अधिकमास होने से इस बार एक महीना देरी से आएगी शारदीय नवरात्रि
नई दिल्ली। हर साल सर्वपितृ अमावस्या के अगले दिन अर्थात् आश्विन शुक्ल प्रतिपदा से शारदीय नवरात्रि प्रारंभ होती है, लेकिन देवी के भक्तों को साधना, आराधना करने के लिए एक महीने का ज्यादा इंतजार करना पड़ेगा। कारण यह है कि इस बार आश्विन माह का अधिकमास है, इसलिए शारदीय नवरात्रि एक माह आगे बढ़ गई है। 18 सितंबर से 16 अक्टूबर 2020 तक इस बार आश्विन माह का अधिकमास रहेगा। इसके बाद शारदीय नवरात्रि 17 अक्टूबर से प्रारंभ होगी।
अधिकमास की वजह से बड़ा परिवर्तन
अधिकमास को पुरुषोत्तम मास और मलमास भी कहा जाता है। हिंदू कैलेंडर में हर तीन साल में एक बार एक अतिरिक्त माह जुड़ जाता है। धार्मिक दृष्टि से इसका विशेष महत्व होता है। श्रद्धालु इस पूरे माह में पूजा-पाठ, भगवद्भक्ति, व्रत-उपवास, जप आदि कार्य करते हैं। मान्यता है कि अधिकमास में किए गए धार्मिक कार्य किसी अन्य माह में किए गए जप-तप से दस गुना अधिक शुभ फल देते हैं।
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हर तीन साल में आता है अधिकमास
वशिष्ठ सिद्धांत के अनुसार भारतीय हिंदू कैलेंडर सूर्य मास और चंद्र मास की गणना पर आधारित हैं। हिंदू पंचांग में एक माह में 15-15 दिन के कृष्ण व शुक्ल पक्ष होते हैं। इसमें तिथियों की घट-बढ़ होती है। सूर्य वर्ष 365 दिन का होता है और चंद्र वर्ष 354 दिन का होता है। इस प्रकार एक साल में 11 दिन का अंतर आ जाता है और लगभग 32 माह 16 दिन बाद एक माह बढ़ जाता है। सूर्य और चंद्र वर्ष के बीच संतुलन बनाने के लिए तीन वर्ष में चंद्रमास (अधिकमास) का समावेश किया जाता है। इसलिए प्रत्येक तीन वर्ष में एक महीने की वृद्धि हो जाती है।
अधिकमास में नहीं होते शुभ कार्य
अधिकमास में सभी पवित्र कर्म वर्जित माने गए हैं। माना जाता है कि अतिरिक्त होने के कारण यह मास मलिन होता है। इसलिए इस मास के दौरान हिंदू धर्म के विशिष्ट संस्कार जैसे नामकरण, यज्ञोपवीत, विवाह और सामान्य धार्मिक संस्कार जैसे गृहप्रवेश, नई बहुमूल्य वस्तुओं की खरीदी आदि नहीं किए जाते हैं। मलिन मानने के कारण ही इस मास का नाम मल मास पड़ गया है।
इस मास कोई देवता नहीं था तो भगवान विष्णु ने अपनाया
अधिकमास को पुरुषोत्तम मास कहा जाता है क्योंकि इसके देवता भगवान विष्णु होते हैं। इस विषय में एक पुराण कथा प्रचलित है। ऋषियों ने प्रत्येक चंद्र मास का एक देवता निर्धारित किया है। चूंकि अधिकमास सूर्य और चंद्र मास के बीच संतुलन बनाने के लिए रचा गया है, इसलिए इस अतिरिक्त मास का अधिपति देवता बनने के लिए कोई देवता तैयार ना हुआ। ऐसे में देवर्षि नारद ने भगवान विष्णु से अनुरोध किया कि वे ही इस मास का दायित्व उठा लें। भगवान विष्णु ने नारदजी के इस अनुरोध को स्वीकार करते हुए अधिकमास का अधिपति बनना स्वीकार किया। उन्हीं के नाम पर यह पुरुषोत्तम मास कहलाया।
इस वर्ष आश्विन का अधिकमास
- आश्विन (शुद्ध प्रथम) माह प्रारंभ 3 सितंबर से 17 सितंबर 2020 तक
- आश्विन अधिक मास (मलमास) 18 सितंबर से 16 अक्टूबर 2020
- आश्विन (शुद्ध द्वितीय) माह प्रारंभ 17 अक्टूबर 2020 से 31 अक्टूबर तक
- शारदीय नवरात्रि प्रारंभ 17 अक्टूबर से
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