हवन के बिना अधूरी है देवी साधना, नवमी के दिन जरूर करें पूर्णाहुति हवन
नई दिल्ली। देवी आराधना का पर्व नवरात्रि प्रारंभ हो चुका है। देवी साधना करने वालों ने दुर्गा सप्तशती का पाठ प्रारंभ कर दिया है। अन्य तंत्र-मंत्रों से भी देवी को साधने का प्रयास किया जा रहा है, लेकिन क्या आप जानते हैं हवन के बिना दुर्गा पूजा अधूरी मानी जाती है। नारद पुराण में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि दुर्गा पूजा का महत्वपूर्ण और प्रमुख अंग है हवन।
जो साधक हवन नहीं करते उनकी साधना का पूर्ण फल प्राप्त नहीं हो पाता। लेकिन यह भी हकीकत है कि साधक हर दिन हवन नहीं कर सकते, इसलिए नवरात्रि के अंतिम दिन यानी नवमी के दिन हवन अवश्य किया जाना चाहिए। इससे नौ दिन की साधना, पूजा का पूर्ण फल प्राप्त होता है और साधन को धन, समृद्धि, सुख, वैभव, संपत्ति, सम्मान, साहस, बल आदि प्राप्त होते हैं।
कंडे के टुकड़े उपयोग में लाने चाहिए
दुर्गा पूजा के हवन के लिए बाजार में हवन सामग्री के पैकेट उपलब्ध हैं। आप घर में भी सामग्री जुटा सकते हैं। इसके लिए आम की लकड़ी, बेल, नीम, पलाश का पौधा, कलीगंज, देवदार की जड़, गूलर की छाल और पत्ती, पीपल की छाल और तना, बेर, आम की पत्ती और तना, चंदन की लकड़ी, तिल, जामुन की कोमल पत्ती, अश्वगंधा की जड़, कपूर, लौंग, चावल, ब्राम्ही, मुलेठी की जड़, बहेड़ा का फल और हर्रा तथा घी, शकर जौ, तिल, गुग्गुल, लोबान, इलायची एवं अन्य वनस्पतियों का बूरा मिश्रित करके हवन सामग्री तैयार की जाती है। हवन के लिए गाय के गोबर से बने कंडे के टुकड़े उपयोग में लाने चाहिए।
सामग्री पवित्र अग्नि में अर्पित की जाती है
दुर्गा हवन के लिए मार्कण्डेय पुराण में वर्णित दुर्गा सप्तशती के 11 पाठ किए जाते हैं। सप्तशती के श्लोकों के अंत में स्वाहा उच्चारण करके सामग्री पवित्र अग्नि में अर्पित की जाती है। यदि आप स्वयं हवन के मंत्रों का उच्चारण नहीं कर सकते तो किसी पंडित से करवा सकते हैं।
यदि दुर्गा सप्तशती के श्लोक से नहीं कर सकते तो दुर्गा के नवार्ण मंत्र 'ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै' के 1008 जप से भी हवन किया जा सकता है। हवन से पूर्व भगवान श्री गणेश का आवाहन स्थापन आवश्यक होता है। हवन के समस्त मंत्रों की शुद्धता का ध्यान रखते हुए यहां सारे मंत्र नहीं दिए जा रहे हैं। संपूर्ण विधि पुस्तकों से प्राप्त कर सकते हैं।
शरीर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है
- हवन से 95 प्रतिशत तक संक्रामक रोगों के जीवाणुओं का नाश होता है। इससे घर की शुद्धि होती है और उस घर में निवास करने वालों की सेहत अच्छी रहती है।
- हवन के साथ बोले जाने वाले मंत्रों से जो ध्वनि उत्पन्न होती है, उससे शरीर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। शरीर के सातों चक्रों को ऊर्जा प्राप्त होती है। जिसके फलस्वरूप कई प्रकार के शारीरिक और आध्यात्मिक लाभ प्राप्त होते हैं। मंत्रों की ध्वनि सुनने वालों पर भी सकारात्मक प्रभाव डालती है।
- किसी भी पूजा, साधना की सिद्धि हवन के बिना अधूरी मानी जाती है।
- देवी की साधना में हवन का बड़ा महत्व है। इससे साधना पूर्ण फलीभूत होती है।
- हवन में समस्त 33 कोटि देवताओं, नवग्रहों आदि के मंत्रों से आहूति दी जाती है। इससे ग्रहों की शांति होने के साथ देवताओं की अनुकूलता प्राप्त होती है।