र रूपी 22 श्लोक बोले। ये 22 श्लोक कनकधारा स्तोत्र के श्लोक थे। इससे प्रसन्न होकर मां लक्ष्मी ने उन्हें दिव्य दर्शन दिए और कहा कि शंकराचार्य, इस औरत ने अपने पूर्व जन्म में कोई भी वस्तु दान नहीं की। यह अत्यंत कंजूस थी और मजबूरीवश कभी किसी को कुछ देना ही पड़ जाए तो यह बुरे मन से दान करती थी। इसलिए इस जन्म में इसकी यह हालत हुई है। यह अपने कर्मों का फल भोग रही है इसलिए मैं इसकी कोई सहायता नहीं कर सकती। शंकराचार्य ने देवी लक्ष्मी की बात सुनकर कहा- हे महालक्ष्मी इसने पूर्व जन्म में अवश्य दान-धर्म नहीं किया है, लेकिन इस जन्म में इसने पूर्ण श्रद्धा से मुझे यह सूखा आंवला भेंट किया है। इसके घर में कुछ नहीं होते हुए भी इसने यह मुझे सौंप दिया। इस समय इसके पास यही सबसे बड़ी पूंजी है, क्या इतनी भेंट पर्याप्त नहीं है। शंकराचार्य की इस बात से देवी लक्ष्मी प्रसन्न हुई और उसी समय उन्होंने गरीब महिला की कुटिया में स्वर्ण के आंवलों की वर्षा कर दी।
इस दिन लक्ष्मी को कैसे करें प्रसन्न
आंवला
नवमी
के
दिन
मां
लक्ष्मी
को
प्रसन्न
करके
धन-धान्य,
संपत्ति
की
प्राप्ति
की
जा
सकती
है।
इस
दिन
दूध,
चावल,
मखाने
और
मिश्री
की
खीर
बनाकर
उसमें
गुलाब
के
फूल
की
कुछ
पत्तियां
डालकर
मां
लक्ष्मी
को
नैवेद्य
लगाने
से
धन
की
प्राप्ति
होती
है।
आंवला
नवमी
के
दिन
पूजा
में
केसर
के
तिलक
का
उपयोग
करें
और
स्वयं
भी
केसर
का
तिलक
लगाएं।
इससे
आकर्षण
प्रभाव
में
वृद्धि
होती
है
और
परिस्थितियां
अनुकूल
हो
जाती
हैं।
आंवला
नवमी
के
दिन
भगवान
शिव
का
पंचामृत
से
अभिषेक
करने
से
आयु
और
आरोग्य
की
प्राप्ति
होती
है
और
इस
प्रयोग
से
संपत्ति
सुख
भी
प्राप्त
होता
है।
इस
दिन
स्वर्ण
लक्ष्मी
प्रयोग
भी
किया
जाता
है।
स्नानादि
करके
शुद्ध
श्वेत
वस्त्र
धारण
कर
पूजा
स्थान
में
एक
चौकी
पर
लाल
कपड़ा
बिछाकर
उस
पर
चावल
की
ढेरी
बनाकर
उस
पर
देवी
लक्ष्मी
मूति
स्थापित
करें।
विधिवत
पूजन
के
बाद
श्रीसूक्त
के
21
पाठ
करें।
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