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Ratha Saptami 2020:जीवनभर स्वस्थ और सुखी रहना है तो करें रथ आरोग्य सप्तमी

By Pt. Gajendra Sharma
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नई दिल्ली। हिंदू धर्म शास्त्रों में जीवन की प्रत्येक परेशानी को हल करने के लिए विभिन्न ग्रहों से जुड़े व्रत, उपवास, मंत्र जप, पूजा, हवन, उपाय आदि बताए गए हैं। हमारे शास्त्रों में सबसे पहली मान्यता स्वस्थ जीवन को दी गई है। यदि शरीर स्वस्थ रहेगा तो बाकी के दूसरे काम आसानी से हो जाएंगे। यदि आप स्वयं अस्वस्थ हैं तो धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष जैसे किसी भी पुरुषार्थ को कर ही नहीं पाएंगे। बात यदि वैदिक ज्योतिष की करें तो सूर्य को आत्मा तत्व का प्रतीक माना गया है। इसका प्रभाव व्यक्ति के मस्तिष्क और नेत्रों पर सबसे ज्यादा होता है। कुंडली में यह पिता का कारक ग्रह होता है। मान-सम्मान, पद-प्रतिष्ठा, उन्नति सभी सूर्य की अच्छी स्थिति के कारण प्राप्त होती है।

सुखी रहना है तो करें रथ-आरोग्य सप्तमी

सुखी रहना है तो करें रथ-आरोग्य सप्तमी

सूर्य को प्रसन्न करने के लिए वैसे तो अनेक उपाय बताए गए हैं, लेकिन माघ माह के शुक्ल पक्ष में आने वाली सप्तमी इसके लिए विशेष फलदायी मानी गई है। इसे रथ सप्तमी या आरोग्य सप्तमी भी कहा जाता है। यदि आप स्वयं या आपके परिवार में कोई व्यक्ति लगातार बीमार रहता हो तो रथ-आरोग्य सप्तमी का व्रत अवश्य करना चाहिए। इस बार रथ सप्तमी 1 फरवरी 2020 शनिवार को आ रही है।

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कैसे किया जाता है रथ सप्तमी व्रत

कैसे किया जाता है रथ सप्तमी व्रत

रथ सप्तमी व्रत करने के लिए व्यक्ति सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान आदि दैनिक कार्यों से निवृत्त हो जाएं। स्नान करके साफ श्वेत वस्त्र धारण करके ठीक सूर्योदय के समय तांबे या चांदी के कलश से सूर्यदेव को 12 बार जल का अर्घ्य दें। अर्घ्य के समय सूर्यदेव के 12 नामों का स्मरण करें। हाथ जोड़ने की मुद्रा में अर्घ्य देते हुए जल की धार के मध्य में से सूर्यदेव को देखने का प्रयास करें। 12 अर्घ्य पूर्ण हो जाने के पश्चात सूर्यदेव को लाल पुष्प अर्पित करें, कर्पूर से आरती करें। कई जगह घरों के मुख्य दरवाजे के समीप महिलाएं गोबर से लीपकर रंगोली से भगवान सूर्यदेव के सात घोड़ों वाले रथ का चित्र बनाती है और उसकी पूजा करती है। भगवान सूर्यदेव को गाय के दूध और चावल से बनी खीर का भोग लगाया जाता है। इस दिन व्रती एक समय भोजन करें और भोजन बिना नमक का ही सेवन करें। यानी इस दिन भोजन में नमक नहीं डाला जाता है। खीर का प्रसाद शाम को सूर्यास्त के बाद भोजन करते समय ग्रहण करें।

रथ सप्तमी व्रत के लाभ

रथ सप्तमी व्रत के लाभ

  • व्रत को करने से पुराने और जीर्ण रोगों से छुटकारा मिलता है।
  • जो व्यक्ति रथ सप्तमी का व्रत करते हैं उन्हें गंभीर रोग नहीं होते हैं।
  • रथ सप्तमी पर सूर्यदेव को अर्घ्य देते समय जल की धारा के बीच में से उगते सूर्य को देखने से नेत्रों के रोग ठीक होते हैं।
  • इस दिन प्रातः सूर्य नमस्कार करने से मानसिक बल मिलता है। मस्तिष्क संबंधी रोगों से मुक्ति मिलती है।
  • रथ सप्तमी का व्रत रखकर नमक नहीं खाने से त्वचा संबंधी रोग दूर होते हैं।
  • इस व्रत को करने से सूर्यदेव प्रसन्न होते हैं। जन्मकुंडली में सूर्य पीड़ाकारी हो तो उनकी शांति होती है।
  • रथ सप्तमी व्रत से मान-सम्मान, पद-प्रतिष्ठा में वृद्धि होती है।
  • निःसंतान दंपती यदि यह व्रत करें तो उन्हें गुणी और ज्ञानवान संतान की प्राप्ति होती है।
  • इस व्रत के प्रभाव से जन्मकुंडली में सूर्य से जुड़े दोष समाप्त होते हैं।
  • कुंडली में यदि सूर्य के साथ राहु-केतु या अन्य दूषित ग्रह हों तो परेशानी देते हैं। इस व्रत से दूषित ग्रहों का प्रभाव समाप्त होता है।
  • धन-संपत्ति, सुखों की प्राप्ति के लिए यह व्रत जरूर किया जाना चाहिए।
  • रथ सप्तमी व्रत करने से आयु में वृद्धि होती है।

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English summary
Rath saptmi vrat to get rid of disease and have long life, Read date, Puja Vidhi and Katha.
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