संजीवनी के समान होती हैं शरद पूर्णिमा के चंद्र की किरणें
नई दिल्ली। शरद पूर्णिमा 13 अक्टूबर 2019 रविवार को आ रही है। वर्ष में शरद पूर्णिमा एकमात्र ऐसा अवसर होता है जिस रात चंद्रमा अपनी संपूर्ण कलाओं से युक्त होता है और उससे निकलने वाली किरणें अमृत के समान होती हैं। यह दिन उन लोगों के लिए अत्यंत विशेष होता है जिनकी मानसिक स्थिति कमजोर होती है, जिनमें भावनात्मक उबाल अधिक होता है, जो अधिक भावुक होते हैं या जो अपने मन-मस्तिष्क की कमजोर स्थिति के कारण किसी निर्णय पर नहीं पहुंच पाते हैं। यह दिन उन लोगों के लिए भी खास होता है जिनकी जन्मकुंडली में चंद्र कमजोर होता है। आयुर्वेद में तो शरद पूर्णिमा की रात्रि के बारे में यहां तक कहा गया है कि इस रात्रि को चंद्रमा से निकलने वाली किरणें संजीवनी के समान होती हैं।
शरद पूर्णिमा का दिन बेहद शुभ
वैदिक ज्योतिष में चंद्रमा को मन-मस्तिष्क और शरीर में मौजूद जल तत्व का प्रतिनिधि ग्रह माना गया है। चंद्र से ही व्यक्ति के विचार, मानसिक स्थिति, भावनाएं, कल्पनाएं नियंत्रित होती हैं। जन्मकुंडली में यदि चंद्र खराब स्थिति में होता है तो व्यक्ति मानसिक रूप से अस्थिर रहता है। चंद्र की अत्यंत खराब स्थिति के कारण व्यक्ति मानसिक रोगी तक हो सकता है। चंद्र की पीड़ा के कारण व्यक्ति कफ, खांसी, सर्दी-जुकाम, अस्थमा, फेफड़ों और श्वांस के रोगों से परेशान रहता है। जन्म कुंडली में यदि चंद्रमा छठे, आठवें या 12वें भाव में हो तो भी परेशानी देता है। ऐसी स्थिति में चंद्र को प्रसन्न् करने का सबसे शुभ दिन होता है शरद पूर्णिमा।
आइए जानते हैं चंद्र को मजबूती प्रदान करने के लिए शरद पूर्णिमा पर क्या उपाय किए जाना चाहिए...
बनाएं पुष्टिकारक खीर
शरद पूर्णिमा के रात्रि मानसिक रोगियों के लिए महत्वपूर्ण होती है। इस रात्रि में उनकी मानसिक स्थिति को ठीक करने के लिए विशेष खीर बनाई जाती है। इसके लिए गाय के दूध में किशमिश, केसर, चावल मिश्रित कर खीर बनाएं। इसमें शक्कर के साथ कुछ मात्रा में मिश्री भी डालें। शाम को चंद्रोदय के समय बाहर खुले में इस खीर को रख दें। इससे उसमें पुष्टिकारक औषधीय गुणों का समावेश हो जाता है। अगले दिन प्रात: काल उसका सेवन करते हैं, तो वह आरोग्य की दृष्टि से अत्यंत लाभकारी हो जाती है। आयुर्वेद ग्रंथों के अनुसार यह खीर यदि मिट्टी की हंडिया में रखी जाए और प्रात: बच्चे उसका सेवन करें तो उनका मानसिक विकास तीव्र गति से होता है। इस खीर के प्रयोग से अनेक मानसिक विकारों से बचा जा सकता है।
ये उपाय भी करें
- शरद पूर्णिमा के दिन भगवान शिव का गाय के दूध से अभिषेक करने से आयु और आरोग्य में वृद्धि तो होती ही है, चंद्र से जुड़े जन्मकुंडली के समस्त दोष भी दूर हो जाते हैं।
- चंद्र की पीड़ा के कारण कफजनिक रोग भी परेशान करते हैं। यदि किसी को बार-बार सर्दी-जुकाम, खांसी, कफ, अस्थमा की समस्या हो तो इस दिन रात्रि में चंद्र एक सूखा खोपरे का गोला लेकर उसमें एक छोटा सा छेद करें और उसमें गर्म करके ठंडा किया हुआ मीठा दूध भरकर चंद्रमा की चांदनी में रातभर रखें। सुबह इस दूध का सेवन करें। इससे रोग मुक्ति होती है।
- चंद्रमा की पीड़ा के कारण नेत्र रोग भी परेशान करते हैं। इससे मुक्ति के लिए सूखे खोपरे के गोले में शकर भरकर रातभर चांदनी में रखें और बाद में इस खोपरे शकर का नियमित सेवन करें। इससे नेत्र रोगों में आराम मिलता है।
- हृदय रोग, लो ब्लड प्रेशर हो, पेट संबंधी कोई रोग हो वे इस दिन चांदी के चंद्र यंत्र की पूजा करके अपने पूजा स्थान में रखें।
वैदिक मंत्र 'ऊं सों सोमाय नम:" का 11 माला जाप करें
- जन्मकुंडली में चंद्रमा कमजोर हो, पाप ग्रहों से युक्त हो, कमजोर चंद्र की महादशा-अंतर्दशा चल रही हो या चंद्र दूषित होकर छठे, आठवें या 12वें भाव में बैठा हो तो ऐसी स्थिति में शरद पूर्णिमा के दिन चंद्र की पूजा करें और स्फटिक या सफेद मोती की माला से चंद्र के वैदिक मंत्र 'ऊं सों सोमाय नम:" का 11 माला जाप करें।
- मानसिक रोग, मिर्गी से मुक्ति के लिए भोजपत्र पर केसर की स्याही से चंद्र यंत्र बनाकर उसे चांदी के ताबीज में भरकर गले में पहनने से रोगों में आराम मिलता है।
- जिन बच्चों का पढ़ाई में मन नहीं लगता वे इस दिन चंद्र यंत्र धारण करें। परीक्षा या प्रतियोगी परीक्षा में अच्छा रिजल्ट लाने में सफल होंगे।
- जन्मकुंडली में चंद्र के साथ राहु होने से चंद्रग्रहण दोष लगता है। इस दोष के कारण व्यक्ति के जीवन में स्थायित्व नहीं रहता। इस दोष को दूर करने के लिए चंद्र के वैदिक मंत्र का जाप करें।
- इस दिन चांदी की अंगूठी अथवा पेंडेंट में सफेद मोती धारण करने से चंद्र दोष शांत होते हैं और चंद्र को बल मिलता है।
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