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भगवान विष्णु का प्रिय अधिकमास 18 सितंबर से, जानिए महत्व

By Pt. Gajendra Sharma
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नई दिल्ली। हिंदू कैलेंडर के अनुसार प्रत्येक तीन वर्ष में एक अतिरिक्त माह का प्राकट्य हो जाता है, जिसे अधिकमास, पुरुषोत्तम मास और मलमास कहते हैं। इस वर्ष आश्विन माह का अधिकमास आया है जो 18 सितंबर से प्रारंभ होकर 16 अक्टूबर 2020 तक रहेगा। अधिकमास में भगवान विष्णु की पूजा, जप, दान.धर्म, योग अधिक फलदायी होते हैं। मान्यता है कि किसी भी अन्य माह में किए गए दान.पुण्य की अपेक्षा अधिकमास में किए गए पुण्य अधिक फल देते हैं।

पुरुषोत्तम मास का बड़ा मान

पुरुषोत्तम मास का बड़ा मान

हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार प्रत्येक जीव पंचमहाभूताओं पृथ्वी, जल, अग्नि, आकाश और वायु से मिलकर बना है। अधिकमास में चिंतन, मनन, ध्यान जप, पूजन, दान, मंत्र योग आदि के जरिए व्यक्ति अपने इन पांचों तत्वों में संतुलन स्थापित कर सकता है। इस पूरे माह में व्यक्ति अपने धार्मिक और आध्यात्मिक प्रयासों के बाद अपनी भौतिक और आध्यात्मिक उन्नति और निर्मलता के लिए प्रयास करता है। ज्योतिषीय दृष्टि से भी यह माह महत्वपूर्ण माना गया है। इस माह में ग्रहों की स्थितियां कुछ ऐसी होती हैं कि मनुष्य अपनी जन्मकुंडली में मौजूद ग्रहों को सकारात्मक बना सकता है।

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तीन साल में आता है अधिकमास

तीन साल में आता है अधिकमास

वशिष्ठ सिद्धांत के अनुसार हिंदू कैलेंडर सूर्य मास और चंद्र मास की गणना पर आधारित है। अधिकमास चंद्र वर्ष का एक अतिरिक्त भाग है, जो हर 32 माह 16 दिन और 8 घटी के अंतर से आता है। इसका प्राकटय सूर्य वर्ष और चंद्र वर्ष के बीच अंतर का संतुलन बनाने के लिए होता है। भारतीय पंचांग गणना पद्धति के अनुसार प्रत्येक सूर्य वर्ष 365 दिन आैर करीब 6 घंटे का होता है, वहीं चंद्र वर्ष 354 दिनों का माना जाता है। दोनों वर्षो के बीच लगभग 11 दिनों का अंतर होता है, जो हर तीन वर्ष में लगभग एक मास के बराबर हो जाता है। इसी अंतर को दूर करने के लिए हर तीन साल में एक चंद्र मास अस्तित्व में आता है, जिसे अतिरिक्त होने के कारण अधिकमास कहा जाता है। इस माह के अधिपति देवता भगवान विष्णु होने के कारण इसे पुरुषोत्तम मास कहा जाता है।

मलमास क्यों कहते हैं?

अधिकमास को मलमास भी कहा जाता है। इसके पीछे पंचांगीय मान्यता है कि इस माह में शकुनि, चतुष्पद, नाग व ंिकस्तुघ्न ये चाराें करण रवि का मल होते हैं। सूर्य का संक्रमण इनसे जुड़े होने के कारण अधिकमास को मलमास भी कहा जाता है। अधिकमास में एक अमावस्या से दूसरी अमावस्या के बीच सूर्य का राशि परिवर्तन अर्थात् संक्रांति नहीं होती। इसलिए भी इसे मलमास कहा जाता है। मलमास में किसी भी प्रकार के मांगलिक कार्य नहीं किए जाते हैं, लेकिन अनुष्ठान, स्नान, दान, उपवास आदि धर्म.कर्म के कार्य ही किए जा सकते हैं। इस माह में गृह प्रवेश, मुंडन, विवाह, सगाई आदि नहीं किए जाते हैं, लेकिन भूमि पूजन, वस्तुआें की खरीदी.बिक्री आदि कर्म किए जा सकते हैं।

अधिक मास में क्या करें?

अधिक मास में क्या करें?

  • अधिकमास में कई लोग व्रत रखकर संयम और नियमों का पालन करते हैं। इस माह में सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान करके गायत्री मंत्र का जाप करते हुए उगते सूर्य को अ‌र्घ्य देने का बड़ा महत्व है। इससे आंतरिक शुद्धता आती है और रोगों से मुक्ति मिलती है।
  • इस माह में भागवत कथा का श्रवण, श्रीमद्भगवद्गीता का पाठ, विष्णुसहस्रनाम का पाठ आदि करने से सुख.सौभाग्य आैर मोक्ष की प्राप्ति होती है।
  • अधिकमास में देशी घी के मालपुए बनाकर कांसे के बर्तन में फल, वस्त्र आदि साम‌र्थ्यनुसार दान करने से संकटाें का नाश होता है।
  • इस पूरे माह में व्रत, तीर्थ स्नान, विष्णु यज्ञ आदि किए जा सकते हैं। महामृत्युंजय, रूद्र जप आदि अनुष्ठान भी करने का विधान है। संतान जन्म के कृत्य जैसे गभ्राधान, पुंसवन, सीमंत आदि संस्कार किए जा सकते हैं।

अधिकमास का व्रत कैसे करें

  • अधिकमास में व्रती को पूरे माह व्रत करना होता है।
  • जमीन पर सोना, एक समय सात्विक भोजन, भगवान श्री हरि का नाम मंत्र जाप, पूजा, हवन, हरिवंश पुराण, श्रीमद्भागवत, रामायण, विष्णु स्तोत्र, रूद्राभिषेक का पाठ आदि कर्म भी करना आवश्यक रहते हैं।
  • अधिकमास के समापन पर स्नान, दान, ब्राह्मण भोज आदि करवाकर व्रत का उद्यापन करना चाहिये।

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English summary
Adhik Maas is an extra month in the Hindu calendar. This time Adhik Maas will start from 18 September and will be till 16th October.Read some important facts about this holy Month.
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