संतान की प्राप्ति और कष्टों से मुक्ति से लिए करें अनंत चतुर्दशी व्रत
नई दिल्ली। हिंदू धर्म शास्त्रों में ऐसे अनेक व्रतों का वर्णन प्राप्त होता है, जिन्हें विधि-विधानपूर्वक करने से जीवन के प्रत्येक कष्ट का निवारण किया जा सकता है। फिर चाहे वे रोग दूर करने के प्रयोग हों या धन संपत्ति की प्राप्ति के लिए, विवाह सुख की बात हो या फिर संतान प्राप्ति के उपाय। ऐसा ही एक महत्वपूर्ण व्रत है अनंत चतुर्दशी व्रत। इस व्रत को भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को किया जाता है। इस दिन पार्थिव गणेश के विसर्जन के साथ दस दिवसीय गणेशोत्सव का समापन होता है। अनंत चतुर्दशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा करने का विधान है। इस व्रत के बारे में शास्त्रों का कथन है कि यह समस्त प्रकार के कष्टों से मुक्ति दिलाता है, आर्थिक संकटों का समाधान करता है और निःसंतान दंपतियों को उत्तम संतान सुख प्रदान करता है।
कैसे की जाती है अनंत चतुर्दशी व्रत पूजा
इस व्रत में सूत या रेशम के धागे को कुमकुम से रंगकर उसमें चौदह गांठें लगाई जाती हैं। ये 14 गांठें भगवान श्री हरि के 14 लोकों की प्रतीक मानी गई है। गांठ लगाकर राखी की तरह का अनंत बनाया जाता है। इस अनंत रूपी धागे को पूजा में भगवान विष्णु पर अर्पित करके व्रती अपनी भुजा में बांधते हैं। पुरुष दाएं तथा स्त्रियां बाएं हाथ में अनंत बांधती है। मान्यता है कि यह अनंत हम पर आने वाले सब संकटों से रक्षा करता है। यह अनंत धागा भगवान विष्णु को प्रसन्न् करने वाला तथा अनंत फल देता है। निःसंतान दंपती इस व्रत को करके संतान सुख की प्राप्ति कर सकते हैं।
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अनंत चतुर्दशी का महत्व
मान्यता है कि महाभारत काल में इस व्रत की शुरुआत हुई थी। जब पांडव जुए में अपना राज्य गंवाकर वन-वन भटक रहे थे, तो भगवान श्रीकृष्ण ने उन्हें अनंत चतुर्दशी व्रत करने को कहा। धर्मराज युधिष्ठिर ने अपने भाइयों व द्रौपदी के साथ इस व्रत को किया। तभी से इस व्रत का चलन शुरू हुआ। भारत के कई भागों में इस व्रत को किया जाता है। पूर्ण विश्वास के साथ व्रत करने पर यह अनंत फलदायी होता है।
अनंत चतुर्दशी व्रत की पूजन विधि
अनंत चतुर्दशी के दिन व्रती को प्रातःस्नान करके व्रत का संकल्प करना चाहिए। पूजा घर में कलश स्थापित करें और कलश पर भगवान विष्णु का चित्र स्थापित करें। इसके बाद सूत के धागे में चौदह गांठें लगाएं। इस प्रकार अनंतसूत्र तैयार हो जाने पर इसे भगवान विष्णु के समक्ष रखें। इसके बाद भगवान विष्णु तथा अनंतसूत्र की षोडशोपचार विधि से पूजा करें तथा ओम अनंताय नमः मंत्र का जाप करें। पूजा के बाद अनंत को स्त्री और पुरुष अपने हाथों में बांध लें और अनंत चतुर्दशी व्रत की कथा सुनें। अनंतसूत्र बांधने के बाद ब्राह्मण को भोजन कराएं। यथायोग्य दान-दक्षिणा देने के बाद स्वयं अपने परिवार सहित प्रसाद ग्रहण करें।
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